
AMU में मोदी जी के भाषण के बाद वहां मौजूद national media ने जो सवाल वहां के Proff और Students से पूछे उनसे लगता है जैसे उनको अपने दफ्तर से स्क्रिप्ट लिखकर दी गयी थी की जैसे ही PM का भाषण ख़त्म हो तुरंत वहां मौजूद लोगों के बयानात को Camera बंद कर लिए जाए .और उनसे पूछा जाए की आपको मोदी जी की तक़रीर कैसी लगी ?
अरे मोदी जी तो माहिर ए तक़रीर हैं सब जानते हैं लेकिन काम तक़रीर से नहीं अमल से चलता है . अब तक जितने वादे और बातें उनकी रही हैं दुनिया में आम है की उसपर अमल नहीं है .लेकिन इस सबके बीच उन्होंने जिन हक़ाइक़ यानी सच्चाइयों को अपने भाषण में रखा अभी तक वो भाषण में भी नहीं था .
एक बहुत अहम् बात जो मोदी जी के भाषण की थी वो ये के AMU के रीसर्च स्कॉलर्स को एक काम यह भी करना चाहिए की वो मुजाहिदीन आज़ादी जिन्होंने देश की स्वतंत्रता में अपनी क़ुर्बानियां दीं उनके नाम सामने लाने चाहियें , यानी मोदी जी कहना चाहते थे की जिन मुस्लिम स्वतंत्रता संग्रामियों को भुला दिया गया है और कभी उनका नाम तक नहीं आता उनको उजागर किया जाए , ऐसे दलित क्रांतिकारियों के नाम भी लाये जाएँ जिनका कोई नेता ज़िक्र ही नहीं करता , तो यह बात मोदी जी की क़ाबिल ए क़द्र है और इसके ज़रिये से देश के राष्ट्र प्रेमियों और राष्ट्र द्रोहियों की क़ौम का भी पता चलेगा .प्रधान मंत्री ने कहा AMU एक मिनी India नज़र आता है , यहाँ एक तरफ उर्दू पढ़ाई जाती है तो हिंदी भी , अरबी पढ़ाई जाती है तो संस्कृत भी , यहाँ की लाइब्रेरी में क़ुरान के manuscripts हैं तो गीता और रामायण के अनुवाद भी उतने ही सहजता से रखे गए हैं , यह विविधता AMU की ही नहीं देश की भी ताक़त है .
इसमें कोई शक नहीं की प्रधानमंत्री का भाषण ऐतिहासिक था बल्कि उनका AMU जाना ही ऐतिहासिक था 50 वर्षों में देश के प्रधान मंत्रियों में या तो लाल बहादुर शत्रि 1964 में AMU गए थे और अब मोदी जी , भले वर्चुअल गए हों .
गुज़रे 7 वर्षों में पहली बार लगा की सेक्युलर और लोकतान्त्रिक देश का प्रधान मंत्री बोल रहा है , अशफ़ाक़ुल्लाह ,राम प्रसाद बिस्मिल , भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद और राजगुरू के देश का प्रधान मंत्री बोल रहा है . उनकी भाषा शैली , और अल्फ़ाज़ की बंदिश सरदार पटेल और मौलाना अबुल कलम के भारत की डोर पिरे हुए नज़र आरहे थे .
दरअसल ऐसे ही प्रधान मंत्री की देश को ज़रूरत है जो इस तरह की विचारधारा के साथ Practical सोच भी रखता हो . ज़बानी जमा खर्च तो देश में चल ही रहा है , और देश का मुसलमान सिर्फ नेताओं के बयानात पर ही अपना सब कुछ लुटा देने का इतिहास रखता है . अब चाहे वो नेहरू रहे हों , या विश्वनाथ प्रताप सिंह , राजीव गाँधी रहे हों या मनमोहन सिंह , फिर चाहे बहिन मायावती रही हों या मुल्ला मुलायम सिंह , लालू प्रसाद यादव रहे हों या ओवैसी ब्रदर्स ,बंगाल के ज्योति बासु हों या ममता बनर्जी बस यह क़ौम वादों पर ही ज़िंदाबाद के नारे बुलंद करती रही है ,और सत्ता के पुजारियों और भिखारियों को सत्ता की कुर्सी पर बिठाती और उतारती रही .
जबकि सच्चाई यही है की देश के मुस्लमान और दलित तथा OBC को बस सत्ता की कुर्सी तक जाने का ज़ीना ही समझा गया . औरों से गिला ही नहीं इस क़ौम के अपने ही सौदागर बनकर डसते रहे , अब चाहे ग़ुलाम नबी आज़ाद हों या मरहूम अहमद पटेल ,अब्दुर्रहमान अंतुले हों या E .Amed ,आरिफ मुहम्मद खान हों , मुख़्तार अब्बास नक़वी या फिर शाहनवाज़ हुसैन सब क़ौम के सौदागर ही रहे .
1980 के बाद से मुसलमानो के कारोबारी states लुटते रहे तालीमी इदारे खस्ता हाल रहे , AMU को आजतक minority status तक न दिला सके . अगर इन सब मुस्लिम नेताओं ने क़ौम से वफादारी की होती तो देश के मुसलमानो का हाल दलितों से बदतर न होता जिसको सच्चर committe ने खोलकर ब्यान किया , और यही हाल कमो बेष दलित लीडरशिप का भी रहा उन्होंने भी अपनी क़ौम के अधिकारों को दिलाने में वफादारी नहीं की बल्कि कई दलित नेताओं ने तो क़ौम से ग़द्दारी की .
AMU केवल शिक्षा का इदारा नहीं है बल्कि यहां से सकारात्मक वैचारिक लौ भी प्रकट होती है जो देश दुनिया तक का सफर करती है। यहां से पढ़े और जुड़े लोग विश्व के अलग-अलग देशों में भारत का नाम रोशन कर रहे हैं। यही नहीं AMU के किसी भी घटनाक्रम पर दुनिया के विकसित और तमाम मुसलिम देशों की नजर रहती है। या यूँ कहे AMU से निकलने वाले संदेशों की गूँज आलमी होती है ।
UP में लव जिहाद ऑर्डिनेंस , बाबरी मस्जिद मुद्दे , 371 के हटाए जाने का मामला , तीन तलाक़ बिल ,CAA और NRC क़ानून , किसान बिल , तथा अल्पसंख्यकों और दलितों के साथ देश में नफरत और भेदभाव के हालात के बीच AMU की इन्तज़ामिया ने University के सौ साल पूरे होने पर पीएम मोदी को निमंत्रण भेजा और उन्होने स्वीकार भी कर लिया , यह देश की सियासत भविष्य के लिए एक खुशआइंद (सराहनीय) क़दम होसकता है ।
PM मोदी जी द्वारा निमंत्रण स्वीकार करने पर पूरी दुनिया के मुस्लिम जगत ने इसे सकरात्मक ढंग से लेते हुए इसे वक्त ,देश और खुद सरकार की जरूरत भी बताया जा रहा है। यही नहीं University बिरादरी और Alumni ने भी इसका खुले दिल से स्वागत किया। अब मुस्लिम दुनिया की निगाहें मोदी के भाषण पर टिकी हैं , और इंतज़ार उस घडी का है जब बातों पर अमल का सिलसिला शुरू होगा ।
मोदी जी को भी इसका पूरा आभास है कि एएमयू की कितनी अहमियत देश-दुनिया में है। वह यह भी जानते हैं यह केवल शिक्षा का इदारा ही नहीं बल्कि हिन्द की सियासत को भी एक सिम्त देती है .राजनीतिक पंडितों का मानना है कि मोदी ने इस मंच से मुसलिम जगत को फिलहाल सकारात्मक संदेश देकर केंद्र सरकार के प्रति बन रही नकारात्मक धारणाओं को तोड़ने का भी प्रयास किया है ।
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के शताब्दी समारोह के अवसर पर अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा, ‘सर सैयद का संदेश था , कि हर एक इंसान की सेवा की जाए , चाहे उसका धर्म या जाति कुछ भी हो. ऐसे ही देश की समृद्धि के लिए उसका हर स्तर पर विकास होना जरूरी है , आज हर नागरिक को बिना किसी भेदभाव के विकास का लाभ मिल रहा है. पीएम बोले कि देश के नागरिक , संविधान से मिले अधिकारों को लेकर निश्चिंत रहे, सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास ही सबसे बड़ा मंत्र है.
उन्होंने कहा जो देश का है, वो हर देशवासी है और उसका लाभ हर किसी को मिलना चाहिए , अब मोदी जी चाहिए हटाकर अपने वादों को पूरा करने का संकल्प लें ,चूंकि किसी भी फैसले को लेने में उनकी कोई मजबूरी नहीं है और जिस विचारधारा की लकीर पर वो चल रहे हैं उसको मिटाकर actual विकास व् संवैधानिक और लोकतांत्रिक भावनाओं के साथ आगे बढ़ें तो शायद देश चाहकर भी उनको प्रधान मंत्री पद से नहीं हटा सकता क्योंकि उनके पास Leader का Vision तो है किन्तु पूरे देश के साथ इन्साफ करने की Will नहीं .