प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि किसानों और गांवों के सशक्त होने पर ही भारत आत्मनिर्भर बनेगा। आज आकाशवाणी से मन की बात कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र, किसान और गांव ही आत्मनिर्भर भारत का आधार हैं। उन्होंने कहा कि संकट की इस घड़ी में कृषि क्षेत्र ने अपना दम-खम दिखाया। श्री मोदी ने यह भी कहा कि हाल के समय में किसानों ने खुद को अनेक बंदिशों से आजाद किया है और अनेक मिथकों को तोड़ने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि किसानों में अपने फल और सब्जियों को कहीं भी, किसी को भी बेचने की ताकत है। श्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि अब यही ताकत देश के दूसरे किसानों को भी मिली है। फल, सब्जियों के लिए ही नहीं, बल्कि अपने खेत में वे धान, गेहूं, सरसों, गन्ना- जो कुछ भी उगा रहे हैं, उसको अपनी इच्छा के अनुसार जहां ज्यादा दाम मिले वहीं पर बेचने की, अब उनको आजादी मिल गई है।
मोदी ने हरियाणा के सोनीपत जिले के कंवर चौहान का उदाहरण दिया। एक समय था, जब उन्हें मंडी से बाहर अपने फल और सब्जियों को बेचने में बहुत दिक्कत आती थी। मंडी से बाहर अपने फल और सब्जियां बेचने पर कई बार उनके फल, सब्जी और गाडि़यां तक जब्त हो जाती थीं। लेकिन 2014 में फल और सब्जियों को एपीएमसी कानून से बाहर किए जाने के बाद उन्हें और आसपास के साथी किसानों को बहुत फायदा हुआ। चार वर्ष पहले, उन्होंने अपने गांव के साथी किसानों के साथ मिलकर किसान उत्पादक समूह की स्थापना की। आज गांव के किसान स्वीट कॉर्न और बेबी कॉर्न की खेती करते हैं। उनके उत्पाद आज दिल्ली की आजादपुर मंडी, बड़ी खुदरा दुकानों में और पांच सितारा होटलों में सीधे ही उपलब्ध कराए जा रहे हैं। आज गांव के किसान स्वीट कॉर्न और बेबी कॉर्न की खेती से प्रति वर्ष प्रति एकड़ ढाई से तीन लाख रुपये तक की कमाई कर रहे हैं। इतना ही नहीं, इसी गांव के साठ से अधिक किसान नेट हाऊस बनाकर, पोली हाऊस बनाकर, टमाटर, खीरा और शिमला मिर्च की विभिन्न किस्मों का उत्पादन करके प्रतिवर्ष प्रति एकड़ दस से बारह लाख रुपये तक की कमाई कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि तीन-चार वर्ष पहले महाराष्ट्र में फलों और सब्जियों को एपीएमसी कानून के दायरे से बाहर किया गया था। उन्होंने श्री स्वामी समर्थ किसान उत्पादक कंपनी लिमिटेड का उदाहरण देते हुए कहा कि यह समूह इस बात का उदाहरण है कि इस बदलाव ने महाराष्ट्र के फल और सब्जी उगाने वाले किसानों की स्थिति कैसे बदल दी। उन्होंने कहा कि पुणे और मुंबई में किसान खुद साप्ताहिक बाजार चला रहे हैं। इन बाजारों में लगभग सत्तर गांव के साढ़े चार हजार उत्पादों की बिना किसी बिचौलिये के सीधी बिक्री की जाती है। श्री मोदी ने कहा कि ग्रामीण युवा खेती और सीधे बाजार में बिक्री की प्रक्रिया में शामिल होते हैं।
प्रधानमंत्री ने तमिलनाडु की केला उत्पादक कंपनी का उदाहरण दिया, जो किसानों का अपना समूह है। इस किसान समूह ने लॉकडाउन के दौरान आसपास के गांव से सैकड़ों मीट्रिक टन सब्जियों और फलों की खरीद कर चेन्नई शहर को सब्जी कोम्बो किट दिया।
प्रधानमंत्री ने लखनऊ के किसान समूह इरादा की चर्चा भी की। लॉकडाउन के दौरान इस समूह ने सीधे किसानों के खेतों से फल और सब्जियों की खरीद कर उसे लखनऊ के बाजारों में बेचा, जिससे बिचौलियों से तो मुक्ति मिली ही, मनचाहा दाम भी मिला।
मोदी ने गुजरात के बनासकांठा के रामपुरा गांव के किसान इस्माइल भाई की चर्चा की, जिनके परिवार ने उन्हें खेती करने से रोका, लेकिन इस्माइल भाई ने तय किया कि वे इस सोच को बदल कर दिखाएंगे कि खेती घाटे का सौदा है। उन्होंने नए तरीके से खेती शुरू की। उन्होंने अच्छी किस्म के आलू की खेती के लिए बूंद सिंचाई करके अपनी विशिष्ट पहचान बनाई। इस्माइल भाई यह आलू सीधे बड़ी-बड़ी कंपनियों को बेचते हैं और अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान बिचौलिये का नामो-निशान नहीं होता।
प्रधानमंत्री ने कहा कि खेती में नए-नए तौर-तरीके अपनाने की जरूरत है। उन्होंने मणिपुर की बिजयशांति की भी चर्चा की। बिजयशांति ने कमल की नाल से धागा बनाने का स्टार्टअप शुरू किया। आज उनके इस अभिनव प्रयास के चलते कमल की खेती और कपड़ा क्षेत्र में एक नया ही रास्ता बन गया है।
कोरोना के इस समय में प्रधानमंत्री ने एक बार फिर लोगों को मास्क पहनना याद दिलाया और बिना चेहरा ढके बाहर नहीं निकलने को कहा। उन्होंने कहा कि दो गज दूरी का मानक उन्हें और उनके परिजनों को सुरक्षित करेगा। श्री मोदी ने कहा कि ये कुछ नियम कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई में हथियार हैं। उन्होंने कहा कि इस सशक्त संसाधन से प्रत्येक नागरिक का जीवन बच सकता है।
प्रधानमंत्री ने कहानी सुनाने की कला पर विस्तार से बताया कि कैसे यह हमेशा से भारतीय संस्कृति का हिस्सा रही है। हर परिवार में कोई न कोई बुजुर्ग और अग्रज कहानियां सुनाया करते थे और घर में नई प्रेरणा, नई ऊर्जा भर देते थे। उन्होंने नीतिपरक संदेश वाली कहानियों के महत्व की चर्चा करते हुए कहा कि हर कहानी संवेदना से उपजती है। श्री मोदी ने इस बात पर गर्व व्यक्त किया कि हम उस देश के वासी हैं, जहां हितोपदेश और पंचतंत्र की परंपरा रही है, ताकि पशु-पक्षियों की काल्पनिक दुनिया के माध्यम से विवेक और बुद्धिमता की बातों को आसानी से समझाया जा सके। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु और केरल में कहानी सुनाने की बहुत ही रोचक पद्धति है, जिसे विल्लूपाट कहा जाता है। इसमें कहानी और संगीत का बहुत ही आकर्षक सामंजस्य होता है। श्री मोदी ने यह भी कहा कि भारत में कठपुतली की जीवंत परंपरा रही है। उन्होंने कहा कि इन दिनों विज्ञान कल्पना से जुड़ी कहानियां तथा कहानी कहने की विधा लोकप्रिय हो रही है।
प्रधानमंत्री ने अमरव्यास और उनके साथियों द्वारा चलाई जा रही वेबसाइट गाथा स्टोरी डॉट इन की चर्चा की। अमर व्यास भारतीय प्रबंधन संस्थान, अहमदाबाद से एमबीए करने के बाद विदेश चले गए थे। इस समय वे बैंगलुरू में रहते हैं और कथा सुनाने की कला परंपरा को आगे ले जा रहे हैं। श्री मोदी ने कहा कि कई ऐसे प्रयास भी हैं जो ग्रामीण भारतीय कहानियों को खूब प्रचलित कर रहे हैं। उन्होंने वैशाली व्यवहारे देशपांडे का उदाहरण दिया, जो इसे मराठी में लोकप्रिय बना रही हैं। प्रधानमंत्री ने चेन्नई की श्रीविद्या वीर राघवन का जिक्र किया जो हमारे देश और हमारी संस्कृति से जुड़ी कहानियों को प्रचारित-प्रसारित करने में जुटी हैं। उन्होंने इस क्षेत्र में जबरदस्त कार्य के लिए दो वेबसाइटों- कथालय और द इंडियन स्टोरी टेलिंग नेटवर्क की प्रशंसा की। श्री मोदी ने कहा कि गीता रामानुजन ने कथालय डॉट ओआरजी में कहानियों पर विशेष ध्यान दिया है। द इंडियन स्टोरी टेलिंग नेटवर्क के माध्यम से अलग-अलग शहरों के कथाकारों का नेटवर्क तैयार किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने बैंगलुरू के विक्रम श्रीधर की चर्चा की, जो बापू से जुड़ी कहानियों को लेकर बहुत उत्साहित हैं। उन्होंने बैंगलुरू की स्टोरी टेलिंग सोसायटी की अपर्णा अत्रेया और अन्य सदस्यों से बातचीत की। श्री मोदी ने कहा कि वे उनके साथ हुई पूरी बातचीत को नरेन्द्र मोदी एप पर अपलोड करेंगे। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि परिवार के हर सदस्य को देश को स्वतंत्रता संग्राम और स्वतंत्रता सेनानियों की शौर्य गाथाओं से परिचित कराएं।
प्रधानमंत्री ने अफ्रीकी देश माली के सेदू देमबेले का अनुभव भी साझा किया। वे किता में एक स्कूल में अंग्रेजी संगीत और चित्रकला के शिक्षक है। लोग उन्हें हिन्दुस्तान का बाबू भी कहते हैं, क्योंकि वे माली में एक घंटे का रेडियो कार्यक्रम प्रस्तुत करते हैं जिसका नाम है- इंडियन फ्रिक्वेंसी ऑन बॉलीवुड सांग्स। वे इसे पिछले 23 वर्षों से प्रस्तुत कर रहे हैं। श्री देमबेले इस कार्यक्रम के दौरान फ्रांसीसी के साथ-साथ माली की लोकभाषा बमबारा में भी अपनी कमेंटरी करते हैं। श्री मोदी ने कहा कि भारत से उनके गहरे जुड़ाव की एक वजह यह भी है कि उनका जन्म 15 अगस्त को हुआ था। सेदू जी ने अब प्रत्येक रविवार रात नौ बजे से दो घंटे का एक और कार्यक्रम शुरू किया है, जिसमें वे हिन्दी फिल्म जगत की कहानी फ्रांसीसी और बमबारा में सुनाते हैं। इस वर्ष 15 अगस्त को एक हिन्दी वीडियो के माध्यम से उन्होंने भारतवासियों को स्वतंत्रता दिवस की बधाई दी थी। प्रधानमंत्री ने लोगों से अपील की कि वे इन वीडियो को देखें और भारत के प्रति अपने प्रेम का अनुभव करें।
श्री मोदी ने स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह को याद किया, जिनकी कल 28 सितंबर को जयंती है। उन्होंने कहा कि भगत सिंह साहस और वीरता के प्रतिमूर्ति हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह बात कल्पना से परे थी कि 23 साल के एक युवक से ताकतवर अंग्रेजी हुकुमत भयभीत हो जाएगी। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में हम ऐसे कई महान लोगों को याद करेंगे, जिनका भारत के निर्माण में अमिट योगदान है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 2 अक्टूबर पवित्र और प्रेरक दिवस है। यह दिन महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री को याद करने का दिवस होता है। उन्होंने कहा कि अगर गांधी के आर्थिक चिंतन की मूल भावना को समझा गया होता तो आज आत्मनिर्भर भारत अभियान की जरूरत ही नहीं पड़ती। श्री मोदी ने कहा कि गांधी के आर्थिक चिंतन में भारत की नस-नस की समझ थी। उन्होंने कहा कि बापू का जीवन हमें याद दिलाता है कि हमारा हर कार्य ऐसा होना चाहिए, जिससे गरीब से गरीब व्यक्ति का भला हो।
प्रधानमंत्री ने भारत रत्न लोकनायक जयप्रकाश जी का भी स्मरण किया, जिनकी जयंती 11 अक्तूबर को है। उन्होंने कहा कि जे.पी. ने भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा में अग्रणी भूमिका निभाई है। श्री मोदी ने भारत रत्न नानाजी देशमुख को भी याद किया, जिनकी जयंती भी 11 अक्तूबर को ही है। प्रधानमंत्री ने लोगों से इनके मूल्यों को जीवन में अपनाने की अपील की।