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न समझोगे तो मिट जाओगे ऐ मुसलमानो….

न समझोगे तो मिट जाओगे ऐ मुसलमानो….

वजाहत अली खान


अब बचेगा वही जो चौकन्ना होगा.. होसकता है इस जुमले के बाद मेरे ऊपर कुफ्र का फतवा लग जाए , लेकिन आगे पूरा Article पढ़ने से तस्वीर साफ़ होजायेगी पूरा आर्टिकल देखें Plss

दोस्तों आने वाले दौर के लिए तैयार रहे ख़ास तौर पर आने वाली नस्ल को तैयार करें, क्योंकि इंसानियत के दुश्मनों ने धरती पर तमाम फ़िटने बरपा करने हैं , लेकिन जो लोग तक़वे वाले , दीनदार और आध्यात्मिक होंगे उनको डरने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि उनके साथ रब की शक्ति होगी

• बहुत से लोग अभी भी इस गलत फेहमी में हैं कि दुनियां दोबारा पुरानी डगर पर वापस आ जायेगी .और हम यह वबा रुपी भेड़िये से जंग जीत जाएंगे , लेकिन उसके बाद इससे बड़े भेड़िये की शक्ल में वबा आएगी . दुनिया के मुल्कों के सरबराहान और हुक्मरान जिस झूटी उम्मीद पर जीने के लिए इंसानियत को बे यारो मददगार और आत्म निर्भर बनाकर छोड़ रहे हैं दरअसल वो भी धोखे में हैं या फिर सत्ता और ऐशों के लालच में , सऊदी अरब जैसे मुल्क जो तौहीद का निशाँ है और दीगर मुस्लिम देशों के हुक्मरान भी रब्बे हक़ीक़ी नहीं बल्कि झूठे खुदाओं की साज़िशों और नफ़्स की ग़ुलामी और ऐशपरस्ती के शिकार हैं .

•दोस्तों हम खुद होश में आ जाएं, दुनियां तो बदल चुकी है, New World Order की इब्तिदा हो चुकी है, दुनियां उस डगर पर लौट कर कभी नहीं आएगी ,जब तक अवाम अपने बनाने वाले और रिज़्क़ पहुँचाने वाले को राज़ी नहीं करेगी …जब तक अवाम दुनिया में आने के मक़सद को नहीं समझेगी हकीकत को नहीं समझेगी हालात लगातार बिगड़ते जाएंगे …

अब नया पाकिस्तान का नारा देने वाले imran खान हों चाहे नया भारत का नारा देने वाले PM मोदी , ये सब सहयोनि ताक़तों के दिए गए Tittle ,New world Order के Sub Tittle हैं .यानी ये लोग WHO , UNO , UNICEF और UNHRC जैसी संस्थाओं को Follow कर रहे हैं जो New World Order का ही हिस्सा हैं .बस यही है नया भारत और नया पाकिस्तान और हालात लगातार बद से बदतर होते जाएंगे हालिया साल को आगामी साल से ग़नीमत जानो , लोग यही कहते रहेंगे इससे तो पिछ्ला साल ही अच्छा था ……..वग़ैरा …

• दुनिआ के ताज़ा हालात दरअसल दज्जाली निज़ाम की इब्तिदा का दौर है, अब आप दुनियाबी घटनाक्रम की क्रोनोलॉजी पर जरा नज़र डालें.

• जैसे आतंकवाद, इस्लामो फोबिया, नरसंहार-क़त्लेआम, पूरे दुनिया पर फ़ासिस्ट ताकतों का शिकंजा, फ़र्ज़ी राष्ट्रवाद, पूरी वर्ल्ड इकॉनमी सिमटकर चंद कॉर्पोरेट घरानो के हाथो में चले जाना, पूरी दुनिया मे फाइनेंसियल इमरजेंसी लगी है लेकिन कोई इस लफ्ज़ का इस्तेमाल नहीं करना चाहता. हमारे आज़ाद मुल्कों में कोई दज्जाली निज़ाम के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाये तो देश द्रोही बना देने जैसी कैफ़ियत , oxygen मांगने पर क़ैद में डलवाने की बातें , ये सब नए भारत का हिस्सा हैं

रेसेशन और माली गिरावट उरूज पर है, नफरते- और नफ्सपरस्ती चरम पर हैं, बेरोज़गारी, बीमारी ,आत्म हत्याएं, अपराध, भुख्मरी, गरीबी और Panic चरम पर है, न्यूक्लियर हत्यारों का इस्तेमाल , बायो वेपन्स की तैयारी , मीडिया प्रोपोगंडा, और एक के बाद एक तमाम दीगर फ़ितने जारी है.पुलिस मास्क न लगाने पर आम नागरिक को बेदर्दी से मार तो रही है लेकिन किसी भूके के घर रोटी या बीमार के घर दवा या Oxygen पहुँचाने का काम नहीं कर रही है , स्वास्थ्य , शिक्षा और सामाजिक सुरक्षा सर्कार की ही तो ज़िम्मेदारी है , छोड़ दिया है नंगे , बीमार और भूके नागरिक डंडे खाने या नारे लगाने के लिए यही है आत्म निर्भर होने की निशानी ….

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•आपको पता है जेरूसलम जिसको आप मुसलमानो का क़िब्ला ए अव्वल कहते हो यहूदियों के हाथ जा चुका है, इजराइल और अरब समझौते के बाद यहूद ने हिजाज़ में भी अपना शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. पहले ही हिजाज़-ए-मुक़द्दस का निज़ाम ख़ारजियों यानी ग़ैर अरब , मुनाफिकों, दौलत और अय्याशी के ठेकेदारों के पास है.

•क्यूबा , बोस्निया , सीरिया, यमन, अफ़ग़ानिस्तान, इराक, म्यांमार हम सब भूलते जाते हैं. हमे लगता है ये सब हमसे बहुत दूर हैं , और ये सब हालात हम पर नहीं आने वाले , लेकिन दोस्तों हम गफलत में हैं.

इस दौर के बारे में बहुत तफ़सील से बताया गया है लेकिन हमने क़ुरआन और हदीस को पढ़ा नहीं , पढ़ा तो समझा नहीं , समझा तो अमल नहीं किया . हर फितना आने वाले फ़ितने से बड़ा होगा. दुनिया अभी महामारी से ही हिल गयी है. आप मेरी बात लिख लें कि बहोत ही जल्द इस से बड़ा फितना वुजूद में आएगा . और आप कहेंगे इससे तो वही बेहतर था ,,और आपको बता ही है की Mobile और Internet System ये दज्जाली फ़ित्नों में से एक फितना ही है , जो हमको सहूलत और जदीद Technology के नाम पर दिया गया है

दोस्तों अब में आता हूँ असल मौज़ू पर ..

• स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी और दीगर तालीमी इदारे अब लम्बे अरसे तक शायद बंद ही रखे जाएंगे . अब बच्चों को तवील अरसे तक मां बाप की निगरानी में घरों में ही रहना है अपने बच्चों को जिस्मानी , जेहनी और रूहानी तौर पर भी आने वाले दौर के लिए आप को ही तैयार करना है . लेकिन अगर सब अपने अपने Cell Phones पर वक़्त काटते रहे तो समझो तबाही दरवाज़े के बाहर ही खड़ी है

• दोस्तों आप अपने बच्चों को अपनी माद्री ज़बान उर्दू,हिंदी के अंग्रेज़ी, अरबी लाज़मी तौर पर सिखाएं. दीनी उलूम, तारीख सहाबा और इंसानी तहज़ीब के बारे में मुकम्मल आगाह करें. अपने बच्चों को लाज़िमन कोई हुनर या कोई हाथ का काम ज़रूर सिखाएं जो उनको मसरूफ भी रखे और जिससे आने वाले वक़्त में ये कार – आमद हो सकें और वो अपने पैरों पर खड़े हो सकें.

आप जानते हैं ? सुल्तान अब्दुल हमीद कारपेंटर थे, लकड़ी से बनाया उनका फर्नीचर आज भी महफूज़ है. सुल्तान सुलेमान ज़ेवरात बनाते थे. औरंगज़ेब बादशाह कुरआन करीम लिखते थे और बांस की डलिया बनाकर बेचते और उसकी आमदनी से अपना खर्च चलाते थे .

• अपने बच्चों की जिस्मानी और ज़हनी तौर पर लाज़िमन ऐसी तरबियत करें कि मुश्किल और मुख़ालिफ़ हालात में वो बर्दाश्त करने के क़ाबिल हों. जिस तरह एक NCC कैडेट या आर्मी मैन की तरबियत और Training होती है. जैसे जंगल में खैमा लगाना. लकड़ी से आग जलाना. खाने पकाना. शिकार करना और अपनी हिफाज़त के लिए हथियार चलाना , ज़रूरतमंदों और बीमारों की खिदमत करना वग़ैरा .

आजकल हमारे बच्चे बहुत आराम तलब और नाजुक हो चुके हैं. जिसके कसूरवार खुद मां बाप ही हैं, माज़ी में हमारा तमाम तर तालीमी निज़ाम बच्चों को दीन और अदब के साथ हुनर भी सिखाता था. पहले मुसलमान अपने हाथों में मख्सूस हुनर रखते थे और हाथ से काम करते थे . कोई लोहे का काम जानता तो कोई लकड़ी का. कोई कपड़ा बनाता तो कोई चमड़े का. कोई मुर्गियां पालता तो कोई गल्ला बेचता था खेती करता.

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आज के वक़्त में भी ऐसे तमाम उलूम, पढ़ाई, कामकाज, हुनर हैं, जिन्हें सीखकर आने वाली नस्ल को Actualy आत्म निर्भर बनाया जा सकता है , ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स जब तक हासिल है इस पर बहोत कुछ सीखा जा सकता है. उस्तादों से अपने बड़ो से सीखा जा सकता है. किताबो से सीखा जा सकता है. आला तालीम हासिल करें… हुनरमंद बने… अपने अंदर अच्छी खसलतें, खूबियां, उसूल और ईमान के साथ इंसानियत को पैदा करें.

तिज़ारत के बारे में सोचे भले ही छोटे लेवल पर, कोई भी काम छोटा नहीं होता. फ़क़त उसकी कमाई हलाल होनी चाहिए. आगे आने वाला दौर मुश्किलात और जंगों का दौर है अपने बच्चों को इसके लिए तैयार करें अब डिग्रियां हाथ में लेकर कॉलेज से निकल कर नौकरियां तलाश करने का दौर खत्म हो गया…सरकारी नौकरियों का दौर भी लगभग जा चुका है.

आने वाला दौर फ़ित्नों भरा और सख्त गीर होगा .अब आप इसको ख्याली या कोई फर्जी बात कहते रहें .दज्जाली और शैतानी बातों पर अमल करते रहे . हमारा काम तो हक़ बात को और इन्साफ की बात को आप तक पहुँचाना है , बाक़ी एक रोज़ सब आपके सामने आ ही जाना है .

और इन सब हालात की खबर अफज़लुल रसूल सरकारे दो आलम नबी ए मुहतरम ने हमें पहले ही दी हुई है कि ये सब होकर रहेगा.लेकिन जो लोग अमर बिल मारूफ़ और नहीं अनिल मुनकर करते रहे वो काम्याबों में हैं .

अब बचेगा वही जो चौकन्ना होगा और रब के हुक्मों……

आप जानते हैं न ,क़ुदरत भी सरवाईवल ऑफ द फिटेस्ट की नीति पर काम करती है. दानिशमंदी और ईमान व अमल इख़्तियार करें. जिस्मानी, ज़हनी, और रूहानी तौर पर मजबूत बनें और दूसरों को बनाएं. कम्फर्ट जोन से बाहर आ जाएं. मेहनती और मुजाहिद (परिश्रमी ) बने .कुएं के मेंढक बनकर न जियें बल्कि दुनियाबी स्तर पर जो घटनाक्रम चल रहा है उस से इबरत लें और जद्दोजहद करें. क्योंकि अब बचेगा वही जो रब के हुक्मों को नबी के तरीकों पर पूरा करते हुए , लेटेस्ट technology और हुनरमंदी को सीखने में चौकन्ना रहेगा ,,,,,शुक्रिया …

न समझोगे तो मिट जाओगे ऐ हिन्दोस्ताँ वालो
तुम्हारी दास्ताँ तक न होगी दास्तानों में |||

Apeal

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