
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोगों से जन औषधि केन्द्रों की दवाओं का उपयोग करने का आग्रह करते हुए कहा है कि इन केन्द्रों के जरिए लोगों ने नौ हजार करोड़ रुपये की बचत की है। जन औषधि दिवस समारोह को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय जन औषधि योजना से गरीबों को दवाओं की ज्यादा कीमतों से बड़ी राहत मिली है। इन केंद्रों के माध्यम से गरीब और मध्यम वर्ग के परिवारों को हर साल 3600 करोड़ रूपये की बचत हो रही है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस केंद्र में सैनिटरी पैड एक रुपये प्रति पैड की मामूली दर से बेचे जाते हैं। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि जन औषधि योजना से लोगों को न सिर्फ इलाज कराने में मदद मिली है बल्कि इससे नौजवानों के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा हुए हैं। उन्होंने कहा कि देशभर में एक हजार से अधिक जन औषधि केन्द्र महिलाओं द्वारा संचालित किए जा रहे हैं।
इस अवसर पर श्री मोदी ने शिलंग में नॉर्थ ईस्टर्न इंदिरा गाँधी रीजनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ हेल्थ एण्ड मेडिकल साइंसेस-निग्रिहम्स में सात हजार पांच सौवां जन औषधि केन्द्र राष्ट्र को समर्पित किया। उन्होंने कहा कि 2014 तक देश में सौ से भी कम जन औषधि केन्द्र थे। उन्होंने बताया कि सरकार बहुत जल्द इस तरह के दस हजार और केन्द्र खोलने पर ध्यान दे रही है।
संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष मनाने की घोषणा की है। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में मोटे अनाज की पैदावार बढ़ेगी जिससे छोटे किसानों को फायदा पहुंचेगा। उन्होंने कहा कि भारत ने योगा को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। उन्होंने कहा कि कोविड टीकाकरण के मामले में भारत न केवल अपनी मदद कर रहा है बल्कि दूसरे देशों की भी सहायता कर रहा है।
प्रधानमंत्री ने जन औषधि योजना के लाभार्थियों के साथ भी बातचीत की। अहमदाबाद के एक लाभार्थी राजू से श्री मोदी ने आग्रह किया कि वे कोविड टीकाकरण केन्द्र में जरूरतमंद लोगों की स्वेच्छा से मदद करें। दीव के इरशाद ने बताया कि जब उन्होंने जन औषधि व्यवसाय अपनाया और जेनेरिक दवाओं की दुकान खोली तो किस तरह उनकी आमदनी तीन गुना बढ़ गई।
इस अवसर पर इस क्षेत्र में उत्कृष्ट काम करने वाले लोगों को पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।