अलवर कोर्ट में भी पुलिस और वकीलों की भिड़ंत
यह परीक्षा , अपेक्षा और प्रतीक्षा की घडी है :दिल्ली पुलिस कमिश्नर
आज़ाद हिन्द के इतिहास में पुलिस सुरक्षा , वकील और जज्ज इन्साफ मांगते नज़र आये , वाक़ई नया इतिहास लिखा जा रहा है भारत का ,क्या कव्वा मोती ही खायेगा ???
आपको याद होगा हमारे ग्रह मंत्रीजी शाह साहब अपने बयानों में अक्सर यह कहते सुनाई पड़े हैं कि अब देश का नया इतिहास लिखा जाएगा , और हमें अब कोई नहीं रोक सकता नया इतिहास लिखने से , बिलकुल सत्य कह रहे हैं आप शाह साहब आपको कोई नहीं रोक सकता ,लेकिन आपके दौर के इतिहास को याद भी रखा जाएगा कि देश में एक दौर ऐसा भी आया था जब पुलिस सुरक्षा मांग रही थी , वकील और जज्ज इन्साफ मांग रहे थे ।
जब देश की कार्यपालिका या दूसरी एजेंसियों में अपनी ड्यूटी करते समय विचारों का मतभेद सामने आता है तो उसके नतीजे टकराव होना लाज़मी है , जबकि सरकारी एजेंसियों का लक्ष्य संविधान के अनुसार जनता और देश की सेवा ही उनका लक्ष्य होना चाहिए ।किन्तु देश में बोरोक्रेसी , पुलिस यहाँ तक की नयायपालिका पर भी वैचारिक मतभेदों के आरोप लगते रहे हैं ।
जबकि देश का हर एक सरकारी अधिकारी , कर्मचारी , विधायक , सांसद ,वकील या जज्ज सभी देश में एकता अखंडता , सम्प्रभुता और नयाय की शपथ लेकर ही अपनी ड्यूटी शुरू करते हैं , किन्तु धरातल पर इसके विपरीत दिख रहा होता है , अपितु कुछ सरकारी लोग आज भी अपने फ़राइज़ को ईमानदारी से अंजाम देते हुए दिखाई देते हैं ।
क़िस्सा है तीस हज़ारी में पुलिस और वकीलों के बीच झड़प का , अब उसके असरात देश भर में दिखाई देने लगे हैं ,पुलिस और वकीलों के बीच दिल्ली की जंग अब दूसरे राज्यों में भी फैल गई है। राजस्थान की अलवर कोर्ट में वकीलों और पुलिस के बीच भिड़ंत हो गई है। अलवर कोर्ट में वकीलों ने हरियाणा पुलिस के एक जवान पर हमला बोला है।
बता दें कि दिल्ली में आज अलग-अलग हिस्सों में वकील पुलिस के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। जिस तरह दिल्ली पुलिस के समर्थन में अन्य IPS संगठन आ रहे हैं, वैसे ही वकीलों के समर्थन में अन्य राज्यों के वकील आ रहे हैं।
हाईकोर्ट में बार काउंसिल की ओर से कहा गया है कि पुलिस को यह बताना होगा कि गोली चलाने वाले पुलिस के खिलाफ क्या करवाई की गई है। पुलिस अपने मामले की छुपाने की कोशिश कर रही है। बार काउंसिल ने कहा कि साकेत की घटना में दिल्ली पुलिस ने सेक्शन 392 के तहत मामला दर्ज किया, पुलिस ने डकैती का मामला दर्ज किया है। यह पावर का गलत इस्तेमाल कर रहे है, वकीलों की तरफ से राकेश खन्ना ने दिल्ली हाइकोर्ट से कहा कि मीडिया रिपोर्टिंग पर बैन लगाने का आदेश देना चाहिए।
वकीलों और पुलिस के बीच के इस पूरे घटनाक्रम में सेर को सवा सेर कि मिसाल सत्य सिद्ध होती नज़र आई , दिल्ली पुलिस के बारे में एक चर्चा आम होगी थी कि दिल्ली कि पुलिस का अदना कर्मचारी दिल्ली के विधायक को कुछ नहीं समझता और उसके विरुद्ध अपनी पॉलिक्या वर्दी का पूरा रॉब झाड़ता है , जबकि हालिया इस घटना ने यह साबित कर दिया कि वकील पुलिस वालों को भी दौड़ा सकते हैं और उनपर कोई मुक़द्दमा तक दर्ज नहीं होगा ।
इसका मतलब यह निकाला जा सकता है कि क़ानून का हथोड़ा आम नागरिक के लिए जल्दी चलता है जबकि क़ानून कि रक्षा की ज़िम्मेदार संस्थानों के लोगों पर हथोड़ा तो क्या क़लम तक नहीं चलता , क़ानून की यही कमज़ोरी अराजकता और अपराध को बढ़ावा देती है , जिसके लिए देश का राजनितिक सिस्टम पूरी तरह ज़िम्मेदार है ।
नैतिकता के आधार पर इस पूरे घटनाक्रम के बाद Law minister और Home MInister दोनों को ज़िम्मेदारी लेते हुए इस्तीफे देने चाहिए थे किन्तु ऐसा मुमकिन नज़र नहीं आता ।बस यही कारण है कि जो एक शरीफ और बेगुनाह नागरिक यहाँ इन्साफ के लिए बरसों कोर्ट के चक्कर काट कर चिता या क़बर तक पहुँच जाता है ।
जबकि गुनेहगार अपराधी सांसद , विधान सभा ,कॉर्पोरेटर और दुसरे चुनावों के लिए टिकट मांगने कि लाइन में आजाते हैं ।अब आप फ़र्क़ समझें आम नागरिक और राजनेता , तथा वकीलों और पुलिस के बीच इन्साफ की प्रक्रिया का । ऐसे में देश अम्न और शान्ति से चल पायेगा ? क्या विकास हो पायेगा ?
ऐसे में आप ही बताएं की आम इंसान के साथ इन्साफ की उम्मीदें कितनी बचती हैं , मगर देश का नागरिक आज भी संस्थानों से बेहतर उम्मीद रखते हुए सरकार के हर एक आदेश के पालन को निभाने की कोशिश कर रहा है, या निभाने के लिए मजबूर है ।
हालांकि यह भी सही है कि सरकार में बैठे नेताओं के रिश्तेदार ,सम्बन्धी अपने असर रुसूख़ के जोम पर आये दिन जुर्म करते दिखाई पड़ते हैं , दरअसल होता ही यह है की अपराधियों को जब सियासी संरक्षण प्राप्त होता है तो अपराध बढ़ता है और यहाँ तो हर तीसरे घर में नेता जी का रिश्तेदार मिल जाता है , और रोड पर जुर्म करके नेता जी को फोन घुमाता नज़र आपको भी आता ही होगा ।
courtesy bbc
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