केजरीवाल चुनावी हिंदू,भाजपा का आरोप
शीला दीक्षित के दिल्ली विकास मॉडल को सामने रखा गया
राम मंदिर का विरोध किया, मंदिर-गुरुद्वारों के बाहर शराब ठेके खोले; चुनाव आते ही केजरीवाल को पुजारियों-ग्रंथियों की याद आई .
Delhi Assembly Election: दिल्ली विधान सभा चुनाव की सरगर्मियां सर्दियों में शुरू हो गई हैं .आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू हो गया है . इसी बीच भाजपा ने अरविन्द केजरीवाल पर घातक सियासी हमला बोला है .
दरअसल चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी (AAP) मंगलवार को राजधानी में पुजारी-ग्रंथी योजना लॉन्च करेगी। इसके तहत दिल्ली के पुजारियों और ग्रंथियों को 18 हजार रुपए हर महीने सैलरी देने का वादा किया गया है। केजरीवाल ने 30 दिसंबर को कहा था कि अगर वे सत्ता में फिर से आए तो योजना लागू करेंगे।
इस ऐलान के बाद भाजपा ने X पर पोस्ट कर अरविंद केजरीवाल को चुनावी हिंदू बताया है। भाजपा ने लिखा- जो 10 साल से इमामों को सैलरी बांटता रहा। जो खुद और उनकी नानी प्रभु श्रीराम का मंदिर बनने से खुश नहीं थे। जिसने मंदिर और गुरुद्वारों के बाहर शराब के ठेके खोले। जिसकी पूरी राजनीति हिंदू विरोधी रही, उसे अब चुनाव आते ही पुजारियों और ग्रंथियों की याद आई?
इसके बाद आम आदमी पार्टी ने भी X पर पोस्टर जारी कर भाजपा को ओपन चैलेंज दिया है। इसमें लिखा है कि बीजेपी में हिम्मत है तो अपने 20 राज्यों में पुजारियों-ग्रंथियों को 18 हजार रुपए की सम्मान राशि दे।
केजरीवाल ने मंगलवार से कनॉट प्लेस स्थित हनुमान मंदिर से अपनी पत्नी के साथ पुजारी ग्रंथी सम्मान योजना का रजिस्ट्रेशन शुरू किया । वहीं, मुख्यमंत्री आतिशी करोल बाग स्थित गुरुद्वारे से रजिस्ट्रेशन शुरू कर चुकी हैं ।
मस्जि के इमामों का दावा- 17 महीने से सैलरी नहीं मिली
दूसरी तरफ दिल्ली वक्फ बोर्ड के इमामों ने 30 दिसंबर को केजरीवाल के घर के बाहर प्रदर्शन किया था। इमामों का दावा है कि उन्हें 17 महीने से सैलरी नहीं मिली है। ऑल इंडिया इमाम एसोसिएशन के चेयरमैन साजिद रशीदी ने कहा कि वेतन में देरी को लेकर पिछले 6 महीनों से CM, LG समेत अधिकारियों से मुलाकात कर रहे हैं, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला।
भाजपा बोली- आम आदमी पार्टी की घोषणा हवा-हवाई
भाजपा के प्रवक्ता अमित मालवीय ने केजरीवाल के पुजारी-ग्रंथी सम्मान योजना को लेकर कहा था कि महाठग अरविंद केजरीवाल ने 10 साल बाद मंदिरों के पुजारियों और गुरुद्वारा साहिब के ग्रंथियों को ठगने के लिए नई योजना की घोषणा की है। लेकिन दिल्ली में कितने पुजारी और ग्रंथी हैं, उन्हें इसका पता तक नहीं है। बस चुनाव से पहले झूठे वादों की झड़ी लगा दी गई है।
अमित मालवीय ने मस्जिद के इमामों की तनख्वाह का हवाला देते हुए कहा वे लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं।और केजरीवाल सर्कार 17 महीने से उनको घुमा रही है .मालवीय ने कहा दिल्ली वाले जानते हैं कि हिंदू विरोधी AAP की यह घोषणा भी केवल हवा-हवाई है।
केजरीवाल की 5 नई योजनाओं का ऐलान
दिल्ली विधानसभा का मौजूदा कार्यकाल 23 फरवरी 2025 को खत्म हो रहा है। उससे पहले कभी भी चुनाव हो सकते हैं।
पिछला विधानसभा चुनाव फरवरी 2020 में हुआ था, जिसमें आम आदमी पार्टी ने 70 में से 62 सीटें जीतकर पूर्ण बहुम हासिल किया था .
अरविंद केजरीवाल ने घोषणा की कि बुजुर्गों के लिए संजीवनी योजना के तहत 60 साल से ऊपर के बुजुर्गों का मुफ्त इलाज होगा। केजरीवाल ने साफ किया कि ये इलाज सभी बुजुर्गों के लिए मुफ्त होगा, चाहे वो किसी भी कैटेगरी में आते हों।
महिलाओं के लिए महिला सम्मान योजना के तहत महिलाओं को हर महीने ₹1000 रुपए देने का ऐलान किया। इसे महिला सम्मान योजना नाम दिया गया है। 18 साल की उम्र पूरी करने वाली हर महिला इस स्कीम के दायरे में आएगी। चुनाव के बाद रकम को बढ़ाकर ₹2100 किया जाएगा।
ऑटो चालकों के लिए 4 बड़े ऐलान करते हुए केजरीवाल ने ऑटो चालक की बेटी की शादी के लिए 1 लाख रुपए, होली-दिवाली पर वर्दी बनवाने के लिए ढाई-ढाई हजार रुपए, 10 लाख रुपए का लाइफ इंश्योरेंस और 5 लाख का एक्सीडेंटल इंश्योरेंस देने का ऐलान किया। बच्चों की कोचिंग का खर्च भी दिया जाएगा।
5 लाख लोगों को हर महीने ₹2500 तक पेंशन बुजुर्गों की पेंशन स्कीम को दोबारा शुरू करने का ऐलान किया। स्कीम में 80 हजार नए बुजुर्गों को और जोड़ा गया है। पहले 4.50 लाख लोगों को इस स्कीम का फायदा मिलता था। अब पांच लाख से ज्यादा इसके दायरे में आएंगे।
निष्कर्ष :केजरीवाल सरकारद्वारा किये गए सभी चुनावी घोषणाओं की समीक्षा की ज़रुरत है , किस योजना का कितना प्रतिशत दिल्ली वासियों को लाभ मिला है . लोगों से बात करने पर जनहित योजनाओं का लाभ हासिल करने वाले नागरिकों की संख्या काफी काम है .
अब चाहे वो योजनाएं केंद्र सरकार की हों या केजरीवाल सरकार की . ऐसे में जनता का रुझान कांग्रेस की तरफ दिखाई दिया और शीला दीक्षित के दिल्ली विकास मॉडल को सामने रखा गया . मगर कांग्रेस अपने चुनावी वादों को अपने राज्यों में कितना इम्प्लीमेंट कर रही है इसकी समीक्षा भी जनता के हित ज़रूरी होगी .