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1998 से भारत की जासूसी कर रहा पाकिस्तानी हिंदू, लगा पुलिस के हाथ.

1998 से भारत की जासूसी कर रहा पाकिस्तानी हिंदू, लगा पुलिस के हाथ.

पिछले 24 सालों से भारत में रहे एक पाकिस्तानी हिंदू को कथित तौर पर पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। आरोपी 1998 से दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के भाटी माइंस में रह रहा है। भाग चंद नाम के इस आरोपी को 17 अगस्त की सुबह करीब 5 बजे पुलिसकर्मियों ने गिरफ्तार कर लिया।

पुलिस पिज्जा डिलीवरी बॉय होने का नाटक कर सादे कपड़ों में पहुंची थी। भाग चंद लेबर सुपरवाइजर के रूप में काम करता है। वह 1998 में पाकिस्तान से भारत आया था। भाग चंद की पत्नी और मां को इस बात पर यकीन नहीं हो रहा कि वह किसी राष्ट्र विरोधी गतिविधि में शामिल हो सकता है।

भाटी का तीन बच्चों और बुजुर्ग माता-पिता सहित आठ लोगों का परिवार संजय कॉलोनी में दो कमरों में रहता है। बता दें कि भाटी माइंस (संजय कॉलोनी) को पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थियों के लिए संजय गांधी द्वारा बसाया गया था। यह मूल रूप से पाकिस्तानी हिंदुओं के लिए बनी हुई बस्ती है।

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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भागचंद मजदूरी कर रोज 600 रुपये कमाता था। आज से करीब 24 साल पहले 1998 में भागचंद पाकिस्तान के खैरपुर से परिवार के साथ दिल्ली आया था। उसके परिवार में तीन बुजुर्ग अभिवावक, बच्चों समेत 8 लोग रहते हैं।

भाग चंद को पाकिस्तान से आने के बाद भारतीय नागरिकता भी मिल गई। भागचंद से पहले पुलिस ने इसी मामले में 27 साल के नारायण लाल को भी गिरफ्तार किया गया था। भागचंद के बारे में खुलासा नारायण लाल ने किया था। रिपोर्ट के मुताबिक केंद्रीय जांच एजेंसी और राजस्थान पुलिस की संयुक्त पूछताछ में भीलवाड़ा के नारायण लाल ने बताया था कि इस दूसरे आरोपी ने पांच भारतीय सिमकार्ड किसी को भेजे थे। उसने पुलिस को आरोपी का नाम भागचंद बताया।

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इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक ‘आबिद’ नाम के एक ISI ऑपरेटिव ने भागचंद से मिलने के लिए उसके मामा का इस्तेमाल किया था। फिर दोनों वॉट्सऐप पर बातचीत भी करने लगे। भागचंद ने राजस्थान पुलिस और केंद्रीय एजेंसी को बताया है कि आबिद पाकिस्तानी नंबर के जरिये उससे संपर्क करता था। 2020 में उसने आबिद को एक भारतीय वॉट्सऐप नंबर मुहैया करा दिया था। रिपोर्ट के मुताबिक आबिद ने भागचंद से कहा कि वो भारत के सैन्य इलाकों का दौरा करे, सेना के अधिकारियों से दोस्ती बनाए, उन्हें उससे मिलवाए। यही नहीं, इसके लिए भागचंद को आबिद से पैसे भी मिले थे।

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