मुझे यह बात कहने में क़तई कोई झिजक नहीं है की देश की मर्यादा और सरहदों की हिफाज़त करने वाले सिपाही की क़ुरबानी पर राजनीती अपराध होना चाहिए,हम समझते हैं देश की सत्ताधारी पार्टी फ़ौज का इस्तेमाल अपने राजनितिक हित के लिए नहीं कर रही है, लेकिन अगर वो ऐसा कर रही है तो यह देश के साथ गद्दारी जैसा है ।विपक्ष का तो काम है किसी भी सूरत में सत्ता पक्ष को पटकी देना,मगर कहा जाता है की जिस देश में विपक्ष कमज़ोर हो देश कमज़ोर होजाता है ।ऐसी सूरत में सत्तापक्ष की ज़िम्मेदारी बहुत बढ़ जाती है मगर अफ़सोस सरकार में मंत्रियों और नेताओं की ब्यान बाज़ी बेहद ग़ैर ज़िम्मेदार और सांप्रदायिक है।
अब बात आती है नीयत की ,जिस तरह से उडी हमले के बाद २० जवानों की हत्या हुई ,और पाक ने इस हमले से पल्ला झाड़ा ,उसके बाद इंडियन आर्मी ने प्रतिकिर्या करते हुए सर्जिकल स्ट्राइक किया ,उसको भी पाक के साथ अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने नकारा,साथ ही UN ने भी इसकी सच्चाई पर सवालिया निशाँ लगाया ,दूसरी ओर भारतीय सत्ता पक्ष व मीडिया और दुसरे सियासी धड़ों ने स्ट्राइक को मोदी सरकार की जीत और कामयाबी बताने में ज़मीन आसमान के कुलाबे लगा दिए ,ऐसे में दुनिया के सामने अपनी कार्रवाई को सुबूत के तौर पर स्ट्राइक की वेडिओज़ को दिखाना केंद्र सरकार के लिए ज़रूरी बन जाता है ।
रहा फ़ौज के मोरल ,जांबाज़ी,बहादुरी और कार्रवाई का सवाल तो उसने तो आज़ादी के बाद से 62 , 65 ,71 , और कारगिल में अपने जोहर दिखाएँ हैं उसकी वफादारी पर किसी शक की गुंजाइश ही नहीं ।जैसे देश में हर वर्ग का अपना काम है ,लोहार गर्मी के मौसम में आग की भट्टी के सामने बैठकर इंसानी ज़रुरत के सामान बनाता है ,किसान ठण्ड के मौसम अपने खेत को पानी लगता है ,रोड बनाने वाला मज़दूर चिलचिलाती धूप में पत्थर तोड़ने का काम करता है ,सरकारी कर्मचारी,अधिकारी हर हाल में अपनी ड्यूटी को पूरा कर रहा होता है इसी तरह देश का जवान अपनी सरहदों की हिफाज़त में अपना फ़र्ज़ अंजाम देता है ।और यह सिस्टम है की हर एक की मेह्नत और इनकम का हर एक नागरिक को लाभ होरहा होता है और हर एक नागरिक देश की तरक़्क़ी या विकास में अपना चाहे अनचाहे किरदार अदा कर रहा होता है।
लेकिन अफ़सोस तो जब होता है जब देश के सपूत और माँ के लाल के खून पर राजनीती होती है ।सरहदों पर गोली और तोपों से वॉर होता है और देश के अंदर मीडिया वॉर छिड़ा होता है ।ये सही है जिस तरह मोदी सरकार में योजनाओं ,नातियों और विचार धरा का मीडियाकरण हुआ है वो कांग्रेस के दौर में नहीं हो पाया ।देश में मेंहगाई , भ्रष्टाचार,बेरोज़गारी,साम्प्रदायिकता,असहिष्णुता ,और खौफ का जो माहौल पैदा हुआ वो पहले से ज़्यादा है ।ऐसे में देश की जनता की बुनयादी ज़रूरतों से ध्यान हटाकर कुछ को छोड़कर देश की सारी मीडिया को पड़ोस के पीछे लगा देना अक्लमंदी नहीं ।हमारा जीडीपी रेट ,PPP यानि पर्चासिंग पावर पैरिटी रेट तथा पावर्टी यानि ग़रीबी दुसरे देशों के मुक़ाबले काफी दैयनीय हालत में है जिसपर चर्चा होनी चाहिए साथ ही देश के अंदर सोहाद्र और सद्भाव का माहौल बनाया जाना चाहिए जो किसी भी देश की रीढ़ की हड्डी की तरह है
इस सब से हटकर धार्मिक और जातिगत भावनाओं को भड़काकर , साम्प्रदायिकता फेलाकर वोट धुर्वीकरण की सियासत , देश की जनता को वोट की खातिर बेवक़ूफ़ बनाना अपने पैर में कुल्हाड़ी मारने सामान है । देश की जनता बोल रही हम देश के साथ हैं पार्टी के नहीं मगर कुछ सोशल मीडिया और चौराहों के लोग हैं जिनको लगाया गया है की सरकार द्वारा चलाये गए हर मिशन को राष्ट्रीयता से जोड़ना है और जो भी हमारे मिशन का विरोध करे उसको देश द्रोह बनादो ये देश के लिए अत्यंत खतरनाक राजनीती है जिसका नतीजा देश के कई बटवारों तक जा सकता है । ali aadil khan editor times of pedia group