दिल्ली नगर निगम के चुनाव में भी बड़ी कामयाबी मिलने पर बीजेपी को हमारी ओर से मुबारकबाद,मगर एक मसला यह है की मुबारकबाद केंद्रीय समिति को दी जाए या प्रदेश कार्यालय को ,क्योंकि इस चुनाव को भी मोदी लहर से जोड़ा गया जबकि मनोज तिवारी भी ताल ठोकते नज़र आये ,मगर जिसको मुबारकबाद दी जायेगी उसी की जवाबदही भी होगी .बीजेपी में पार्षद के उम्मीदवारों में एक भी निवर्तमान प्रत्याशी को टिकट न दिए जाना इस बात की ओर इशारा करता है की बीजेपी कार्येकार्णि ने क़ुबूल किया की हम लोग दिल्ली में निगम की ज़िम्मेदारी नहीं निभा सके इसलिए पिछली पूरी टीम को एक तरह से निकम्मा कहते हैं और नई टीम पर एक बार फिर भरोसा करें और सेवा का मौक़ा दें .योजना कामयाब रही सीटें बढ़ीं हालांकि वोट परसेंटेज घटने के बावजूद ज़्यादा सीटों का मिलना “ग़ैर बीजेपी” वोट और विपक्ष के बिखर जाने का कारण रहा है।
भारतीय जनता पार्टी अब हर प्रकार के चुनाव को लोकसभा के आम चुनाव की तरह राष्ट्रीय बनाकर लड़ रही है,और मोदी लहर से जोड़कर देखा जा रहा है , दिल्ली नगर निगम के चुनाव के दौरान काफी लोगों से मिलने का इत्तेफ़ाक़ रहा जिसमें पता चला की अभी दिल्ली की लगभग 60 % जनता को यह नहीं पता है की दिल्ली सरकार के अधीन दिल्ली नगर निगम नहीं आता ,निगम की सारी नाकामी और निकम्मेपन का ठीकरा दिल्ली के मुख्यमंत्री के सर फोड़ते जब लोगों को सुना तो तभी समझ आगया था की AAP के लिए यह चुनाव जीतना टेढ़ी खीर होसकता है ,इसके लिए मीडिया प्रोपेगंडा की ज़रुरत है मगर इस बार केजरीवाल टीम इसके लिए भी तैयार नज़र नहीं आई ,फिर AAP के विधायकों के साथ दिल्ली पुलिस और केंद्र सरकार का बर्ताव असंवेधानिक और अनैतिक सा दिखाई दिया,जिससे जनता में मैसेज यह गया की आम आदमी पार्टी या केजरीवाल सरकार चलाने के लिए सक्षम नहीं हैं , मतलब AAP सरकार को अपांग सा बनाकर पेश करदिया गया जनता के सामने और लोगों को लगा AAP भी दूसरी पार्टियों की तरह भ्रष्ट , दबंगों ,रिश्वतखोरों और मवालियों की पार्टी है ।जबकि यह सच है जो काम दिल्ली में AAP की सरकार में हुए वो सराहनीये रहे हैं,अगर इनको केंद्र का सहयोग होता या कम से कम आज़ादी के साथ केजरीवाल को काम करने दिया गया होता तो दिल्ली और दिल्ली वालों की स्तिथि में और सुधार आया होता।
इस बार निगम के चुनाव में देश भर में उठाये गए भावनात्मक (Emotional) मुद्दों को भुनाया गया है ,आपने भी एक बात महसूस की होगी , इस बीच TV की चर्चाओं में ज़्यादातर धार्मिक व Emotional मुद्दे ही छाये रहे जो जनता की आँखों से दिल तक उतारे गए ,वर्ना बीजेपी खुद इस बात को मानती है की दिल्ली नगर निगम अपनी ज़िम्मेदारी को निभाने में नाकाम रहा है ।इस सबके बावजूद हाल में हुए विधान सभा और दिल्ली नगर निगम के चुनावों में बीजेपी की भारी जीत बताती है “कुछ तो है जिसकी पर्दादारी है ” अब सच्चाई यही है की यदि देश में विधान सभा और निकाय व निगमों के चुनावों में जीत का सेहरा मोदी लहर के सर बंधा है तो उत्तरदायित्व भी उनके कन्धों पर ही जाना चाहिए ,क्या वो इसको क़ुबूल करेंगे ? क्या बीजेपी शासित प्रदेशों और निकायों में होने वाली हर नाकामी और भ्रष्टाचार को वो अपनी नाकामी से जोड़ने को तैयार हैं ?Editor’s desk
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