नई दिल्ली: Top Bureau/आखिरकार समाजवादी पार्टी में मुलायम और अखिलेश के बीच जारी राजनीतिक जंग में पहलवान मुलायम को धोबी पाट मार अखिलेश ने सियासी कुश्ती जीत ही ली ,हालांकि अभी यह कहना मुश्किल है की यह जंग थी या ड्रामा ,मगर मुलायम अपने बेटे के सियासी करियर को बनाने के लिए कहाँ तक जाएंगे विशेषज्ञों के लिए समझना मुश्किल होगया है ।फिलहाल चुनाव आयोग से मुलायम गुट को करारा झटका लगा है. आयोग ने सोमवार को पार्टी के चुनाव चिह्न ‘साइकिल’ अखिलेश के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी को देने का फैसला सुनाया । दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद ही आयोग ने यह फैसला लिया है ।
आयोग के फैसले से खुश , चाचा रामगोपाल यादव ने कहा, मुलायम सिंह यादव खेमे के पास चुनाव चिह्न पाने के लिए जरूरी दस्तावेजी ताकत नहीं थी.’ इस फैसले के बाद अखिलेश समर्थकों में भारी उत्साह देखा गया।इसके बाद इसकी सम्भावना बढ़ गयी है की कांग्रेस के साथ अखिलेश चुनावी गठबंधन की घोषणा कर सकते हैं , यह भी अटकलें लगाई जा रही हैं कि अखिलेश की पत्नी और सपा सांसद डिंपल यादव तथा कांग्रेस की ओर से प्रियंका गांधी वाड्रा साथ मिलकर चुनाव प्रचार कर सकती हैं.
अखिलेश और मुलायम सिंह यादव के वकीलों ने शुक्रवार को चुनाव आयोग में अपना अपना पक्ष रखा था. अखिलेश यादव के वकील कपिल सिब्बल ने चुनाव आयोग के सामने दलील दी थी कि पार्टी के संगठन के साथ सांसद, विधायक और एमएलसी अखिलेश के साथ हैं, इसलिए नियमों के अनुसार असली समाजवादी पार्टी अखिलेश यादव के नेतृत्व में ही आएगी ।उधर, मुलायम सिंह यादव के वकीलों ने अखिलेश यादव की ओर से पेश किए गए सांसदों और विधायकों के समर्थन के दस्तावेजों पर सवाल उठाए थे. साथ ही रामगोपाल यादव की ओर से बुलाए गए उस सम्मलेन पर भी सवालिया निशान लगाया था जिसमें अखिलेश को पार्टी सुप्रीमो चुना गया।
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