अब विचारों पर भी लगेगी पाबंदी ,किन्तु सुप्रीम कोर्ट पर जनता का विश्वास स्थिर
विचारकों की गिरफ्तारी पर पुणे पुलिस को सुप्रीम कोर्ट ने दिया झटका , कहा सिर्फ़ आप नज़रबंद कर सकते हैं ,गिरफ़्तार करके नहीं लेजा सकते अपनी मर्ज़ी से
नई दिल्ली:महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में महाराष्ट्र सरकार की जानिब से की गई पांच लोगों की गिरफ्तारी के सबंध में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा आदेश देते हुए कहा कि ये सभी आरोपी 6 सितंबर तक अपने अपने घर पर ही नजरबंद रहेंगे।
मंगलवार को पुणे पुलिस ने देशभर के कथित नक्सल समर्थकों के घरों व कार्यालयों पर ताबड़तोड़ छापेमारी के बाद कवि वरवरा राव, अरुण पेरेरा, गौतम नवलखा, वेरनोन गोन्जाल्विस और सुधा भारद्वाज को गिरफ्तार किया था। इन सभी के ख़िलाफ़ पुलिस ने 153 गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम ऐक्ट के तहत केस दर्ज किया।
बता दें कि भीमा कोरेगांव युद्ध की 200वीं वर्षगांठ के दौरान 31 दिसंबर 2017 को नए साल के दिन पुणे में दलित समूहों और दक्षिणपंथी हिंदू संगठनों के बीच दंगा भड़क गया था जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। 31 दिसंबर 2017 को पुणे में एलगार परिषद का आयोजन किया गया था। इस परिषद के दूसरे दिन भीमा कोरेगांव में हिंसा हुई थी। हिंसा के लिए एलगार परिषद के आयोजन पर भी आरोप लगाया गया था।
इस मामले में जून 2018 में रोना जैकब विल्सन, सुधीर ढावले, सुरेंद्र गाडलिंग, शोमा सेन और महेश राउत को गिरफ्तार किया गया था। विल्सन को दिल्ली से , ढावले को मुंबई से,सुरेंद्र , शोमा सेन और महेश राउत को नागपुर से गिरफ्तार किया गया था।
जिसके बाद पुलिस ने दावा किया था कि एक आरोपी के घर से ऐसा पत्र मिला था, जिसमें राजीव गांधी की तरह नरेंदे मोदी की हत्या जैसी प्लानिंग का जिक्र किया गया था। पुलिस की इस कार्रवाई का मानवाधिकार कार्यकर्ताओं द्वारा विरोध किया जा रहा है।
इन गिरफ्तारियों के विरोध में देश भर में अलग अलग संगठनों ने अपना ग़ुस्सा जताया है और सोशल मीडिया पर भारी रोष जताया जारहा है .इसके अलावा इन गिरफ्तारियों को देश में आपातकाल जैसी स्थिति से समानता दी गयी है .कुछ ग्रुप्स इसको हिटलरशाही से भी ताबीर कररहे हैं .कुछ संस्थाओं और बुद्धि जीवियों ने इसको सत्तापक्ष की नाकामी भी बताया है और कहा की की BJP को अपनी नाकामी नज़र आने लगी है इसके चलते वो इस प्रकार के काम हड़बड़ाहट में कर रही है .