वैसे तो क़त्ल अपने में ही बहुत भयानक लफ्ज़ है मगर जब क़त्ल की कहानी मीडिया के हाथ लग जाए तो उसका क्या हश्र होता है आप भली भांत जानते हैं , भारत के कई बड़े एक्सपेंसिव (खर्चीले) मामलों में एक आरुषि का मामला भी रहा है जो देश के क्रिमिनल केसेस की तारिख में यादगार माना जाता है .
डॉ तलवार और नूपुर की इकलौती बेटी जिस वक़्त खून से लत पत अपने बिस्तर पर पड़ी होगी उस वक़्त माँ और बाप का कलेजा क्या केहरहा होगा .किस हिम्मत से सामना किया होगा इकलौती बेटी (आरुषि) के माँ बाप ने उस वक़्त का जब उनका लगभग सब कुछ लूट रहा था , इज़्ज़त , शोहरत , सुकून , प्यार , लाड ,ममता ,प्रोफेशन और पैसा सब कुछ लुट गया था।
अदालत को आरुषि के मां-बाप के खिलाफ उनकी बेटी को कत्ल करने के सुबूत नहीं मिले हैं इस फैसले के बाद वे जेल से तो छूट जाएंगे…लेकिन करीब साढ़े नौ साल तक जिस दर्द को उन्होंने सहा और आगे भी जीते जी सहते रहेंगे ……वो कैसे वापस होगा? उस ट्रॉमा को…उस अज़ीयत को उनके अलावा दुनिया में कोई और महसूस नहीं कर सकता. वह दर्द सिर्फ उन्हीं का हिस्सा है. मगर हम महसूस कर सकते हैं और सबक़ भी लेसकते हैं।
डॉ तलवार के परिवार की सिंगापुर के जुरॉंग बर्ड पार्क की एक तस्वीर हमारे सामने आई जिसमें तीनों के हाथों पर रंग-बिरंगी चिड़िया बैठी हैं ,यह परिवार हर्ष ो उल्लास के मूड में दिखाई दे रहा है तभी मेरे ज़ेहन में आरहा था की ये माँ बाप अपनी इकलौती बेटी को अपने हाथ से तो क़त्ल नहीं कर सकते. तलवार दंपत्ति कि सजा भले माफ़ होगई हो, मगर दुनिया कि नज़र में वो अपनी बेटी का क़ातिल कि हैसियत से ज़िंदगी गुज़ारेंगे , उनके लिए यह सजा शायद किसी उम्र क़ैद या सजा इ मौत से काम न होगी , वो कैसे जियेंगे यह वही जानते होंगे ।
उस वक़्त बेहद तकलीफ हुई जब राजेश ने अपनी बेटी के लिए एक कैमरा ऑनलाइन आर्डर किया था और वो घर पर जब आया जब बेटी आरुषि को बाप चिता पर लिटाकर सुआहा करचुका था कैमरा जिसके ख़्वाबों को पूरा करने के लिए मंगाया गया था वो असलियत और खुआब की दुनिया से बहुत दूऊऊऊर चली गयी थी ।जहाँ से अब कभी वापस न आएगी ,और माँ , बाप जेल की सलाखों के पीछे , मगर वो वापस आगये ।
अनैतिकता और बच्चों की तरफ से लापरवाही कभी कभी ज़िंदगी जहन्नुम बना देती है , आजका माहौल कुछ इसी तरह का हुआ जारहा है या तो बच्चों को जो मर्ज़ी करने दिया जाए अगर रोका गया तो पूरी मुसीबत।माँ बाप ,बच्चों से डरे सहमे रहते हैं उसकी वजह सिर्फ यह है की उनकी शुरू से कोई तरबियत नहीं होती देखते देखते बच्चे शैतान के यार बन जाते हैं उसके बाद उनके सारे रिश्ते धीमे पड़ जाते हैं ,अपना कल्चर ,सभ्यता ,नैतिकता और आध्यात्म दूर दूर तक नहीं दिखता ।।समाज में फैली बुराइयों का एक कारण यह भी है कि बच्चों को आध्यात्म और ईमानदारी से दूर रखा जाता है ।देश में एक आरुषि सिर्फ मिसाल के लिए है वार्ना रोज़ सैकड़ों आरुशियों का ऐसे ही क़त्ल होता है जिसकी कोई कहानी नहीं बनती ।Editor’s desk
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