ईरान के साथ परमाणु करार तोड़ने के बाद अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप अब यह सुनिश्चित करने में लगे हैं कि तेल के कुओं से संपन्न इस देश की आर्थिक तौर पर कमर किस तरह तोड़ दी जाए.
बता दें जुलाई, 2015 में ईरान और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पाँच स्थाई सदस्यों के बीच परमाणु समझौता हुआ था. अमरीका के तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा ने समझौते के तहत ईरान के परमाणु कार्यक्रम को सीमित करने के बदले में प्रतिबंधों से राहत दी थी. लेकिन मई, 2018 में अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ये समझौता तोड़ दिया ।
ट्रंप ने ईरान में कारोबार कर रही विदेशी कंपनियों को निवेश बंद करने के लिए कहा है. अमरीका प्रतिबंधों का पालन नहीं करने वाली कंपनियों पर भारी जुर्माने की भी धमकी दे रहा है.
ईरान के साथ परमाणु करार करने वालों में शामिल यूरोपीय नेताओं ने ट्रंप को इस मुद्दे पर समझाने की भी कोशिशें की, लेकिन ट्रंप ने अपने चुनावी वादे को पूरा किया और ईरान के साथ ओबामा प्रशासन का किया करार ख़त्म करने का ऐलान कर दिया.
अब चूंकि अमरीका के सहयोगी देश इस मुद्दे पर उसके साथ नहीं है, लिहाजा ट्रंप अब ईरान को माली नुकसान पहुंचाने के लिए हर संभव दांव आजमाना चाहता हैं.
ट्रंप प्रशासन ने नया फ़रमान जारी कर कहा है कि भारत, चीन और पाकिस्तान समेत एशिया के देश ईरान से तेल आयात बंद कर दें.
यही नहीं, ट्म्प ने इसके लिए 4 नवंबर की डेडलाइन भी तय कर दी है और कहा है कि इस के बाद ईरान से तेल मंगाने वाले देशों के ख़िलाफ़ आर्थिक प्रतिबंध लगाए जाएंगे और इन देशों के ख़िलाफ़ रत्तीभर भी नरमी नहीं बरती जाएगी.
भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक इराक़ और सऊदी अरब के बाद भारत को तेल सप्लाई करने के मामले में ईरान का नंबर आता है. भारत और चीन पर अमरीका के कड़े रवैये की एक वजह ये भी है कि ईरान सबसे अधिक तेल निर्यात चीन को करता है और फिर दूसरे नंबर पर भारत है.
भारत के साथ ईरान के रिशते
भारत के कुल तेल आयात में ईरान का हिस्सा तकरीबन 10.4 प्रतिशत है. वित्त वर्ष 2017-18 के पहले 10 महीनों में यानी अप्रैल 2017 से जनवरी 2018 के बीच भारत ने ईरान से 18.4 मिलियन टन कच्चा तेल ख़रीदा. इस आंकड़े से ज़ाहिर है कि अपनी ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करने के लिए भारत के लिए ईरान कितना अहम रहा है. यही नहीं तेल आयात के लिए ईरान ने भारत के लिए शर्तों में कुछ रियायतें भी दी हैं.
तेल पर सियासत
अमरीका के इस तुगलकी फ़रमान को सियासी पार्टियों ने भी तुरंत लपक लिया. कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से सवाल किया कि क्या वो अमरीका की इस फरमान को मानेंगे और इसका पेट्रोल की कीमतों और देशहित पर क्या असर पड़ेगा?
कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया, “ईरान, भारत को कच्चे तेल का तीसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश है. प्रधानमंत्री और पेट्रोलियम मंत्री देश को बताएं कि क्या वे ईरान से तेल आयात नहीं करने की अमरीका की बात मानेंगे और पेट्रोल की कीमतों पर राष्ट्रीय हितों पर इसका क्या असर होने वाला है?”
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