आरएसएस के कार्यक्रम में क्या ऐसा कहसकते हैं ,पूर्व राष्ट्रपति ?
नई दिल्ली :नागपुर में होने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के परिशिक्षण कार्येकर्म के समापन समारोह में 7 जून को पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी मुख्य अतिथि की हैसियत से मोहन भगवत की दावत पर हिस्सा लेने जारहे हैं . प्रणव दा के निमंत्रण को क़ुबूल किये जाने के बाद से ही कांग्रेस में चुप्पी छाई हुई थी , कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे मुखर्जी के इस फैसले से पार्टी असहज हो गई है और उनसे फैसले पर पुनर विचार करने को कहा गया है. इन नेताओें में जयराम रमेश भी शामिल हैं.
उनसे पूछा गया की आपने RSS के कार्येकर्म में भाग लेने के लिए भागवत का निमंतरण स्वीकारा है तो आप वहां क्या कोई ख़ास बात करने जारहे हैं, या आपने RSS के साथ अपनी सहमति जताई है ? इस पर उनका जवाब था यह मैं नागपुर जाकर ही बताऊंगा .
डॉ. प्रणब मुखर्जी ने कहा, इस सम्बन्ध में मेरे पास बहुत से पत्र, निवेदन और फोन आए हैं, लेकिन मैंने किसी का भी अभी जवाब नहीं दिया है.’
उनके इस बयान के बाद से अब इस बात को लेकर चर्चा और बढ़ गई है कि आखिर पूर्व राष्ट्रपति 7 जून को नागपुर में क्या बोलेंगे. मुखर्जी ने यह बयान एक पत्रिका को दिया है.
पूरा जीवन कांग्रेस में बिता चुके वरिष्ठ नेता मुखर्जी के इस फैसले से पार्टी असहज हो गई है और उनसे इस फिर से विचार करने को कहा है. इन नेताओें में जयराम रमेश भी शामिल हैं.वहीं यूपीए सरकार की कैबिनेट में उनके साथी रहे पी. चिदंबरम ने भी उनको सलाह दी है , ‘श्रीमान आपने आरएसएस का निमंत्रण स्वीकार कर लिया है, वहां जाइये और उनको बताइये कि उनकी विचाधारा में क्या कमी है’.
हमें भी लगता है की प्रणव दा आरएसएस को इस अवसर पर देश के हिट में कुछ ख़ास नुस्खे देंगे और उनको बताएँगे की आज देश को जिस योजना और नीति ज़रुरत है उसपर काम किया जाए और गोलवलकर तथा सावरकर के आरएसएस से देश टूट जाएगा और खुद संघ को भी इसका लम्बे समय तक लाभ होने वाला नहीं है , यदि संघ का मक़सद देश को बांटना ही है तो अलग बात है .टॉप ब्यूरो