जब किसी व्यक्ति को मुजरिम बनाना हो या किसी संवेदनशील इंसान पर नज़र रखनी होती है तो उसकी पूरी जानकारी इकट्ठी करने के लिए ख़ुफ़िया एजेंसीज को लगाया जाता है ताकि उसकी सभी तफ्सील विभाग के पास रहे और वक़्त ज़रुरत उसकी सभी जानकारियां पब्लिक की जासकें और उसको मुजरिम बनाने के लिए सुबूतों का अकाल न रहे . किसी भी देशवासी की निजी ज़िंदगी में किये गए कामों को गुप्त रखना यह उसका नागरिक अधिकार है वो क्या खाता है क्या पीता है कहाँ सोता या जागता है और वो निजी ज़िंदगी को किस तरह गुज़ारता है , यह उसका नागरिक अधिकार या (right to privacy) को उस वक़्त छीन लिया गया जब उसकी तमाम जानकारियां ,उसकी पुतली के निशान , अंगूठे के निशान इत्यादि जानकारियों को बैंक अकाउंट ,ड्राइविंग लाइसेंस , गैस ,बिजली ,पानी कनेक्शन यहाँ तक की मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर कम्पनीज के साथ जोड़ना लाज़मी करदिया जिससे किसी भी नागरिक की प्राइवेसी एकदम समाप्त होगई .
जिस प्रक्रिया से एक मुजरिम को गुज़ारना होता है बिलकुल उसी तरह से आज भारत का हर नागरिक गुज़र रहा है , जानकारों के अनुसार इस तरह दुनिया को ग़ुलाम बनाने का यह कारगर फार्मूला है जिसको हमारी सरकार, जाने अनजाने दुनिया से साझा कर रही है .
इस सम्बन्ध में कल्याणी मेनन और मैथयू के अलावा कई अन्य उपभोक्ताओं ने सरकार के इस क़दम के खिलाफ याचिका दायर की थी , जिसपर कोर्ट ने सरकार को नोटिस भी इशू किया है .देखना यह है की इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर माननीय कोर्ट का क्या फैसला रहता है , याद दिला दें की सर्वोच्च न्यायालय right to privacy के तहत अपना फैसला सुना चुका है ,जिसके तहत नागरिक की पर्सनेल ज़िंदगी की जानकारी पब्लिक करना अपराध माना जाएगा ,जबतक की उसके खिलाफ किसी जुर्म की FIR न हो .ऐसे में आधार को मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर से लिंक करना कितना असंवैधानिक होगया है यह समझना सहज है चुनाचे इस गंभीर और संवेदनशील मुद्दे पर चर्चा होनी लाज़मी है .
मैं नहीं कहता की सरकार या अदालत को इसपर संज्ञान लेना चाहिए मगर ये ज़रूर कहता हूँ कि आज जो सरकार में हैं कल वो विपक्ष में भी होंगे या एक आम नागरिक कि हैसियत से भी रहेंगे उस वक़्त उनको भी एक आम नागरिक कि तरह ही कुछ इसी प्रकार की समस्यायों का सामना करना पड़ेगा जिस प्रकार आज हम और आप कर रहे हैं , दस्तावेज़ के तौर पर बता दूँ कि हमारा यह सुझाव होसकता है कुछ लोगों या सरकारी अधिकारीयों या एजेंसीज को पसंद न आये और हमको ही बलि का बकरा बना लिया जाए , और मुक़द्दमात लगाकर तड़ी पार करदिया जाए मगर हमको करोड़ों देश वासियों और देश हित में यह सौदा मंज़ूर होगा जिस तरह हिन्द कि आज़ादी के लाखों मतवालों ने अंग्रेज़ साम्राज्वादियों की नज़र मैं बाग़ी होकर अपनी क़ुर्बानियां देकर हमको आज़ादी दिलाई ,यह अलग बात है आम जनता आज फिर ग़ुलामी कि ओर बढ़ रहे हैं , जिसका एहसास जल्द ही अवाम को होजायेगा .
ऐसे में देश के नागरिकों के right to privacy अधिकार के तहत उनकी निजी जानकारियों और दिनचर्या को एक मुजरिम की तरह सरकार द्वारा इकठ्ठा करना जनता के विश्वास को तोड़ता है तथा अवाम में बेचैनी पैदा करेगा .लिहाज़ा देश में अम्न और शान्ति तथा भरोसे का माहौल रखने के लिए आधार को आधार के तौर पर इस्तेमाल किया जाए नाकि वाच डॉग की तरह .अन्यथा फिर यह unique identity की जगह Unique insecurity docoment कहलायेगा .जो इस बात का इशारा करेगा की यह नागरिक की सहूलत नहीं बल्कि उसपर घात लगाने के लिए बनाया गया है . आज देश के नागरिक की पहचान उसके नाम,समुदाय , या जाति से न होकर एक code से कीजाएगी जो किसी जानवर जैसा लगता है .जिस तरह जानवरों का रजिस्ट्रेशन उनके नाम या खानदान से नहीं बल्कि सिर्फ एक नंबर से होती है .
और यह जानवर बनाने की नीति दुनिया को ग़ुलाम बनाने वाली क़ौम और कंपनियों की ईजाद है जो अपने मक़सद को हल करने के लिए कभी भी १२ नंबर का आधार ब्लॉक् कर सकते हैं और कहा जायेगा जो हम कहें वो करो वरना तुम्हारा आधार बंद करदिया जाएगा अब आधार बंद तो सब कुछ इसी से लिंक्ड था अब आप बिलकुल नंगे हैं कितने ही अमीर आदमी हो भूके मरजाओगे तुम्हारी कोई पहचान नहीं होगी तुम सिर्फ एक नंबर होंगे जिसका कण्ट्रोल किसी और के हाथ में होगा . अमेरिका और योरोप में सोशल सिक्योरिटी नंबंर के विरोध में कई बार अवामी प्रदर्शन होचुके हैं हमारे यहाँ UID नंबर है और वहां social security code no . होता है .लिहाज़ा इस सम्बन्ध में देश की जनता को जागरूक रहने की ज़रुरत है .एक ओर आपको सुविधा के नाम पर दूसरी तरफ खौफ और डर दिखाकर दुनिया को कण्ट्रोल करलिया गया है , या आपको लूट लिया गया है . आज इंसान मोबाइल को चालू रखने के लिए कोई भी सौदा करसकता है किसी भी हद तक जासकता है यह इन्सान की बेसिक ज़रुरत बना दी गयी है जबकि २० साल पहले इसके बिना ज़िंदगी पुरसुकून थी .आज बैचैन है तब भी इसको छोड़ने के लिए तैयार नहीं है .