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यात्राओं से आगे की यात्रा : आपको ख़ास आमंत्रण

यात्राओं से आगे की यात्रा : आपको ख़ास आमंत्रण

पिछले दिनों में देश का कुछ ऐसा आलम था कि यहां सिर्फ एक ही आदमी बोलता था, बाकी सभी चुप थे. फिर कुछ हुआ कि बहुत सारे लोग, बहुत सारी दिशाओं से निकल पड़े !और बोलने लगे जो देश के हित में था .

यात्रायें निकलने लगीं .. एक साथ इतनी सारी यात्राएं शायद ही कभी हुई हों- छोटी-बड़ी कई यात्राएं ! सबसे लंबी यात्रा -पदयात्रा- राहुल गांधी नेकी.उन्होंने करीब आधा देश ही नाप डाला . इन सारी यात्राओं से देश में नई सकारात्मक हलचल हुई, क्योंकि हर यात्रा कुछ कहती चली है.

अब सारी यात्राएं पूरी होने को हैं. फिर क्या होगा ? क्या सब फिर से चुप हो जाएंगे ? अपने घरों में बंद हो जाएंगे ? ऐसा हुआ तो सारी यात्राएं व्यर्थ होजाएंगी !

इसलिए जरूरी है कि हमारे पांव चलें, मन चले और हमारी बातें चलें. हिंदोस्तां का आम नागरिक भी बोले. जनता बोले और सकारें उसकी सुनें. महात्मा गांधी ने गुलाम भारत को बोलना सिखलाया था.

भगत सिंह ने भी बहरों को सुनाने के लिए तेज आवाज उठाने की बात कही थी. इस यात्रा में कहीं मौलाना अबुल कलाम आजाद जुड़े तो कहीं बाबा खड्ग सिंह जुड़े. सब जुड़े तो भारत बोलने व चलने लगा , भारत फिर भारत सा लगने लगा .

ऐसा जब तक करते रेहना होगा जब तक इंसानियत, न्याय व भाईचारे को मजबूत करने वाला माहौल न बन जाए . हम बोलेंगे तो देश का आम नागरिक भी बोलेगा ,ज़ुल्म के खिलाफ खामोशी अब जुर्म होना चाहिए .

इसलिए यह आयोजन हम कर रहे हैं. राजधानी की सभी कौमों , जातियों मज़हबों , पार्टियों को हम इसमें शरीक करना चाहतेहैं.देश की सभी कौमें जो हमेशा से हिंदोस्तां का सरमाया बनी रही हैं, हमारी ढाल रही हैं.

हालांकि गुरबत भी देखी है ,गुमान भी जिया है. मगर देश की ज़िंदा क़ौमें न कभी डरी हैं ,न पीछे हटी हैं. यह मुल्क इनका है और ये मुल्क की हैं.

कहीं कुछ है जो खटक रहा है. लगता है जैसे कोई है कि जो देश को, हमारेअवाम को भटका रहा है . हमारी नई नस्ल को गलत रास्ता दिखला रहा है कोई . राजनीति वाले भले अपनी व अपनों की सुनें लेकिन हम तो मुल्क की अवाम की सुनेंगे ! मुल्क कराह रहा है.

आप देख रहे हैं कि देश में नफ़रत , ख़ौफ़ , दहशतगर्दी है, नशा है, हिंसा है और सीमा पार से भारत की मुखालफत करने वालों का बोलबाला है. बेरोजगारी , और मंहगाई फैली हुई है, सांप्रदायिकता ने सर उठा लिया है. अगर यही सब है तब तो न देश के लिए कोई आशा है, न समाज के लिए !

लेकिन इन यात्राओं ने हमें एक होंसला दिया है दूसरा हिन्दोस्तान भी दिखलाया है जो चलता है, बोलता है,जुड़ता है. वह आशा से भरा है. वह परिवर्तन चाहता है. हमें उस हिंदस्तान से बात करने उसके करीब पहुंचना होगा.

यह कैसे होगा ?इसका रास्ता खोजना है सोचना है. हमें लगता है कि हम सब साथ आएंगे तो नये लोग भी आ जाएंगे . लोग ही असली ताकत हैं, लोग ही आशा की किरण हैं.

गांधी शांति प्रतिष्ठान, ऑल इंडिया पीस मिशन और आइएमसीआर ने मिल कर एक प्रोग्राम
बनाया है. इस आयोजन में हम आपको सादर आमंत्रित करते हैं. कृपया नीचे के मोबाइल पर अपने आने की सूचना आज ही दें .

ताकि हमें आपकी व्यवस्था करने में सहूलत हो. आयोजन 4 फरवरी 2023 को सुबह 9.30 बजे से गांधी शांति प्रतिष्ठान(आईटीओ के पास) के सभागार में शुरू होगा तथा शाम 5 बजे तक चलेगा. चाय तथा भोजन की व्यवस्था रहेगी.

Organisers
दया सिंह : मुहम्मद अदीब : कुमार प्रशांत
9873222448 : 9868181945: 9819788661

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