कश्मीर अलगाववादी नेता यासीन मलिक की सजा की इस्लामी सहयोग संगठन की मानवाधिकार विंग ने निंदा करते हुए कहा था कि ये सिस्टेमैटिक भारतीय पूर्वाग्रह और कश्मीरी मुसलमानों के उत्पीड़न को दिखाता है।
ओआईसी- आईपीएचआरसी ने यासीन मलिक को एक कश्मीरी राजनीतिज्ञ बताते हुए कहा था कि उनको मिली सजा गलत है।
ऑर्गनाइजेशन ऑफ़ इस्लामिक को-ऑपरेशन ने भारत पर आरोप लगाते हुए कहा था कि इस तरह कृत्य निर्दोष कश्मीरियों के मानवाधिकारों का हनन करते है और उनके वैध अधिकारों से उन्हे वंचित करते है। इस्लामिक संगठन ने कहा था कि ये सजा न सिर्फ भारतीय न्याय का उपहास उड़ाता है बल्कि सबसे बड़े लोकतंत्र के दावों को भी उजागर करताऑर्गनाइजेशन ऑफ़ इस्लामिक को-ऑपरेशन ने भारत पर आरोप लगाते हुए कहा था कि इस तरह कृत्य निर्दोष कश्मीरियों के मानवाधिकारों का हनन करते है और उनके वैध अधिकारों से उन्हे वंचित करते है।
इस्लामिक संगठन ने कहा था कि ये सजा न सिर्फ भारतीय न्याय का उपहास उड़ाता है बल्कि सबसे बड़े लोकतंत्र के दावों को भी उजागर करता है।
इस्लामी सहयोग संगठन के आरोपों पर भारत ने शुक्रवार को जवाब दिया, भारत ने कहा कि ओआईसी की यासीन मलिक मामले में सजा पर आलोचना वाली टिप्पणी अस्वीकार्य है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने बयान जारी करते हुए कहा कि इस वक्त दुनिया आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस चाहती है और हम ओआईसी से इस पूरे मामले को उचित नहीं ठहराने का आग्रह करते हैं।
ओआइसी के स्वतंत्र स्थायी मानवाधिकार आयोग (आइपीएचआरसी) ने टेरर फंडिंग मामले में विशेष एनआइए कोर्ट द्वारा मलिक को उम्र कैद की सजा सुनाए जाने पर भारत की आलोचना की. ओआईसी ने भारत पर आरोप लगाते हुए ये तक कहा था कि निर्दोष कश्मीरियों के खिलाफ मानवाधिकारों के हनन के इस तरह के कृत्यों का उद्देश्य कश्मीरियों को उनके वैध अधिकार से वंचित करना है। यह न केवल भारतीय न्याय का उपहास है, बल्कि लोकतंत्र के दावों को भी उजागर करता है.