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वक़्फ़ संशोधन बिल 2024:JUH और MPLB के सदस्यों की बैठक 

वक़्फ़ संशोधन बिल 2024:JUH और MPLB के सदस्यों की बैठक 

प्रेस विज्ञप्ति

वक़्फ़ संशोधन बिल 2024:जमीयत उलमा-ए-हिंद और मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड के सदस्यों की संयुक्त संसदीय समिति के सदस्यों के साथ बैठक 

वक़्फ़ संशोधन बिल स्पष्ट रूप से हमारे धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप और वक़्फ के खिलाफ एक बड़ी साज़िश हैः- मौलाना अरशद मदनी

नई दिल्ली 19, अगस्त 2024

वक़्फ़ संशोधन बिल 2024 को लेकर अध्यक्ष जमीयत उलमा-ए-हिंद मौलाना अरशद मदनी के विशेष निर्देश पर जमीयत उलमा के सदस्य सभी विपक्षी दलों के नेता और संयुक्त संसदीय समिति के सदस्यों से लगातार मिल रहे हैं.

इन मुलाक़ातों के दौरान सदस्यों द्वारा जहां इस बिल के गलत और हानिकारक संशोधनों को चिन्हित किया रहा है वहीं यह बताने का प्रयास भी हो रहा है कि बिल पारित होने की स्थिति में मुसलमानों पर इसके क्या हानिकारक प्रभाव हो सकते हैं और किस तरह इस प्रकार के कानून की आड़ में मुसलमानों को उनकी वक़्फ़ संपत्तियों से वंचित किया जा सकता है।

इस सम्बन्ध में मुलाक़ातें राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर चल रही हैं, इसी सम्बंध में पिछले दिनों जमीयत उलमा महाराष्ट्र का एक प्रतिनिधिमंडल जे.पी.सी. में सदस्य के रूप में शामिल श्री म्हातरे बाल्य मामा (एन.सी.पी. शरद पवार) और अरविंद सावंत (शिवसेना) से मुंबई में मुलाक़ातें कीं।

आॅल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड और जमीयत उलमा-ए-हिंद का एक संयुक्त प्रतिनिधिमंडल 20 अगस्त को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. अस्टालिन से भी मुलाकात करने वाला है। बिहार समेत अन्य राज्यों में भी जमीयत उलमा के सदस्य राजनीतिक दलों के नेताओं और जे.पी.सी. के यदस्यों से मुलाक़ातें करके प्रस्तावित बिल की खामियों और इसकी हानिकारक धाराओं के बारे में बता रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि यह सदस्य एन.डी.ए. की सहयोगी पार्टियों तेलुगुदेशम, लोक जन शक्ति पार्टी और जे.डी.यू. के नेताओं से भी मुलाक़ातें करके इस असंवैधानिक और अन्यायपूर्ण बिल में मौजूद उन घातक धाराओं की ओर उनका ध्यान आकर्षित कराने का प्रयास कर रहे हैं जो पुराने बिल में संशोधन करके नए बिल में जोड़े गए हैं।

उन्हें बताया जा रहा है कि अगर अपने वर्तमान रूप में यह बिल पारित हो गया तो वक़्फ की सभी संपत्तियां असुरक्षित हो जाएंगी यहां तक कि उन पुरानी मसजिदों, मक़बरों, इमाम बाड़ों और कब्रिस्तानों पर भी मुसलमानों का दावा कमज़ोर हो जाएगा, जो वक़्फ़ हैं, क्योंकि वक़्फ़ ट्रिब्यूनल को समाप्त करके सभी अधिकार ज़िला कलैक्टर को देने की साज़िश हो रही है, इन लगातार मुलाक़ातों का सकारात्मक प्रभाव भी दिख रहा है।

जमीयत उलमा-ए-हिंद और मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड के सदस्यों की संयुक्त संसदीय समिति के सदस्यों के साथ बैठक 

जे.पी.सी. के बहुत से सदस्यों को तो यह भी नहीं मालूम कि वक़्फ़ क्या होता है और इसके धार्मिक निहितार्थ क्या है, जमीयत उलमा-ए-हिंद के सदस्य इस सम्बंध में उन्हें पूरा विवराण दे रहे हैं और आज़ादी के बाद से अब तक वक़्फ़ नियमों में समय-समय पर जो संशोधन हुए उनके बारे में भी सदस्यों को सूचित कर रहे हैं।

स्पष्ट हो कि जे.पी.सी. में कुल 31 सदस्य शामिल हैं, जिनमें 21 लोकसभा और दस राज्यसभा के सदस्य हैं। 22 अगस्त को जे.पी.सी. की पहली मीटिंग भी बुलाई गई है, इस पूरे मामले पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि संशोधनों के जो विवरण सामने आए हैं उसने हमारी इस आशंका को यक़ीन में बदल दिया है कि वक़्फ़ के सम्बंध में सरकार की नीयत ठीक नहीं है.

बल्कि संशोधन के नाम पर जो नया बिल लाया गया है उसका उद्देश्य वक़्फ़ संपत्ति की सुरक्षा नहीं बल्कि मुसलमानों की इस महान विरासत से वंचित कर देना है जो उनके पूर्वज ग़रीब, बेसहारा और जरूरतमंद मुसलमानों के उत्थान एवं कल्याण के लिए छोड़ गए हैं, उन्होंने कहा कि यह बिल हमारे धार्मिक मामलों में खुला हस्तक्षेप और एक बड़ी साज़िश है।

वास्तव में इन संशोधनों द्वारा सरकार वक़्फ़ का स्वरूप और वक़्फकर्ता की इच्छा दोनों बदल देना चाहती है, ताकि मुस्लिम वक़्फ की स्थिति को समाप्त करना और उन पर क़ब्ज़ा करना आसान हो जाए, मौलाना मदनी ने कहा कि वक़्फ़ संपत्तियां हमारे पूर्वजों के दिए हुए वह दान हैं जिन्हें धार्मिक और खैराती कार्यों के लिए समर्पित किया गया है और सरकार ने उन्हें विनियमितत करने के लिए ही कानून बनाया है .

लेकिन यह जो संशोधन बिल लाया गया है अगर पारित हो गया तो उसके विनाशकारी परिणाम सामपने आएंगे इसलिए कि सभी प्रकार के अधिकार सरकार के हाथ में आजाएंगे और मुसलमानों की स्थिति निम्न स्तर की रह जाएगी, उन्होंने आगे कहा कि मुसलमान हर प्रकार का नुक़सान सह सकता है लेकिन अपनी शरीयत में हस्तक्षेप कदापि नहीं बर्दाश्त कर सकता।

आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मुलाक़ात करते हुए

दूसरी बात यह कि यह बिल मुसलमानों को दिए गए संवैधानिक अधिकारों पर भी आघात है, देश के संविधान ने हर नागरिक को धार्मिक स्वतंत्रता के साथ अपनी धार्मिक आस्था और नियमों का स्वतंत्र रूप से पालन करने का अधिकार दिया है और वर्तमान सरकार संविधान में दिए गए इस धार्मिक स्वतत्रंता को विभिन्न प्रकार के कानून बनाकर  छीन लेनेना चाहती है जिसमें से एक यह वक़्फ़ संशोधन बिल भी है.
उन्होंने कहा कि जमीयत उलमा-ए-हिंद के सदस्य संयुक्त संसदीय समिति के सदस्यों से व्यक्तिगत रूप से मुलाक़ातें कर रहे हैं क्योंकि इस बिल को रोकने के लिए जमीयत उलमा-ए-हिंद कोई कोताही नहीं बरतना चाहती है।
जमीयत उलमा-ए-हिंद यह स्पष्ट कर देना चाहती है कि वक़्फ़ ऐक्ट में कोई ऐसा संशोधन जिससे वक़्फ़ की स्थिति या स्वभाव बदल जाए या कमज़ोर हो जाए यह कदापि हमें स्वीकार्य नहीं है, जमीयत उलमा-ए-हिंद ने हर दौर में (1923 से लेकर 2013 तक) वक़्फ़ संपत्ति की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी क़दम उठाए हैं, हम आज भी इस संकल्प के साथ आगे बढ़ रहे हैं। अल्लाह ने चाहा तो हमें हमेशा की तरह इस बार भी सफलता मिलेगी।
फज़लुर्रहमान
प्रेस सचिव, जमीअत उलमा-ए-हिन्द
09891961134
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