[]
Home » Editorial & Articles » विपक्ष और विकल्प ,दोनों सड़क पर
विपक्ष और विकल्प ,दोनों सड़क पर

विपक्ष और विकल्प ,दोनों सड़क पर

क्या देश को, जिस विपक्ष और विकल्प की तलाश थी, वह अब नजर आने लगा या नहीं , क्योंकि विपक्ष और विकल्प दोनों इस समय सड़कों पर हैं !

Devendr Yadav ,Kota

हाथरस घटना से लेकर किसान आंदोलन तक विपक्ष और विकल्प भाजपा सरकार की नीतियों के खिलाफ सड़कों पर दिखाई देने लगा है, स्वाभाविक है कि जो लोग विपक्ष और विकल्प को लंबे समय से ढूंढ रहे थे उन्हें भी शायद अब विपक्ष और विकल्प नजर आ गया होगा !


पिछले दिनों मैंने लिखा था विपक्ष भी वही है और विकल्प भी वही , फ़र्क़ सिर्फ़ इतना है की अभी नज़र आने के बाद भी उसे नज़रअंदाज़ किया जा रहा है !


मगर अब नज़र आने के बाद भी उसे नज़रअंदाज़ भी किस अंदाज में किया जाए ,यह उन्हें समझ नहीं आ रहा है, क्योंकि विपक्ष और विकल्प ऐसा कोई भी मौका दे ही नहीं रहा जिससे वह नज़रअंदाज़ कर सकें !

कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी, जिनके लिए राजनीतिक पंडित और विश्लेषक अपने विश्लेषण में अक्सर यह कहते रहे हैं कि राहुल गांधी किसी भी एक मुद्दे को याद कर , दूसरे को भूल जाते हैं और वह लंबे समय के लिए गायब हो जाते हैं , लेकिन राहुल गांधी लंबे समय से निरंतर मुद्दे दर मुद्दे केंद्र की भाजपा सरकार की जान , लोकतंत्र , संविधान विरोधी तथा देश विरोधी नीतियों को उठा रहे हैं और अब हाथरस की घटना के बाद वह हाथरस से लेकर पंजाब और हरियाणा तक लगातार केंद्र की पूंजीवादी सरकार की नीतियों के खिलाफ सड़क पर भी नजर आ रहे हैं !

READ ALSO  क्या कांग्रेस की इज़्ज़त बच गई ?

राहुल गांधी की इस मुहिम से भा ज पा सरकार के पसीने छूटे और मुख्यधारा का मीडिया भी मजबूर हुआ, लेकिन अभी भी सवाल है और सवाल बड़ा है क्योंकि अभी देश में आम चुनाव होने में 4 साल का वक्त है .

विपक्ष और विकल्प को अपनी मुहिम देश हित में इसी तरह से जारी रखनी होगी यह विपक्ष के लिए भी ज़रूरी है और विकल्प तलाशने के लिए भी , क्योंकि विपक्ष को सत्ताधारी पार्टियों को धाराशाही करने के लिए समय भी काफी है , ४ वर्ष बाक़ी हैं आम चुनाव में उससे पहले देश के किसान , मज़दूर और आम आदमी को हाशिये पर लाने वाली NDA सरकार को राजनीती के हाशिये पर धकेल देना ही विपक्ष का लक्ष्य होना चाहिए .

READ ALSO  भारत माता की जय’ मार्का राष्ट्रवाद

क्योंकि इस समय वह मंथन और चिंतन भी पर्याप्त समय के साथ अच्छे से कर सकता है क्या कमियां हैं और उन्हें कैसे दूर किया जाए यह सोचने का उनके पास काफी समय है !

कांग्रेस कमजोर नहीं मजबूत है मगर कमजोरी उसकी मजबूरी है यदि कांग्रेस अपने से अलग हुए नेताओं को भी मना लेती है और वह आ जाते हैं, तो कांग्रेस आज भी मजबूत पार्टी है , ममता बनर्जी जगन रेडी ,शरद पवार , हेमंत विश्वकर्मा ऐसे नेता है जो अपने-अपने राज्यों में मजबूती के साथ शासन कर रहे हैं !


राहुल गांधी की मुहिम ने विपक्ष को भी भाजपा सरकार की नीतियों के खिलाफ एकजुट होने का रास्ता तैयार किया है, और इसकी आवाज दबी जुबान सुनाई भी दे रही है !बहुत मुमकिन है की जब ये क्षेत्रीय पार्टियां कांग्रेस में विलय करके अपना तथा देश का भला कर सकेंगी .लेकिन कांग्रेस को याद रखना होगा की समय कभी माफ़ नहीं करता है और पश्चाताप के बाद यदि दोबारा मौक़ा मिलता है तो इस अवसर को संजोके रखना ही कांग्रेस की सफलता का मन्त्र होगा , और तारिख से सबक़ लेना भी होगा .

Please follow and like us:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

11 − ten =

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>

Scroll To Top
error

Enjoy our portal? Please spread the word :)