यह टिप्पणी दिनांक 25 जुलाई के इंडियन एक्सप्रेस में छपी है जिसका हिन्दी अनुवाद यहां दिया जा रहा है।
……..जिनका सबसे ज़ियादा नुक़्सान हुआ उन्हीं को गिरफ़्तार किया गया
फरवरी 2020 में देश की राजधानी नई दिल्ली में वीभत्स साम्प्रदायिक दंगा हुआ था। यह पिछले दशकों में दिल्ली में हुआ गंभीर दंगा था। दंगे में 50 लोग मारे गए थे, अनेकों को गंभीर चोटें आई थीं और सैंकड़ों लोग किसी न किसी तरह से प्रभावित हुए थे।
इस दंगे में पुलिस की लचर भूमिका की सख्त भर्त्सना की गई थी-न सिर्फ दंगे को नियंत्रण करने में असफलता के लिए बल्कि कुछ पुलिस वालों द्वारा दंगाईयों की खुलकर मदद करने के लिए भी।
दिल्ली के अल्संख्यक आयोग ने जांच के लिए एक टीम गठित की। इस टीम ने अन्य बातों के अतिरिक्त यह पाया कि इस घटना को लेकर जिनका सबसे ज्यादा नुकसान हुआ उन्हीं को गिरफ्तार किया गया। इन्हें उस समय गिरफ्तार किया गया जब उन पर हुई ज्यादतियों को लेकर शिकायत दर्ज करायी गई।
सारे मामले के संबंध में हाईकोर्ट ने यह पाया कि पुलिस ने लगभग एक तरफा कार्यवाही की। उसी घटना से संबंधित एक वीडियो सामने आया है। इस वीडियो में यह स्पष्ट दिख रहा है कि पुलिस वाले एक मुस्लिम युवक जिसका नाम फैजान था, को लगातार लाठियों से पीट रहे हैं और उससे कह रहे हैं कि वह वंदे मातरम और जनगणमन गाये।
इस संबंध में फैजान की माँ ने शिकायत दर्ज की। अपनी शिकायत में माँ ने कहा कि गंभीर रूप से घायल फैजान को किसी भी प्रकार की मेडिकल सहायता मुहैया नहीं कराई गई, जिसके नतीजे में उसकी अकाल मृत्यु हो गई।
कोर्ट ने इस कृत्य की गंभीर आलोचना करते हुए अपने 38 पेज की टिप्पणी में कहा कि जिस ढंग से पुलिस ने जांच करते हुए पुलिस को बचाने का प्रयास किया उसकी जितनी निंदा की जाये कम है।
कोर्ट ने कहा कि यदि घृणा का कृत्य पुलिस वालों के द्वारा किया जाता है तो यह गंभीर चिंता की बात है। इस संदर्भ में कोर्ट महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश और तमिलनाडू के पुलिस मुखियाओं की रिपोर्ट का उल्लेख करती है।
इस रिपोर्ट में यह कहा गया है कि अल्पसंख्यकों की यह राय है कि पुलिस का बहुसंख्यकों के प्रति पक्षपातपूर्ण रवैया रहता है। विभिन्न दंगों के दौरान पुलिस अधिकारियों का व्यवहार इस राय को सही बताता है। फैजान के प्रति दिल्ली पुलिस का व्यवहार ही इस बात को भी सही पाता है।
कोर्ट ने सीबीआई को आदेश दिया है कि वह इस मामले की आधोपांत जांच करे। जब यह सूचना फैजान की माँ को दी गई तो उसने कहा कि मुझे आशा है कि अंततः न्याय मिलेगा। इस संबंध में गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था कि अपराधियों को नहीं छोड़ा जायेगा।
इस आश्वासन के बाद साढ़े चार साल बीत गये हैं फिर भी अपराधियों का बाल बांका नहीं हुआ।
–एल.एस. हरदेनिया द्वारा प्रसारित