यूपी में 21 % दलित आबादी है , जबकि मुसलमान आबादी 19 .7 % है , प्रदेश में 4 बार मायावती मुख्यमंत्री बनी जबकि कोई मुस्लिम मुख्यमंत्री नहीं बन पाया ,इस समीकरण और निम्न मुद्दों के साथ AAP चुनाव में उतरी तो तस्वीर बदल सकती है

सर्कार से नाराज़ किसान अपने गेहूं की खड़ी फसल को उजाड़ रहे हैं , और बीजेपी नेताओं को गाँवों में घुसने नहीं दिया जा रहा है , इसी बीच सियासी पार्टियाँ अपनी राजनीतिक ज़मीन तैयार करने में जुट गई हैं.
ख़ास तौर से आम आदमी पार्टी आइंदा उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव की तैयारी में जुट गयी है , जिस तरह दिल्ली में AAP ने कांग्रेस और बीजेपी का सूपड़ा साफ़ किया था वो राजनितिक तारीख़ में एक नया बाब था ,,,,,,इसी बीच AAP को बीजेपी की टीम B कहे जाने का Narative भी शुरू होगया है , और यह रुझान दिल्ली दंगों तथा कोरोना में तब्लीग़ी जमात के बारे में AAP की नकारात्मक भूमिका से शुरू हुआ था .हालांकि असदुद्दीन ओवैसी को भी बीजेपी की B टीम कहा जाता रहा है , जबकि प्रथम दृष्टया ये दोनों ही पार्टियां BJP की सख्त मुखालिफ नज़र आती हैं . खैर यही राजनीती है जिसको फिलहाल अवाम नहीं समझ पाएगी ..
यहाँ हम आपको UP के आगामी विधान सभा चुनावों की थोड़ी Chronology समझाते हैं ,,,,दरअसल UP में AAP के आने से सेक्युलर वोट और मुखतय अल्पसंख्यक वोट के और भी बिखर जाने का अंदेशा है .कुछ विशेषज्ञों का मानना है की BJP प्रदेश में ग़ैर भाजपाई वोट को Divide करने की योजना के तहत AAP को तैयार कर रही है , दूसरी तरफ AAP के सांसद संजय सिंह का सड़क से संसद तक बीजेपी के खिलाफ कड़ा और स्पष्ट रुख देखकर लगता है कि आज अगर सबसे बड़ी बीजेपी विरोधी कोई पार्टी है तो वो AAP ही है .मगर सियासत के ऊँट का कुछ नहीं पता किस कल बैठेगा .
इसी तरह ओवैसी ब्रदर्स भी बीजेपी और RSS की नीतियों के खिलाफ जिस तरह मुखर होकर बोलते हैं उससे नहीं लगता कि AIMIM की कोई योजना बीजेपी को लाभ पहुँचाने की होसकती है .लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि ओवैसी ब्रदर्स जितना बीजेपी के विरूद्ध बोलेंगे उतना बीजेपी का वोट बैंक बढ़ेगा , और बीजेपी आजतक , ओवैसी की AIMIM तथा मुसलमानो का खौफ दिखाकर भोले भाले हिन्दुओं को लामबंद करने में सफल रही है , इसी Chronology को इसका आधार माना गया है कि ओवैसी बीजेपी की टीम B हैं .इसके विपरीत मुस्लमान वोटर्स ओवैसी की अपील पर आजतक मुत्तहिद नहीं हो पाए हैं . हमारा मानना है कि भारत में यह धुर्वीकरण की सियासत घातक है , और देश को कमज़ोर करने वाली है .
हम बात चूंकि UP के सियासी पस ए मंज़र में कर रहे हैं इसलिए वहां की राजीनीतिक गणित को समझना बेहद ज़रूरी होगा . जैसा की हम जानते हैं UP में पहले से SP और BSP मुस्लिम वोट पर आधारित दोनों पार्टियां अपने अपने CM बनाती रही हैं और उससे पहले कांग्रेस की मुस्लिम वोट पर इजारादारी रही .
ऐसे में तीसरी AAP पार्टी UP में ग़ैर बीजेपी वोट या सेक्युलर वोट को बांटने में एक बड़ा रोल अदा कर सकती है , अगर AAP वास्तव में बीजेपी के विरोधी की शक्ल में सिर्फ सेक्युलर वोट्स को पाने की नीयत से वहां जाना चाहती है तो इससे यक़ीनन बीजेपी को लाभ होगा और यदि Strategically और ईमानदारी के साथ प्रदेश में Law and Order और सांप्रदायिक सद्भाव जैसे दीगर अवामी मुद्दों को लेकर मैदान में उतरती है तो SP , BSP , कांग्रेस और AIMIM का मज़बूत विकल्प बनकर उभर सकती है .
AAP को UP में अभी से कुछ साफ़ छवि के मुस्लिम , दलित जाट तथा ब्राह्मण नेताओं का चयन करके प्रदेश के बुनयादी मसलों को उठाना होगा ख़ास तौर से किसानो मज़दूरों के मुद्दों पर संगोष्ठियां करनी होंगी ,अल्पसंख्यकों की सामाजिक सुरक्षा और सांप्रदायिक दंगा विरोधी क़ानून बनाने जैसे मुद्दों को उठाना होगा ,देश से UAPA , NSA तथा लव जिहाद जैसे क़ानूनों को ख़त्म करने की बात करनी होगी .
हालांकि वर्तमान में देश की अवाम साम्प्रदायिकता और आये दिन के नफ़रती माहौल से ऊब गयी है सिवाए मुट्ठीभर दंगाइयों के जिनको लूटपाट करने और नफरत फैलाने के पैसे मिलते हैं .प्रदेश में लगभग 135 से 140 विधान सभा सीटों पर मुसलमान वोटर निर्णायक है .पश्चिमी यूपी की बात की जाए तो यहां मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 40 से 45 % तक है .
लेकिन वहां सियासी पार्टियों की दूषित मानसिकता के चलते मुस्लिम बहुल क्षेत्रों से हमेशा मुस्लिम प्रत्याशी को टिकट नहीं दिया जाता , यदि हर एक मुस्लिम बहुल विधान सभा पर AAP मुस्लिम candidate लड़ाती है और बाक़ी पर हिन्दू प्रत्याशियों को लाती है तो UP में CM अपना बना सकती है , और यदि UP में AAP अपना दलित CM का Annoucement करदे और डिप्टी CM मुसलमान तो UP की सियासी तस्वीर बदल जाएगी .