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यूनानी से सौतेलापन क्यों , और कब तक ?

यूनानी से सौतेलापन क्यों , और कब तक ?

नेशनल कमीशन फॉर इंडियन सिस्टम्स ऑफ मेडिसिन (NCISM) के तहत यूनानी पद्धति को भी सर्जरी का अधिकार दिया जाए

@timesofpedia.com
नई दिल्ली, 29 जनवरी TOP News/ यूनानी चिकित्सा पद्धति से जुड़ी कई संस्थाएं Unani को उसके अधिकार दिलाने और स्वस्थ्य राष्ट्र बनाने के लिए लगातार प्रयत्नशील है ,इसके लिए कई वर्षों से देश के अलग अलग हिस्सों में तजुर्बेकार यूनानी डॉक्टर्स की एक बड़ी टीम और दवाएं बनाने वाली कंपनियों के मालिकान भी फ्री मेडिकल कैम्प्स का आयोजन करते आ रहे हैं , ताकि यूनानी के बारे में अवाम जागरूक हो और इस प्राचीन चिकित्सा पद्धति का लाभ उठा सके .यूनानी पद्धति और आयुर्वेद पद्धति देश और दुनिया की वास्तव में इलाज का सटीक स्वरुप है ,इसमें मुखतय: All India Unani Tibbi Congress काफी सक्रिय है .जो बहबूत कम संसाधनों के बावजूद पूरे देश में कर्मठता और सेवा भाव से कार्यरत है .

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इसी सम्बन्ध में दिल्ली के सीलमपुर इलाक़े में एक चिंतन बैठक का आयोजन किया गया .बैठक में यूनानी में सर्जरी को मान्यता दिलाने के लिए चिंतन हुआ . नेशनल कमीशन फॉर इंडियन सिस्टम्स ऑफ मेडिसिन (NCISM) के तहत आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति को सर्जरी का अधिकार दिए जाने के बाद यूनानी पद्धति से जुड़े डॉक्टरों की तरफ से भी इसी तरह की मांग की जा रही है। इसी सिलसिले में ‘ज्वाइंट एक्शन कमेटी बराए फरोग-ए-तिब्ब यूनानी’ की एक महत्वपूर्ण मीटिंग रखी गयी । बैठक की अध्यक्षता यूनानी के विख्यात डॉक्टर और ऑल इंडिया यूनानी तिब्बी कांफ्रेंस दिल्ली के अध्यक्ष हकीम इमामुद्दीन जकाई ने की।

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यूनानी और आयुर्वेदा पद्धति में सर्जरी


बैठक में केंद्र सरकार से मांग की गई कि जिस तरह सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन ने आयुर्वेद को सर्जरी का अधिकार दिया था, उसी तरह NCISM के तहत यूनानी चिकित्सा पद्धति को भी सर्जरी का अधिकार दिया जाए। इसके अलावा ऑल इंडिया यूनानी तिब्बी कांग्रेस, हरियाणा के महासचिव डॉक्टर मुहम्मद अरशद गयास ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणाली में आयुर्वेद की तरह यूनानी चिकित्सा को शामिल करने का मुद्दा उठाया, जिसे सर्वसम्मति से पारित करते हुए केंद्र सरकार से मांग की गई कि यूनानी डॉक्टरों को भी राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणाली में सेवा करने के समान अवसर दिए जाएं।


बैठक में इस बात पर खेद व्यक्त किया गया कि आयुष विभाग द्वारा समय पर अनुदान नहीं दिए जाने के कारण जामिया मिल्लिया इस्लामिया में पीएचडी यूनानी और एमडी यूनानी का प्रवेश 2020 में नहीं हो सका। भारत सरकार के आयुष विभाग के रवैये पर चिंता व्यक्त करते हुए मांग की गई कि अनुदान को पिछले वर्षों की परंपरा को ध्यान में रखते हुए जल्द से जल्द जारी किया जाए और यूनानी चिकित्सा के साथ भेदभाव न किया जाए। इसी तरह भारत सरकार से यह भी मांग की गई कि आयुष विभाग में रिक्त पदों को भरा जाए। विशेषकर यूनानी रिसर्च ऑफिसर की नियुक्ति की जाए।

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यूनानी के मुद्दे पर विचार विमर्श की बैठक में डॉक्टर मुहम्मद शमोन (पूर्व संयुक्त सलाहकार, भारत सरकार), हकीम एसपी भटनागर (अध्यक्ष, अखिल भारतीय वैदिक चिकित्सक संघ), डॉक्टर संजय ढींगरा (अध्यक्ष, ऑल इंडिया यूनानी तिब्बी कांग्रेस, दिल्ली), डॉक्टर सत्य देव मिश्र (अध्यक्ष ऑल इंडिया यूनानी एंड आयुर्वेदिक डॉक्टर्स एसोसिएशन), डॉक्टर अनवारुल इस्लाम (अध्यक्ष, नेशनल यूनानी मेडिकल साइंसेज डेवलपमेंट काउंसिल), डॉक्टर नाज़िश एहतेशाम आज़मी (अध्यक्ष, इस्लाह हेल्थकेयर फाउंडेशन), हकीम मुहम्मद मुर्तज़ा देहलवी (अध्यक्ष, अंजुमन फरोग-ए-तिब्ब, दिल्ली), डॉक्टर अल्ताफ अहमद (अध्यक्ष, हकीम अजमल खान यूथ ब्रिगेड), हकीम अताउर्रहमान अजमली (अध्यक्ष, हकीम अजमल खान मेमोरियल ट्रस्ट) के अलावा हकीम काशिफ जकाई, हकीम सरफराज अहमद, हकीम सलाहुद्दीन हसन पुरी, हकीम मुहम्मद सूफियान बस्तवी और अन्य लोगों ने भी अपने विचार व्यक्त किए। डॉक्टर एसएम हुसैन ने सभी प्रतिभागियों का शुक्रिया अदा किया।


सहयोग हिंदुस्थान समाचार/मोहम्मद शहजाद

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