लाख मौजोँ में घिरा हूँ , अभी डूबा तो नहीं मुझको साहिल से पुकारो के मैं ज़िंदा हूँ अभी सांप्रदायिक सद्भाव और इंसानीयत के अभाव में सिसकते और लरज़ते इस दौर में आपको ढूंढे से ऐसे कुछ लोग मिल जाएंगे ...
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