[]
Home » Editorial & Articles » बवाल के मौसम बीत गए..
बवाल के मौसम बीत गए..

बवाल के मौसम बीत गए..

बवाल के मौसम बीत गए

सोफियान खान आजमगढ़

तुम्हारे लिए मुद्दा जिन्ना या जिन्ना की बंटवारे की नीति या जिन्ना की तस्वीर नहीं है वरना बंटवारे का जितना जिम्मेदार जिन्ना और मुस्लिम लीग है उतना ही संघ, श्यामा प्रशाद मुखर्जी, गोलवलकर, हेडगेवार, सावरकर है क्यूँकि उपरोक्त सभी द्विराष्ट्रवादी विचार के पोषक थे जिम्मेदार थे ।

अगर तुम्हारा मुद्दा जिन्ना की तस्वीर होती तो उसपर बवाल करने के बहुत मौसम बीत गए आज ही क्यूँ होता ?

अगर तुम्हारा मुद्दा राष्ट्रप्रेम होता और भारत विरोधी शक्तियों का बहिष्कार करना होता तो सैकड़ों अंग्रेजों की मूर्तियाँ तस्वीरें पूरे देश में शान से जगह जगह मुस्कुरा रही हैं उनका भी विरोध करते ।

अगर तुम्हारा मुद्दा आज़ादी का संरक्षण होता तो आज़ादी के आंदोलन को बंगाल का उप मुख्यमंत्री रहते कुचलने वाला श्यामा प्रषाद मुखर्जी तुम्हारा हीरो न होता ।

अगर तुम्हारा मकसद आज़ादी का संरक्षण होता तो अंग्रेजों से माफी मांगने वाला सावरकर तुम्हारा हीरो न होता ।

READ ALSO  Khooni Darwaza (Rajghat) to Okhla , Jai Hind Yatra

अगर तुम्हार मुद्दा राष्ट्रप्रेम होता तो स्वतंत्रा सेनानी न होने का यकीन दिलाने वाला अटल विहारी तुम्हारा हीरो न होता.

अगर तुम्हारा मुद्दा पाकिस्तान से नफरत करना होता तो पाकिस्तान का आडवाणी तुम्हारा हीरो न होता ।

तुम्हारा निशाना न पाकिस्तान है न जिन्ना है न जिन्ना की तस्वीर है बल्कि तुम्हारे निशाने पर एएमयू की स्मिता है उसका वजूद है, तुम्हारा निशाना भारत के मुसलमान हैं, तथा सभी शिक्षित नौजवान हैं जो अपने अधिकार मांगने की योग्यता पैदा कर रहे हैं । तुम्हारी आंखों में भारत के मुसलमान खटक रहे हैं, मुसलमानों को संरक्षण देने वाली शिक्षित करने वाली युनिवर्सिटी खटक रही है । युनिवर्सिटी इस लिए भी खटक रही है क्यूँ कि उससे मुसलमानों की शान और उनका नाम जुड़ा है ।

तुम्हारी हरकतें गौरैया की प्रधानी में कौवों की अराजकता जैसी हैं, तुम्हारी ये हरकतें तुम्हारी सदियों से मिल रही हार की कुंठा का परिणाम हैं । जैसे किसी अंधे के हाथ इत्तेफाक से बटेर लग जाय वही हाल सत्ता मिलने पे तुम्हारा हुआ है मगर याद रखो जब इतिहास लिखा जायेगा तब तुम्हारी इन हरकतों को का जिक्र कायरता एवं क्रूरता के नाम से किया जायेगा ।

READ ALSO  क़यामत कब आएगी ? जब ये होगा तो ...........

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं। इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति टाइम्स ऑफ़ पीडिया उत्तरदायी नहीं है। इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं। इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार टाइम्स ऑफ़ पीडिया के नहीं हैं, तथा टाइम्स ऑफ़ पीडिया उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है।

Please follow and like us:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

one × three =

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>

Scroll To Top
error

Enjoy our portal? Please spread the word :)