संसद भवन की सुरक्षा चूक: आरोपी ललित के पिता बोले , बेरोज़गारी को लेकर आवाज़ उठाना देशद्रोह नहीं
…… उनकी आखिरी पोस्ट 6 जून की है, जिसमें कहा गया है कि ‘सत्ता नहीं, व्यवस्था बदलो’
कुमावत , भगत सिंह, रानी लक्ष्मीबाई और छत्रपति शिवाजी के मुरीद बताये जाते हैं
संसद की सुरक्षा में सेंध लगाने के आरोपियों में से एक ललित झा के पिता ने कहा है कि देश में बेरोज़गारी को लेकर जो मुद्दा उनके बेटे ने उठाया है वह सही है ,तरीका ग़लत हो सकता है. लेकिन इस बीच दिल्ली पुलिस ने इस मामले के छठे आरोपी महेश कुमावत को भी गिरफ़्तार कर लिया है.
नई दिल्ली: सदन के भीतर हालिया दिनों में कई काम ऐतिहासिक कहे जा रहे हैं . इसी कड़ी में 13 दिसंबर संसद भवन पर हमले की पुनरावृत्ति के लिए भी जाना जाएगा और आइंदा हर 13 दिसंबर को सदन की चौकीदारी को लेकर खतरा भी जताया जाता रहेगा .
संसद की सुरक्षा में सेंध लगाने के मामले के आरोपियों में से एक ललित झा के पिता देवानंद झा कहते है कि उनके बेटे ने कोई अपराध नहीं किया है, जिसके लिए उसे सजा दी जाए. सदन में आतंकी हमले के आरोपी के पिता देवानंद ने जोर देकर कहा कि बेरोजगारी के खिलाफ आवाज उठाना देशद्रोह नहीं है और पुलिस को उसे तुरंत रिहा करना चाहिए.
“मतलब सदन में घुसकर आतंकी style में सरकारी जनविरोधी योजनाओं का विरोध जंतर मंतर या किसी और स्थान पर किया जा सकता था ” TOP Bureau.
बता दें कि दिल्ली पुलिस ने ललित झा और अन्य पांच के खिलाफ आतंकवाद विरोधी कानून , गैर-कानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की धाराओं में मामला दर्ज किया है.
देवानंद झा ने कहा, ‘ललित मेरा दूसरा बेटा है. वह बहुत प्रतिभाशाली है और दूसरों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहता है.’ उन्होंने साथ ही बताया कि ललित ने विज्ञान में स्नातक किया है और डॉक्टर बनना चाहता था . वह घर चलाने के लिए कोलकाता में ट्यूशन पढ़ाता था .
ललित के पिता बताते हैं , ‘उसने मुझे बताया कि वो एक ज़रूरी काम से दिल्ली जा रहा है, मुझे नहीं पता था कि वह जरूरी काम क्या था.’उन्होंने आगे कहा कि उनके बेटे ने देश में लगातार बढ़ती बेरोजगारी को लेकर जो मुद्दा उठाया है, वह सही है. उसने देश द्रोह , हत्या , चोरी या डकैती जैसा कोई अपराध नहीं किया है.
आरोपी के पिता देवानंद झा पूर्णकालिक पुजारी हैं. उनका कहना है कि उनका बेटा भगत सिंह और चंद्रशेखर आजाद का प्रशंसक है.और उनसे प्रेरित रहता था , वह हमेशा समाज में बदलाव लाने की बात कहता था.
आरोपी ललित की मां मंजुला रोते हुए अपने बेटे की रिहाई की गुहार लगाते हुए कहती हैं, ‘मैं उसके अपराध की गंभीरता नहीं जानती, किन्तु मैं इतना जानती हूं कि वह कभी अपराध नहीं कर सकता . वह दो साल पहले गांव आया था और जब भी वह आता था तो बच्चों को पढ़ाता था.’
पुलिस ललित के परिजनों से भी पूछताछ कर रही है.
ललित के एक भाई सोनू ने बताया, ‘कल बड़े भैया ने बताया था कि पुलिस ने कोलकाता में उनसे भी पूछताछ की है. वह किसी गलत काम में शामिल नहीं हैं, ललित भैया ने भी कुछ गलत नहीं किया है. पुलिस ने मेरी भाभी से भी पूछताछ की है. हमारे परिवार को देखकर क्या आपको लगता है कि हममें से कोई देशद्रोह जैसे मामले में शामिल हो सकता है? मुझे यकीन है कि देर-सबेर मेरा भाई जेल से बाहर आएगा.’
ग्रामीण भी उतरे आरोपी ललित के समर्थन में
पड़ोसी अजय झा ने कहा, ‘ ललित के परिवार के सभी लोग बहुत ईमानदार हैं.’ एक अन्य पड़ोसी प्रियरंजन मिश्रा ने कहा, ‘हम ललित के परिवार को अच्छी तरह जानते हैं. वह आतंकवादी या देशद्रोही नहीं है. अलबत्ता वह एक क्रांतिकारी सोच रखने वाला साधारण व्यक्ति है , और यह कोई भी हो सकता है .’
छठा आरोपी गिरफ़्तार , भेजा गया 7 दिन की हिरासत में
इस बीच दिल्ली पुलिस ने संसद की सुरक्षा सेंध मामले में सह-साजिशकर्ता महेश कुमावत को शनिवार (16 दिसंबर) को गिरफ्तार कर लिया. ललित झा के 33 वर्षीय सहयोगी कुमावत के खिलाफ साजिश रचने और सबूतों को नष्ट करने की धाराओं में मामला दर्ज किया गया है.
द हिंदू की एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक, कुमावत की हिरासत की मांग करते हुए दिल्ली पुलिस ने पटियाला हाउस कोर्ट को बताया कि हाल ही में संसद की सुरक्षा में सेंध लगाकर की गई घुसपैठ के पीछे की साजिश पिछले दो वर्षों से रची जा रही थी.
पुलिस ने कहा कि आरोपियों ने मैसूर, गुड़गांव और दिल्ली में कई बैठकें कीं और उनका एकमात्र उद्देश्य अराजकता पैदा करना और सरकार को अपनी ‘अवैध मांगों’ को पूरा करने के लिए मजबूर करना था.
इस प्रकार की घटनाओं के बाद जो सबसे मुख्य Issue होता है वो यह कि अराजक ,आतंकी या आरोपी किस संगठन से थे या किसके मुरीद थे या किस्से प्रभावित थे ? अब संसद भवन में Audience Gallery से कूद कर सदन में अराजकता पैदा करने वाले , भगत सिंह, रानी लक्ष्मीबाई और छत्रपति शिवाजी के मुरीद थे .और आरोपियों के Ideal तीनों ही भारत के वीर सपूत थे . इनका मानना था कि गूंगी , बहरी सरकारों को धमाकों की ही आवाज़ सुनाई देती है . जबकि सरकार को हर एक नागरिक के मूल अधिकारों की रक्षा और प्राथमिक ज़रूरतों की आपूर्ति सुनिश्चित करनी ही होती है . जिसका हर दौर में अभाव ही रहा है .
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (विशेष न्यायाधीश एनआईए) हरदीप कौर की अदालत में दलीलें लोक अभियोजक अखंड प्रताप सिंह द्वारा पेश की गईं.
सुरक्षा में सेंध की योजना बनाने के लिए इस्तेमाल किए गए नष्ट और क्षतिग्रस्त इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को बरामद करने जैसे कारणों का हवाला देते हुए दिल्ली पुलिस ने कुमावत की 15 दिनों की पुलिस हिरासत मांगी थी, लेकिन अदालत ने 7 दिनों की हिरासत की मंजूरी दी.
इस दौरान कुमावत का कहना था कि उन्हें इस बात की भी जानकारी नहीं दी गई है कि किस आधार पर गिरफ्तार किया गया है. 9वीं कक्षा तक पढ़े कुमावत ने कहा कि उन्हें परिवार से बात या वकील भी नहीं करने दिया गया.
प्रावधान के अनुसार कुमावत को अदालत में क़ानूनी मदद उपलब्ध कराई गई थी. उनके वकील ने इस बात पर आपत्ति जताई कि उनके मुवक्किल को गिरफ्तारी के आधार के बारे में सूचित नहीं किया गया, जो कि उनका मौलिक अधिकार है.
इस पर लोक अभियोजक अखंड प्रताप सिंह ने अदालत में एफआईआर की एक प्रति लहराई और कहा कि उन्हें यह दिखाई गई थी. इस पर कानूनी सहायता के तहत प्राप्त कुमावत के वकील ने कहा कि उनका मुवक्किल पढ़-लिख नहीं सकता है.
पुलिस ने बताया कि झा के दिल्ली से भागने के बाद कुमावत और उनके चचेरे भाई कैलाश ने उन्हें शरण दी थी. पुलिस के अनुसार, झा राजधानी से बस में सवार होकर कुचामन शहर पहुंचे थे, जहां उनकी मुलाकात कुमावत से हुई. कुमावत को भी झा के गुट में शामिल होना था, लेकिन वह दिल्ली नहीं गए, क्योंकि उनकी मां ने रोक दिया था.
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘महेश कुमावत और उसका चचेरा भाई कैलाश, ललित झा को नागौर में एक किराये के कमरे में ले गए, जहां उन्होंने फोन नष्ट कर दिए. फिर दोनों ने कैलाश को सूचित किया कि वे संसद के सामने आत्मसमर्पण करने जा रहे हैं.’
कैलाश को गुरुवार 14 दिसंबर(2023) को हिरासत में लिया गया था. उन्होंने पुलिस को बताया कि दोनों जयपुर जाने के लिए ट्रेन में चढ़े थे, दोनों की लोकेशन दक्षिण पश्चिम दिल्ली के धौला कुआं में पाई गई.
कुछ मिनट बाद उन्होंने कर्तव्य पथ पुलिस थाने में आत्मसमर्पण कर दिया था, जहां झा को गिरफ्तार कर लिया गया था, वहीं कुमावत को हिरासत में लिया गया है . शनिवार को पुलिस ने कुमावत की भी गिरफ्तारी दर्शा दी. पुलिस साजिश में उनकी संलिप्तता का पता लगाने के लिए मामले की आगे जांच कर रही है.
कुमावत की सोशल मीडिया प्रोफ़ाइल क्रांति लाने की जरूरत के बारे में पोस्ट से भरी हुई है. उनके बायो में लिखा है, ‘अगर देश में क्रांति लाना है तो खुद क्रांतिकारी होना जरूरी है.’ उनकी आखिरी पोस्ट 6 जून की है, जिसमें कहा गया है कि ‘सत्ता नहीं, व्यवस्था बदलो.’
एक अन्य पोस्ट में कुमावत ने लिखा है कि मौजूदा हालात को अक्सर उन लोगों के द्वारा बदला जाता है, जिन्हें दुनिया किसी काम का नहीं समझती. कुमावत भगत सिंह, रानी लक्ष्मीबाई और छत्रपति शिवाजी के मुरीद हैं.
संसद सुरक्षा को भेदने के मामले में पुलिस अब तक कुमावत और ललित झा के अलावा, नीलम आजाद, अमोल शिंदे, सागर शर्मा और मनोरंजन डी. को गिरफ्तार कर चुकी है.
इस बीच, शनिवार को नीलम आजाद के माता-पिता ने अपनी बेटी से मिलने की अनुमति और एफआईआर की कॉपी पाने के लिए कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी. कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया और मामले की अगली सुनवाई 18 दिसंबर को निर्धारित की है.
याद रहे कि बीते 13 दिसंबर को संसद की सुरक्षा में तब गंभीर चूक देखी गई, जब दो व्यक्ति Audience Gallery से लोकसभा हॉल में कूद गए और धुएं के कनस्तर (Gas Canisters) खोल दिए थे, उसके बाद सदन की कार्यवाही बाधित हो गई. मनोरंजन डी. और सागर शर्मा नामक व्यक्तियों ने सत्तारूढ़ भाजपा के मैसुरु सांसद प्रताप सिम्हा से अपना विजिटर्स पास प्राप्त किया था.
इन दोनों आरोपियों के अलावा संसद परिसर में रंगीन धुएं का कनस्टर खोलने और नारेबाजी करने की आरोपी नीलम आजाद और अमोल शिंदे को गिरफ्तार किया गया था.
इस मामले में विशाल शर्मा उर्फ विक्की नामक 5वां आरोपी बाद में गुड़गांव स्थित आवास से पकड़ा गया. आरोप है कि ललित झा ही कथित तौर पर चारों आरोपियों को गुड़गांव में अपने दोस्त विक्की के घर ले गया था .
अब सवाल यह है की इन सब आरोपियों को इस पूरी साज़िश रचने और संसद भवन के अंदर जाने किसने दिया ? उसके बाद Gas Canasters खोलने तक के सफर में intelligence और संसद भवन की सिक्योरिटी पर देश की जनता को कितना भरोसा करना चाहिए ?
इसका जवाब देना है सर्कार को और सरकार सवाल पूछने वालों को सुन्ना नहीं चाहती या सुनती है तो उसे नकारात्मक लेती है . या सवाल पूछने वालों को सरकार विरोधी घोषित कर देती है . और यह किसी भी लोकतान्त्रिक देश के लिए घातक है .