राजस्थान बीजेपी के लिए विधान सभा चुनाव रहेगा चुनौती भरा
राजस्थान विधानसभा चुनाव : किसी भी चुनाव से पहले पार्टी केलिए प्रत्याशियों का चयन बड़ी जोखिम भरी चुनौती होती है . इस बार भी यह प्रकिर्या शुरू हो गयी है . राजस्थान में भाजपा और कांग्रेस की दो-दो लिस्टें जारी हो चुकी हैं।

वसुंधरा राजे का शक्ति प्रदर्शन
भाजपा ने अपनी दूसरी सूची में वसुंधरा राजे का झालरापाटन से टिकट रिपीट किया है। हालाँकि एक सर्वे के अनुसार, वसुंधरा के ही चुनावी क्षेत्र के 50 % लोगों का मानना है कि इस बार बीजेपी की तरफ से नए मुख्यमंत्री का चेहरा देखने को मिल सकता है , और ऐसा ही कुछ पार्टी के भी संकेत रहे हैं ।
जबकि 32% लोगों ने कहा कि वसुंधरा राजे बीजेपी की तरफ से मुख्यमंत्री का चेहरा होंगी . बाक़ी लोगों की राये है कि बीजेपी की ओर से मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा कुछ कहा नहीं जा सकता ।
बीजेपी की तरफ से लगातार वसुंधरा राजे को साइड लाइन किए जाने के बाद अब जनता में भी यही मैसेज जाने लगा है कि इस बार बदलाव होगा। जनता अब मानने लगी है कि बीजेपी इस बार मुख्यमंत्री के तौर पर नए चेहरे को मौका देगी।
उधर वसुंधरा भी अलग अलग रैलियों और जनसम्पर्क के माध्यम से शक्ति प्रदर्शन करती रही हैं . जिससे बीजेपी आलाकमान असहज महसूस करते रहे . और ज़ाहिर है राजस्थान में वसुंधरा की नाराज़गी या बग़ावत बीजेपी के लिए बड़े नुकसान की तरफ इशारा करता है .
भले राजस्थान में बीजेपी की ओर से मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर असमंजस हो लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी राजस्थान में अपनी सभाओं के दौरान साफ तौर पर कह चुके हैं कि इस बार राजस्थान का चुनाव कमल के निशान पर लड़ा जाएगा।यानी वसुंधरा के नाम पर नहीं बल्कि पार्टी के नाम पर विधान सभा का चुनाव लड़ा जाएगा .
भले बीजेपी ने वसुंधरा को टिकट दिया है लेकिन माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव के बाद बहुमत मिलने पर बीजेपी सीएम पद के लिए किसी नए चेहरे को मैदान में उतारेगी। हालाँकि यह बात रानी वसुंधरा राजे सिंधिया को कितनी हज़म होगी कि उनके या उनके परिवार के सिवा किसी और के मार्गदर्शन में राजस्थान का राज चलाया जाए.