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प्रधानमंत्री ने देश के विभाजन के पीड़ितों को

प्रधानमंत्री ने देश के विभाजन के पीड़ितों को

प्रधानमंत्री ने देश के विभाजन के पीड़ितों को याद किया

प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी ने आज ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ के अवसर पर उन लोगों का स्मरण किया जिन्होंने देश के विभाजन में अपनी जान गंवा दी थी। श्री मोदी ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और उन लोगों के संघर्ष को याद किया जो अपने घरों से विस्थापित हो गए थे।

एक ट्वीट में प्रधानमंत्री ने कहा;

“विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस उन भारतवासियों को श्रद्धापूर्वक स्मरण करने का अवसर है, जिनका जीवन देश के बंटवारे की बलि चढ़ गया। इसके साथ ही यह दिन उन लोगों के कष्ट और संघर्ष की भी याद दिलाता है, जिन्हें विस्थापन का दंश झेलने को मजबूर होना पड़ा। ऐसे सभी लोगों को मेरा शत-शत नमन।”

https://twitter.com/narendramodi/status/1690931944102731776

Narendra Modi
@narendramodi
विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस उन भारतवासियों को श्रद्धापूर्वक स्मरण करने का अवसर है, जिनका जीवन देश के बंटवारे की बलि चढ़ गया। इसके साथ ही यह दिन उन लोगों के कष्ट और संघर्ष की भी याद दिलाता है, जिन्हें विस्थापन का दंश झेलने को मजबूर होना पड़ा। ऐसे सभी लोगों को मेरा शत-शत नमन।

 

विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस
अर्थात
बंटवारे के दर्द का यादगार दिन

 

आज आज़ादी की ख़ुशी का दिन है देश ज़ालिम अँगरेज़ साम्राजयवाद से आज़ादी की ख़ुशी की तैयारी में डूबा है .आज़ादी की पूर्व संध्या पर “विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस” का एक नया दिवस मनाये जाने का चलन देश को क्या बताना चाहता है ? इस दिन की शरुआत 14 Aug 2021 को की गयी थी .इस अवसर पर पीएम मोदी ने कहा था ,

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“विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस, सामाजिक विभाजन, वैमनस्यता के जहर को दूर करने और एकता, सामाजिक सद्भाव और मानव सशक्तीकरण की भावना को और मजबूत करने की जरूरत की याद दिलाए. यह दिन हमें भेदभाव, वैमनस्य और दुर्भावना के जहर को खत्म करने के लिए प्रेरित करेगा. साथ ही इससे एकता, सामाजिक सद्भाव और मानवीय संवेदनाएं भी मजबूत होंगी.”

जबकि आज भेदभाव, वैमनस्य और दुर्भावना और नफरत का जहर 10 गुना बढ़ गया है .

75 वर्ष के विभाजन की याद दिलाने के पीछे की मंशा इस दिन की उपज करने वालों से आप पूछें तो अच्छा होगा . मगर आज के भारत विभाजन में मरने और लुटने वालों के दर्द के बारे में देश जानना चाहता है .एक वर्ग और कई संस्थाएं देश को लगातार धर्मों और जातियों , प्रांतों और भाषाओं में बांटने के लिए प्रयत्नशील हैं .

क्या इनको रोकना आज की प्राथमिकता होनी चाहिए या 75 वर्ष पुराने विभाजन और पीड़ा को याद किया जाना चाहिए ? और वैसे भी आज देश की बहुसंख्यक को अल्पसंख्यक से खतरा बताने वाले लोगों से पूछा जाए की देश में बीस करोड़ मुस्लमान ज़्यादा ठीक हैं या 55 करोड़ मुसलमान ज़्यादा ठीक थे .

देश को एकजुट करने और एकता व् अखंडता को मज़बूत करने का दिन है या यह 75 वर्ष पुराने विभाजन के दिनों को याद करने का दिन है ?

एक और नए विभाजन में पीड़ित परिवारों के दर्द का दिवस किसके लिए छोड़कर जाना चाहते हैं हम ? देश में आज के विभाजन को रोकने के लिए आह्वान की ज़रुरत है .एक विभाजन की पीड़ा को याद करके नए विभाजन की पीड़ा किसके कहने पर तैयार हो रही है ? इसको देश ज़रूर जानना चाहेगा .

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क्या देश में नया विभाजन करने वालों को अँगरेज़ पुलिस गिरफ्तार करने आएगी ? वर्तमान सियासत पूर्वग्रह और नफरत की राजनीती के चलते इकतरफा कार्रवाइयों के ज़रिये देश के बड़े वर्ग को किसी आंदोलन के लिए प्रेरित कर रहा है ? आज उकसावे की राजनीती का शिकार एक वर्ग और विपक्ष हो रहा है .

कल जब हालात बदलेंगे तो इस ना इंसाफ़ी का भुगतान किसको करना होगा देश के सियासतदां जानते हैं .मगर सत्ता का नशा दुनिया के सबसे खतरनाक नशों से ज़्यादा भयानक होता है जिसने आज सत्ता के पुजारियों को अंधा किया हुआ है जैसे पहले सत्ता के पुजारियों किया हुआ था . नतीजा देखकर खुद ही सीधी राह पकड़ लेनी चाहिए .TOP Views

 

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