बिहार में तेजस्वी यादव की जनसभा !

मंगलवार 20 अक्टूबर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर से देश को संबोधित करने शाम 6:00 बजे आए !
जनता को उम्मीद थी की वह किसानों के आंदोलन पर कृषि बिल को लेकर कुछ बोलेंगे देश की अर्थव्यवस्था बेरोजगारी भारत-चीन तनाव आदि पर देश को संबोधित करेंगे लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने देश की बड़ी समस्या कोरोना महामारी पर बात की !
प्रधानमंत्री के संबोधन के बाद, संबोधन के विषय कोरोना, उस पर मोदी द्वारा व्यक्त की गई चिंता और सतर्कता के उपाय पर देशभर में चर्चा होने लगी, की देश में कोरोना महामारी हे फिलहाल उसकी दवाई नहीं है, सतर्कता और सजगता ही उसका उपाय है प्रधानमंत्री मोदी ने भी इसी बात पर अपने संबोधन में बल दिया की जनता को एक दूसरे से दूरी बनाकर रखना है मास्क पहनना है और हाथ बार-बार धोना है !
सवाल उठा और आरोप लगा कि सारी सतर्कता क्या जनता को ही करनी है ? राजनेता और विपक्ष इसके दायरे से बाहर हैं ?
यह बात बिहार के विधानसभा चुनाव और मध्य प्रदेश के उपचुनाव और राजस्थान में नगर निगम के चुनाव को लेकर जनता के मन में उत्पन्न हुए, इन चुनावों में सरकारी गाइडलाइन के बाद भी राजनेता और पार्टियां बेखौफ होकर जनसभाएं कर रही हैं क्या यह उचित है सवाल खड़ा हुआ ?
बिहार चुनावों में तेजस्वी यादव की जनसभा में जनता उमड़ रही है !इसी सप्ताह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी बिहार में जनसभाएं होनी है वैसे जेडीयू और भा जापा के स्थानीय नेता जनसभाएं कर भी रहे हैं लेकिन भीड़ तेजस्वी यादव की जनसभाओं में अधिक दिखाई दे रही है ?
बिहार चुनाव की घोषणा होने से पहले बिहार के तमाम विपक्षी दलों ने मांग की थी कि कोरोना महामारी को देखते हुए चुनावों को आगे किसका दिया जाए लेकिन चुनाव आयोग ने चुनाव तय समय पर कराने की घोषणा की , और तारीख का ऐलान कर दिया एलान कोरोना गाइडलाइन के तहत हुआ लेकिन जनसभाओं के अंदर उमड़ती भीड़ बता रही है कि राजनीतिक दलों को कोरोना महामारी की गाइडलाइन की कितनी परवाह है !
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बात करने के अंदाज पर ध्यान दे तो उनकी बात सस्पेंस से भरी रहती हैं क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार में जाकर जनसभा नहीं करेंगे बल्कि वह वर्चुअल रैली के माध्यम से अपना संबोधन देंगे और तेजस्वी यादव सहित जो नेता जनसभाएं कर रहे हैं उन्हें भी वर्चुअल रैली के माध्यम से लोगों को मोटिवेट करना होगा ?
प्रधानमंत्री मोदी , संकट की इस घड़ी में यह एक मिसाल पेश कर सकते हैं, अपनी जनसभा स्थगित कर वर्चुअल रैली में परिवर्तित कर सकते हैं यह अभी एक सवाल है, लेकिन प्रधानमंत्री के संबोधन के बाद देश में यह चर्चा तो होने लगी है कि राजनेता जनता को सतर्क रहने की सलाह दे रहे हैं लेकिन चुनावों में रैलियां कर वह खुद आत्म सार नहीं कर रहे !