सुप्रीम कोर्ट ने ज़ुबैर को यूपी में दर्ज़ छह मामलों में अंतरिम ज़मानत देने के साथ ही उनके ट्वीट करने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया.
उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश हुई एडिशनल एडवोकेट जनरल गरिमा प्रसाद ने कोर्ट से दरख़्वास्त की थी कि कम से कम ये शर्त रखी जाए कि वह ट्वीट न करें.
लेकिन सर्वोच्च अदालत ने उनके इस निवेदन को स्वीकार नहीं किया.जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने मोहम्मद ज़ुबैर को तत्काल रिहा करने का आदेश दियासुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि यह अच्छा होगा कि सभी एफ़आईआर को एक साथ लाकर एक एजेंसी से जाँच कराई जाए. अगर बाद में और एफ़आईआर दर्ज होती है तो उनकी जाँच भी साथ में ही होगी.
कोर्ट ने तिहाड़ जेल के अधीक्षक को आज शाम छह बजे तक मोहम्मद ज़ुबैर को रिहा करने का आदेश दिया है.यूपी सरकार की ओर से पेश हुईं एएजी गरिमा प्रसाद ने सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान कहा कि मोहम्मद ज़ुबैर से कहा जाए वो ट्वीट न करें.
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक पत्रकार को लिखने से कैसे रोका जा सकता है.
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि “ये कुछ ऐसा है कि एक वकील को कहा जाए कि वह बहस न करे. हम एक पत्रकार को ये कैसे कह सकते हैं कि वह लिखें नहीं और एक शब्द न कहें.
इस पर गरिमा प्रसाद ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की वेकेशन ब्रांच ने 8 जुलाई को सीतापुर मामले में अतंरिम ज़मानत देते हुए ट्वीट न करने की शर्त रखी थी.
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि अगर ज़ुबैर कोई आपत्तिजनक ट्वीट करते हैं तो वे उसके लिए जवाबदेह होंगे. सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि आवाज़ उठाने के लिए किसी के ख़िलाफ़ अग्रिम कार्रवाई कैसे की जा सकती है?उत्तर प्रदेश में दर्ज अन्य मामलों के बारे में मोहम्मद ज़ुबैर की वकील वृंदा ग्रोवर ने सुप्रीम कोर्ट को बताया, ”हाथरस में दर्ज मामले में उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजा गया है. वहीं लखीमपुर खीरी केस में पुलिस रिमांड के आवेदन पर आज सुनवाई होगी.”
एडवोकेट ग्रोवर ने आगे कहा, ”कृपया, इनके ट्वीट देखिए. इसमें उकसाने वाला कुछ भी नहीं है.”
उन्होंने सुदर्शन टीवी की ओर से दर्ज कराए गए मामले का भी ज़िक्र किया. उन्होंने बताया, ”बतौर फ़ैक्ट चेकर उन्होंने सुदर्शन टीवी की एक ग्राफ़िक्स में ग़लत मस्जिद की तस्वीर दिखाने के मामले को उठाया. बतौर फ़ैक्ट चेकर गज़ा बम धमाके में उन्होंने असल मस्जिद की तस्वीरें पेश की.”
वृंदा ग्रोवर के अनुसार, ”इस मामले को देखने से साफ़ है कि उन्होंने कोई अपराध नहीं किया, लेकिन सुदर्शन चैनल ने उन पर 153ए, 295ए के तहत केस दर्ज करा दिया. यह तो उन्हें चुप कराने की कोशिश है. पुलिस को टैग करते हुए कहा गया कि उम्मीद है कि वो एक्शन लेंगे.
बीते 20 जून को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने मोहम्मद ज़ुबैर के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की थी. उन पर यह एफ़आईआर 2018 में सेंट्रल बोर्ड फ़िल्म सर्टिफिकेशन (सीबीएफ़सी) से हरी झंडी मिली 1983 की फ़िल्म ‘किसी से ना कहना’ की एक तस्वीर पोस्ट करने के मामले में हुई थी.
इसमें दिखाया गया कि हनीमून होटल का नाम बदलकर हनुमान होटल कर दिया गया है. इस तस्वीर को लेकर ही ‘हनुमान भक्त’ नाम के एक ट्विटर यूज़र ने शिकायत की थी और कहा था कि उसकी धार्मिक भावना आहत हुई है.