[]
Home » SELECT LANGUAGE » HINDI » धर्म की आड़ में नफ़रत की राजनीति का नया खेलःमौलाना अरशद मदनी
धर्म की आड़ में नफ़रत की राजनीति का नया खेलःमौलाना अरशद मदनी

धर्म की आड़ में नफ़रत की राजनीति का नया खेलःमौलाना अरशद मदनी

प्रेस विज्ञप्ति

कांवड़ यात्रा के रास्ते में दुकानदारों की धार्मिक पहचान प्रदर्शित करने का मामला

इस आदेश के कानूनी पहलुओं पर चर्चा के लिए जमीयत उलेमा हिंद ने कल कानूनी टीम की बैठक बुलाई है

अब तो ऐसा लगता है कि शासकों का आदेश ही संविधान है

कांवड़ यात्रा के रास्ते में दुकानदारों की धार्मिक पहचान

कांवड़ यात्रा के रास्ते में दुकानदारों की धार्मिक पहचान

नई दिल्ली, 20 जुलाई 2024 :Press Release //  

अध्यक्ष जमीयत उलमा-ए-हिंद मौलाना अरशद मदनी ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कांवड़ यात्रा के रूट पर धार्मिक पहचान स्पष्ट करने वाले आदेश पर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसे धर्म की आड़ में राजनीति के नए खेल की संज्ञा दी और कहा कि यह एक भेदभावपूर्ण और साम्प्रदायिक फैसला है .

इस फैसले से देश विरोधी तत्वों को लाभ उठाने का अवसर मिलेगा और इस नए आदेश के कारण साम्प्रदायिक सौहार्द्र को गम्भीर क्षति पहुंचने की आशंका है, जिससे संविधान में दीए गए नागरिकों के मूल अधिकारों का उल्लंघन होता है।

उल्लेखनीय है कि जमीयत उलमा-ए-हिंद ने कल अपनी कानूनी टीम की एक बैठक बुलाई है जिसमें इस असंवैधानिक और अवैध आदेश के कानूनी पहलुओं पर चर्चा की जाएगी.

उन्होंने कहा कि पहले मुजफ़्फ़र नगर प्रशासन की ओर से इस प्रकार का आदेश जारी हुआ परन्तु अब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का आधिकारिक आदेश सामने आगया है . जिसमें केवल मुजफ़्फ़र नगर और इसके आसपास ही नहीं बल्कि कांवड़ यात्रा के रास्ते में जितने भी फल-सब्जी विक्रेता, ढाबों और होटलों के मालिक हैं .

इस आदेश में कहा गया है कि अपने नाम का कार्ड अपनी दुकान, ढाबा या होटल पर चिपकाएं। मौलाना मदनी ने कहा कि अब तक हमारे पास ऐसी सूचनाएं पहुंची हैं कि बहुत से ढाबों और होटलों के मैनेजर या मालिक जो मुसलमान थे कांवड़ यात्रा के दौरान उन्हें काम पर आने से मना कर दिया गया है। ज़ाहिर है कि सरकारी आदेश के उल्लंघन का साहस कौन कर सकता है।

मौलाना मदनी ने यह भी कहा कि देश के सभी नागरिकों को संविधान में इस बात की पूरी आजादी दी गई है कि वह जो चाहें पहनें, जो चाहें खाएं, उनकी व्यक्तिगत पसंद में कोई बाधा नहीं डालेगा, क्योंकि यह नागरिकों के मूल अधिकारों का मामला है।

संविधान में स्पष्ट शब्दों में कहा गया है कि देश के किसी नागरिक के साथ उसके धर्म, रंग और जाति के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा और हर नागरिक के साथ समान व्यवहार किया जाएगा।

मगर पिछले कुछ वर्षों से शासन-प्रशासन का जो व्यवहार सामने आया है. उसमें धर्म के आधार पर भेदभाव आम बात हो गई है, बल्कि अब ऐसा लगता है कि शासकों का आदेश ही संविधान है।

मौलाना ने कहा कि यह कितनी दुखद बात है कि सरकार गठन के समय संविधान के नाम पर शपथ लिया जाता है परन्तु शपथ लेने के बाद उसी संविधान को किनारे रख दिया जाता है।

उन्होंने कहा कि हम सभी धर्मों का आदर करते हैं और दुनिया का कोई धर्म यह नहीं कहता कि आप दूसरे धर्म के मानने वालों से नफ़रत करें। यह कोई पहली कांवड़ यात्रा नहीं है, लम्बे समय से यह यात्रा निकलती आरही है परन्तु पहले कभी ऐसा नहीं हुआ कि किसी नागरिक को अपनी धार्मिक पहचान बताने के लिए विवश किया गया हो.

बल्कि यात्रा के दौरान आम तौर पर देखा गया है कि मुसलमान जगह-जगह कांवड़ यात्रियों के लिए पानी और लंगर का आयोजन करते आए हैं।

मौलाना मदनी ने कहा कि यह पहली बार है कि इस प्रकार का आदेश जारी करके एक विशेष समुदाय को अलग-थलग करने के साथ साथ नागरिकों के बीच भेदभाव और नफ़रत फैलाने का जानबूझकर प्रयास किया गया है।
……….

फज़लुर्रहमान
प्रेस सचिव, जमीअत उलमा-ए-हिन्द
09891961134

Please follow and like us:
READ ALSO  PM Modi visits Guru Ravidas Vishram Dham Temple in Delhi today

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

19 − sixteen =

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>

Scroll To Top
error

Enjoy our portal? Please spread the word :)