विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मंकीपॉक्स को लेकर चिंता जताई है। WHO ने कहा है कि दुनियाभर में मंकीपॉक्स के मामले बढ़ सकते हैं। जिन देशों में ये बीमारी आमतौर पर नहीं पाई जाती वहां निगरानी बढ़ाने की जरूरत है। शनिवार को WHO ने बताया कि 12 देशों में 92 मामले मिले हैं। वहीं 28 संदिग्ध केस भी सामने आए हैं। आने वाले दिनों में WHO मंकीपॉक्स को रोकने के लिए बाकी देशों को गाइडलाइन देगा।
WHO की ओर से कहा गया कि अभी तक जो जानकारी मिली है उसके हिसाब से मंकीपॉक्स उन लोगों में फैल रहा है जो निकट शारीरिक संपर्क में हैं।
मंकीपॉक्स पश्चिम और मध्य अफ्रीका के देशों में पाया जाता है। चेचक के वायरस की ही फैमिली से मंकीपॉक्स जुड़े हैं। मंकीपॉक्स आम तौर पर 6-13 दिनों में अपने लक्षण दिखाने लगते हैं। लेकिन कई बार 5 से 21 दिनों में इनके लक्षण सामने आते हैं।मंकीपॉक्स के मामले अब तक 12 देशों में मिले हैं। ऑस्ट्रेलिया में 1-5 मामलों की पुष्टि हुई है। बेल्जियम में, कनाडा, फ्रांस जर्मी, इटली, स्वीडन, अमेरिका और नीदरलैंड में 1-5 मामले मिले हैं। यूके, पुर्तगाल और स्पेन में 21-30 मामले मिले हैं। कुल 92 मामलों की अब तक पुष्टि हुई है वहीं 28 मामले संदिग्ध हैं। कनाडा में 11-20 संदिग्ध मामले हैं।
मध्य प्रदेश के गृह मंत्री डॉ.नरोत्तम मिश्रा बोले कि हमने सभी जगह नजर रखी हुई है। मंकीपॉक्स को लेकर नजर रख रहे हैं। मध्य प्रदेश में इस समय कोई संभावना नहीं दिख रही है। घबराने की जरूरत नहीं है। इसके बावजूद हमने सभी संबंधित विभागों को इसकी सूचना कर दी है।
मंकीपॉक्स से संक्रमित व्यक्ति को बुखार, तेज सिरदर्द, पीठ और मांसपेशियों में दर्द होता है। इसी के साथ उसे गंभीर रूप से कमजोरी का अहसास होता है। इसके अलावा इसके दिखने वाले लक्षणों की बात करें तो शरीर पर बड़े-बड़े दाने हो जाते हैं। चेचक की ही तरह ये पूरे शरीर में फैल जाते हैं। आखों में अगर ये दानें निकल आएं तो रोशनी को भी प्रभावित कर सकते हैं।
WHO के मुताबिक इस वायरस से लोग दो से चार हफ्तों में ठीक हो जाते हैं। लेकिन कई बार ये जानलेवा साबित हो सकती है। इस वायरस से 11 फीसदी संक्रमितों की मौत हो जाती है।चेचक उन्मूलन कार्यक्रम में टीकों ने मंकीपॉक्स से भी सुरक्षा प्रदान की।
नए टीके विकसित किए गए हैं। एक एंटीवायरल एजेंट को मंकीपॉक्स के इलाज के लिए लाइसेंस दिया गया है।