यह आग हज़ारो किलो मीटर के जंगल की हरयाली और दरख्तों को खा जाती है,और इसके बाद जंगल में होता है प्रदूषण , वीरानी और अनगिनत जंगली जानवरों के कंकाल
हमारी सनातन परंपरा इतनी समावेशी है कि चाहकर भी किसी को उससे अलग नहीं किया जा सकता : राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान

Editor’s Desk Ali Aadil Khan
जब प्रशासनिक अधिकारी , ब्यूरोक्रेट्स और जिला अधिकारी पाखंडी और नफरती नेताओं के चापलूस होजायें , और फ़र्ज़ के प्रति वफादार , संविधान के रखवाले , सच्चे और ईमानदार अधिकारीयों को सजा दी जाने लगे तो अब देश में पूरी तरह से अलगाव ,अशांति , तबाही नफरत और बर्बादी की आग के दृश्य देखने को तैयार रहिये . जहाँ इन्साफ नहीं होगा वहां कभी अमन और शांति होगी भूल जाइये .और जहां अमन न हो वहां विकास कैसे हो सकता है .
जिस देश का मीडिया नफ़रत और विनाश का सौदागर हो जाए तो इसका नतीजा इससे भयानक होना है जो आप आज देख रहे हैं . आग की यह खासियत है की वो हवा के साथ और भड़कती है . और मीडिया की हवा आग को भड़काने का पूरा काम कर रही है , और यह सब कुछ सियासी संरक्षण में चल रहा है … आज जो लोग इस आग को दूसरों की बर्बादी का निशाँ मान रहे हैं कल उनके घर पर इस आग के दहकते शोले आप खुद देखेंगे .

मेवात और गुरुग्राम की सड़कों पर मार्च करते Para military के जवान
जंगल में लगी आग पर उस वक़्त आसानी से काबू पाया जा सकता है जब हवा न चल रही हो ,लेकिन अगर हवा तेज़ है तो हज़ारो किलो मीटर के जंगल की हरयाली और दरख्तों को खा जाती है यह आग . और इसके बाद जंगल में होता है प्रदूषण , वीरानी और अनगिनत जंगली जानवरों के कंकाल . आज देश में ठीक एहि माहौल है ,और विडंबना यह है की यह आग जंगल में नहीं बल्कि इंसानी समाज और आलिशान गगन चुम्बी इमारतों और Millenium Cities के चमकते और खुशहाल दीखते बाज़ारों के बीच लगी है .
नफ़रती आग के शोलों को भड़काने वाले एंकर और मीडिया houses कल खुद भी इसी आग में झुलस जाएंगे .यह बात एकदम तय है , वर्ना यह मिसाल क्यों बनती , दूसरों के लिए खाई खोदने वाला खुद इसी में गिरता है .आप एक रोज़ यह Head Line भी देखेंगे “मीडिया की आंधी से लगी आग में मिले लाखों कंकाल” और वह खबर सच्ची होगी . लेकिन आप और हम इस खबर को देखने केलिए न हों तो अच्छा होगा .
ऐसे में देश के वर्तमान हालात पर आप को चुप रहना है रहिये ,आपको पता है न ज़ुल्म होते देखकर खामोश रहने वाला भी ज़ालिम की Catagary में आता है . लेकिन आज एक मौक़ा है ना इंसाफ़ी ,ज़ुल्म , नफ़रत और दमनकारी नीतियों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने का , कल चिता की आग या क़बर की मिटटी में लिपटना तो आप को भी है .

मेवात और गुरुग्राम की सड़कों पर मार्च करते Para military के जवान
भोपाल में चल रहे एशिया के सबसे बड़े अंतराष्ट्रीय साहित्य उत्सव ‘उन्मेष और उत्कर्ष’ इसका मतलब है ख़ुशी और उल्लास , इस Event के दूसरे दिन यानी शुक्रवार को ‘भारत का भक्ति साहित्य’ विषय पर केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने मनमोहक Lecture दिया और कहा कि सनातन अपने पहले दिन से समावेशी परंपरा है। इससे बाहर किसी को नहीं किया जा सकता। हर कोई अपनी पहचान के साथ उसका हिस्सा बन सकता है।
राज्यपाल खान ने कहा, मुझसे एक विदेशी मित्र ने पूछा कि हर 16 मिल के बाद बोली, फिर भाषा बदल जाती है। हर रंग का आदमी कश्मीर से कन्याकुमारी तक पाए जाते हैं। भाषा अनेक, आस्थाएं अनेक, पूजा पद्धतियां अनेक है। यह मैनेज कैसे करते हैं आप और आपकी सर्कार । मैंने मित्र से कहा कि हम मैनेज नहीं करते। हम त्योहार मनाते हैं। उन्होंने कहा कि आत्मा के अंदर परमात्मा की शक्ति है। राज्यपाल खान ने कहा कि भारत में भक्त कवियों ने हमारे प्राचीन ज्ञान को आम लोगों तक उनकी भाषा में पहुंचाया। हमारी सनातन परंपरा इतनी समावेशी है कि चाहकर भी किसी को उससे अलग नहीं किया जा सकता। श्री खान ने कहा यह भारत में ही संभव है कि स्वर्ण मंदिर की नींव मुस्लिम सूफी मियां मीर रखते हैं ।
आपने बिलकुल सही कहा महामहिम राजयपाल साहब , इस समावेशी सनातनी परम्परा की सुरक्षा के लिए ही लोकतंत्र के आधार पर संविधान बनाकर भारत को गणराज्य बनाया गया था मेरे मोअज़्ज़िज़ भाई आरिफ़ खान साहिब ।
आपने बिलकुल सच कहा मान्यवर , हर 16 मील के बाद जहाँ बोली बदल जाती है। अनेकों रंग , रूप , वेश भूषा , खान पान के लोग कश्मीर से कन्याकुमारी तक पाए जाते हैं । जहाँ भाषा अनेक, आस्थाएं अनेक, पूजा पद्धतियां अनेक . तो आजके भारत की इस विशेषता और अनूठेपन को ख़त्म करने के लिए बनाये जा रहे UCC का समर्थन क्यों कर रहे हैं आप ?
आप कहेंगे जो UCC बनाया जाएगा उसमें ऐसा कुछ नहीं है जिसमें नागरिकों की धार्मिक , सांस्कृतिक और भाषा तथा खान पान की आज़ादी को ख़त्म कर दिया जाएगा . और वो सब भी नहीं है जिसका प्राचार विपक्ष की तरफ से किया जा रहा है या कुछ धर्मावलम्बी बोल रहे हैं । तो UCC Actually है क्या यह कौन बताएगा आजकी तारिख में ? क्योंकि जब तक इसका फाइनल ड्राफ़्ट न बन जाये , तमाम मज़हबों की सहमति ना आजाये तब तक इस विषय पर चर्चा के कोई माने भी नहीं ।
आदरणीय राज्यपाल साहिब क्या सनातनी पद्धति या परम्परा में जुल्म के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाना जुर्म है ? भोपाल में आयोजित इस भव्य मंच और अवसर पर मणिपुर और नुह में होने वाले जुल्म और तांडव पर 2 लाइन बोल देते । देश को सांप्रदायिकता की आग में झोंकने वालों पर अंकुश लगाने की बात बात कर लेते , देश में सोहाद्र और अम्न व् भाईचारा का पैग़ाम देते तो मेरा यक़ीन है की आपसे आपकी Governari कोई नहीं छीन सकता था , क्योंकि यह आपका मुक़द्दर है और वो कोई इंसान नहीं छीन सकता । मगर इतने हस्सास और गंभीर मुद्दे पर आप जैसे ज्ञानी और सनातनी (चिरन्तन सत्य) का अनुयायी यानी सच के अलम्बरदार का खामोश रहना बार बार सवाल खड़े करता है .
मान्यवर , मोहतरम बड़े भाई अगर आप देश में फैलते नफ़रती माहौल , अन्याय और ज़ुल्म के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद कर लेते तो आजके यज़ीद के मुकाबले हुसैनि गुट ,,,,,,,,,,,,,भक्त प्रह्लाद की विष्णु भक्ति और शक्ति पर भक्ति की जीत का प्रतीक के रूप में पहचाने जाते जिनको बुराई पर अच्छाई का प्रतीक माना जाता है ।