भारतीय राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा ने राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थानों के 14वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित किया

Justice mishra during Human rights conference in Denmark
आज देश और दुनिया जब अमानवीय और अनैतिक समाज की बुराइयों से जूझ रही है. हैवानियत की बदतरीन मिसालें क़ायम की जा रही हैं . ऐसे में डेनमार्क में मानवाधिकारों का समेलन आयोजित किया जा रहा है .
इस अवसर पर भारतीय राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा ने आज डेनमार्क के कोपेनहेगन में राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थानों के 14वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित किया। मिश्रा ने उत्पीडन के खतरे को खत्म करने के लिए समाज को अधिक मानवीय और सभ्य बनाने पर जोर दिया।
उन्होंने कहा कि अदालतों में जनहित याचिका और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का स्वत: संज्ञान लेना पीड़ितों के लिए न्याय सुनिश्चित करने के सम्बन्ध में सबसे अच्छा साधन हैं।
मानवाधिकार आयोग और अदालतों के स्वत्य: संज्ञान का मश्वरा तो बहुत अच्छा है परन्तु इन संस्थानों पर राजनीती और शासन के प्रभाव को कम करने का क्या समाधान है . असल बीमारी का इलाज ज़रूरी है . सूखते वृक्ष के पत्तों पर पानी के स्प्रे से बात नहीं बनती बल्कि जड़ में लग चुके कीड़े को मारना पड़ता है . आज के समाज में मानवाधिकार रुपी वृक्ष की जड़ में कीड़ा लगा हुआ है जिसके कारण यह सूख चुका है .इसके लिए देश और दुनिया के सियासी और शासकीय सिस्टम को ही ठीक करने की ज़रुरत है . TOP View