Ali Aadil Khan
Edito’s Desk
देश में मवेशियों के लिए चारा और लम्पी का संकट
गायों में भयंकर जानलेवा बीमारियों के लिए बादशाह ज़िम्मेदार , मगर कैसे ?
रिपोर्ट के अनुसार केवल उत्तर प्रदेश मेँ 8 लाख मवेशी सरकारी गोशालाओं में हैं ।जिनको 10 लाख टन भूसा दरकार है, राजस्थान और उत्तराखंड ने भूसा राज्यों से बाहर भेजने पर पाबंदी लगा दी थी ।
बता दें इस वर्ष गेहूं का सरकारी दाम 2000 से 2100 रुपये प्रति कुंतल रहा , जबकि भूसा 1700 से 2000 रुपये प्रति कुंटल पर टिका रहा ।
आवारा और छुट्टा मवेशी व् नील गायों की समस्या किसानों के लिए बड़ी समस्या बनकर उभरी है जिसका फिलहाल कोई समाधान सरकारों के पास भी नहीं है ।
प्रकृति के नियमों से जब भी इंसान छेड़ छाड़ करेगा धरती पर संकट पैदा होना स्वाभाविक है ,लेकिन अकल के अंधों को यह बात समझ नहीं आ रही ।सरकारों और भक्तों की सारी Energy पड़ोसी की दोनों आँखें फोड़ने पर लगी हुई है , जबकि देश का आम नागरिक इस विचारधारा से दुखी है .
जब उत्तर प्रदेश में मवेशियों के लिए भूसा संकट पैदा हुआ तो सरकार ने अपने कर्मचारियों और अधिकारियों को भूसा इकट्ठा करने पर लगा दिया।और उनको target दिया गया है ।
लेकिन जिस राज्य में किसान पहले ही से चारा सहित मवेशियों की विभिन्न समस्याओ से जूझ रहा हो , ऐसे में समस्या से कैसे निकला जाएगा इस पर प्रशासन की चिंतन बैठकें शुरू हो गई ।
किसानों को भूसा दान देने का अभियान चलाया गया , और इसकी ज़िम्मेदारी कई जिला अधिकारियों को दी गई मगर कोई समाधान नहीं निकला।
सोचने की बात है जब किसानो को खुद अपने मवेशियों के लिए भूसा मुहैया न हो , और मंहगे दाम पर भी भूसा न मिल रहा हो तो भला किसान भूसा दान केसे कर पायेगा।
अभी देश का बे ज़बान मवेशी चारे की समस्या से बाहर नहीं निकला था कि lumpy virus ने आ दबोचा । जब हाकिम ज़ालिम होजाते हैं तो फिर परिंदे और जानवरो को भी ज़ालिम हुक्मरान की नहूसत का सामना करना पड़ता है ….इसलिए अगर जनता अपनी बक़ा चाहते हो तो ज़ुल्म को रोको ज़ालिम को रोको .इन ज़ालिम बादशाहों की वजह से
ताज़ा हालात ये हैं कि दुनिया में मुख्तलिफ तरह के अज़ाब हैं , पड़ोस में सैलाब से लाखों इंसान बेघर और हज़ारों मौत का लुक़मा बन गए हैं .देशभर के 22 राज्यों में लाखों गायों की मौत हो चुकी है जबकि lumpy skin desease यानी LSD से मवेशियों की जान को लगातार खतरा बना हुआ है । साथ ही यह भयानक बीमारी इंसानों में फैलने की आशंका जताई जा रही है।
देश अभी इंसानों में फेले virus , covid से नहीं उभरा है कि अब मवेशियों को lumpy जेसी भयानक बीमारि ने घेर लिया है। पहले देश की 130 करोड़ जनता पर फ़खर करने वाले नेताओं ने covid से मरने वाले इंसानों की लाशों को कुत्तों के हवाले छोड़ दिया और कई राजनीतिज्ञों ने जमकर सियासत भी की।
और आज गायों के नाम पर इंसानो को मारने वाले भक्तों ने देश में मरने वाली लाखों गायों को लावारिस छोड़ दिया जिनको दबाने के लिए अब धरती कम पड़ने लगी है ।
बात यह है कि जब इंसान प्रकृति के नियमों से खिलवाड़ करने लगेगा तो फिर कुदरत भी खेला शुरू कर देगी।
और ये सब तो सबक देने के लिए छोटी छोटी आपदाएं हैं, जब महा प्रलय आएगा तो दुध पीते बच्चों को माएँ छोड़ कर इधर उधर भागने लगेंगी। प्रेगनेंट औरतों के हमल गिर जाएंगे। और सब अपनी जान बचाने की फ़िराक़ में एक दूसरे को भूल जाएंगे।
गोकशी के नाम पर तांडव और लूट मचाने वालों के पास आज एक अच्छा मोका था खुद को गौरक्षक साबित करने का , और गायों की सेवा करने का। मगर उनका मकसद तो कुछ और है।सात चीतों की सेवा और उनपर मीडिया की रिपोर्टिंग और सिसकती गायों और जानवरों से ला पर्वाही तबाही का पेश खेमा है . ज़रा संभल कर चलो वरना मौत तो हर वक़्त सर पर खड़ी है ………….और याद रखो ज़ुल्म देखकर खामोशी यह भी ज़ुल्म है .