EVM की जाँच CJI के कहने पर इलेक्शन कमीशन को करवानी पड़ी, कुछ पोलिंग STATIONS पर 100% VV Pat कमल की मुहर लगे निकले
– जॉ.जया शुक्ला
देश की लोकतान्त्रिक और संवैधानिक प्रणाली को लगातार पंगु बनाने की कोशिश लोकतंत्र के सीने मेँ तानाशाही ,लूट और डकैती का खंजर साबित हो सकती है . जिसका बदला जनतंत्र में देश की जनता ही ले सकती है .
सभी विधान सभा चुनाव के चौँकानेवाले परिणाम सामने आचुके हैं । आशा और आकलन के विपरीत मध्य प्रदेश ,राजस्थान और छत्तीसगढ़ मेँ भाजपा को मिले वोट उम्मीद और किसी भी Exit Poll के लगभग विपरीत हैं . इसकी वजहेँ कई हैँ।
कांग्रेस की प्रदेश स्तरीय नेताओँ से भी कई ग़ल्तियाँ हुई हैँ . जिसकी वजह से कार्यकर्ताओं में लगातार नाराज़गी पाई गयी । जिसपर शीर्ष पंक्ति की Leadership को नज़र रखने की भी ज़रुरत थी . परन्तु यह स्वयं मेँ इतना बड़ा कारण तो हर्गिज़ नहीँ था, जो ऐसा परिणाम आता, यद्यपि इन ग़ल्तियोँ से भविष्य के लिये सीख लेना भी आवश्यक है।
एक छोटा कारण यह भी है, कि राजस्थान मेँ कौंग्रेस की भाजपा पर बढ़त थोड़ी कम थी, उसे पाटने के लिये “आप” पार्टी जो भाजपा की ही बी-टीम है, उसको कांग्रेस के सामने उतारा गया। दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी ने मध्यप्रदेश मेँ कांग्रेस की बढ़त पर कुछ तो प्रभाव डाला ।
पूर्व में गुजरात मेँ किये गए अपने दरार डालने के प्रयोग के अनुसार भाजपा ने मायावती के द्वारा सपा पर प्रभाव डाला था, जिस पर राजनीतिज्ञोँ का ध्यान खीँचा गया था। फलस्वरूप सपा के मध्यप्रदेश मेँ लड़ने से कौंग्रेस के कुछ वोट घटने के रूप मेँ मिला।
किन्तु यह सभी उपाय कौंग्रेस को मध्यप्रदेश मेँ हरा सकने के लिये काफ़ी नहीँ थे। अतः बेहद अलोकताँत्रिक और आपराधिक तरीक़े से वोटोँ पर डकैती डाली गई। इनमेँ सबसे अधिक घटनाएं मध्यप्रदेश मेँ सामने आएं ।
1) EVM की जाँच CJI के कहने पर इलेक्शन कमीशन को करवानी पड़ी, कुछ पोलिंग STATIONS पर 100% VV Pat कमल की मुहर लगे निकले। इसके बावजूद EVM से ही वोट पड़े।
2) पोस्टल बैलेट बदलते हुए डाक विभाग के कर्मचारियोँ का वीडियो वाइरल हुआ, कोई ऐक्शन नहीँ। पूरे 11 हज़ार पोस्टल वोट तो ग़ायब भी बताये जाते हैँ, क्योँकि उन्हेँ बदल पाने के पूर्व ही पकड़ लिये गए।
3) रात को स्ट्रौंग रूम के सीसीटीवी कैमरे बन्द होने की कई पोस्ट वाइरल हुई, कोई ऐक्शन नहीँ।
4) कई मशीनेँ ग़ायब होने की पोस्ट भी वाइरल हुई, कोई ऐक्शन नहीँ।
5) आश्चर्यजनक रूप से गुजरात के पिछले चुनावोँ मेँ अमित शाह ने अलग अलग सीटोँ पर वोटोँ की जो संख्या बताईँ, ठीक वही संख्याएँ निकलीँ, जैसे कि पहले से उपाय कर लिया गया हो। अभी भी उनकी बताई संख्याएँ ही आती दीख रही हैँ। अतः यह जनता के मत तो नहीँ हैँ।
हालांकि पोस्टल बैलेट बदलने की प्रकृया तो तेलंगाना मेँ भी हुई। इब्राहिमपटनम स्थित आरडीओ कार्यालय में पोस्टल मतपेटियों की सील खोली गई।कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने इसका विरोध किया। ऐसा अन्य स्थानोँ पर भी हुआ होगा। इसी के नतीजे में तिलंगाना में 1 से 8 पर बीजेपी पहुँच सकी .
देश की जनता के साथ उनके वोट के अधिकार के साथ इतना बड़ा विश्वासघात न तो देश केलिए अच्छा है और देश के लोकतंतंत्र व संविधान के लिए . आती देश evm मुक्त होना ही चाहिए तभी भ्रष्टाचार मुक्त हो सकेगा और बीजेपी मुक्त भी .
तेलंगाना की हार जीत से राष्ट्रीय राजनीती पर बीजेपी के हिसाब से शायद कोई ज़्यादा प्रभाव नहीं पड़ने वाला . इसलिए इसको बख्श दिया गया हो .दुसरे वहां की जनता का भी सौभाग्य रहा होगा जो वहाँ के परिणाम बीजेपी की इच्छानुसार , सारी धाँधली के बावजूद, नहीं आ पाये। इसी के साथ दक्षिण भारत अब भाजपा मुक्त हो चुका है।
चुनावों में बड़े स्तर पर धान्द्ली से स्पष्ट है कि अब जनता को लोकतंत्र, संविधान और अर्थतंत्र बचाने की भी लड़ाई लड़नी पड़ेगी। 2024 मेँ प्रतियेक देशभक्त को अब पुनः आज़ादी की लड़ाई लड़नी ही पड़ेगी अन्यथा देश फिर से पूर्णतया साम्राज्य्वादी तथा पूंजीवादी शक्तियों के चुंगल में चला जाएगा .
लेखिका कांग्रेस बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं
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