देशभक्ति की परिभाषा बदलने में दुश्मन का है बड़ा रोल
देश के बहु चर्चित अम्बेडकरवादी अधिवक्ता मेहमूद पराचा एक बार फिर पुलिस के घेरे में

देश में covid महामारी के चलते किसी भी Gathering पर पाबंदी लगी हुई थी . लेकिन unlock के बाद देश और दिल्ली में रफ़्ता रफ़्ता सामाजिक और आर्थिक तथा राजनितिक रौनक वापस लौट रही है .वर्तमान सरकरों के लिए Covid महामारी एक कवच का काम कर रही है . क्योंकि सरकारों की नाकामी और देश व् जनता के प्रति ला पर्वाही पर लगाम कसने केलिए विपक्ष और समाज सेवी संस्थाओं के धरने प्रदर्शन और संगोष्ठियां ही एक मात्र रास्ता होते हैं . जबकि Pendamic Act के लागू रहते ये सब पर पाबंदी रहती है .
ज्यों ही दिल्ली में Unlock का ऐलान हुआ कुछ समाज सेवी संस्थाएं और Revolutionary और मानवतावादी नेताओं ने संगोष्ठियों के आयोजन की योजना बनाई , इसी कड़ी में एक विचार संगोष्ठी दिल्ली के जोर बाग़ स्थित कर्बला नर्सरी पर रखी गयी .यह Programme , Advocate मेहमूद परचा की कॉल पर रखा गया था . जिसमें देश भर से विचारक , समाज सेवी , Retrd .IPS और IAS अधिकारी डॉक्टर्स एवं प्रोफ़ेसर्स भाग लेने के लिए पहुंचे थे . संगोष्ठी में भाग लेने वाले लोगों की कुल संख्या 60 से 70 रही होगी .ख़ास बात यह है की संगोष्ठी Mission Save constitution & Vikas Abhiyan Sangh के बैनर तले आयोजित की गयी थी . और विषय भी वो था जो वर्तमान सर्कार में मुख्य पार्टी BJP की विचार धारा के एकदम विपरीत है अर्थात Socio Political Empowerment of SC ,ST ,OBC & Minority .

Programme की अध्यक्षता नेहरू पार्क बालमीकि मंदिर के महंत स्वामी विवेक नाथ कर रहे थे .सब कुछ ठीक चल रहा था अचानक 12 से 15 दिल्ली पुलिस कर्मियों और अधिकारीयों की एक टुकड़ी पहले vedio Graphy करने लगी और उसके बाद कहा ये Programme बंद करो , यह Programme नहीं होगा . वहां मौजूद Programme के आयोजकों ने POlice अधिकारीयों से बात की और कहा की यहाँ सब कुछ Covid Protocol और नियमों के साथ चल रहा है , किन्तु पुलिस अधिकारी Programme बंद करने पर अड़े रहे . अफ़रा तफ़री मच गयी .

इसी बीच आयोजक ने Mic से ऐलान किया की Police अधिकारी ने जाती सूचक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए धमकाया और संगोष्ठी को तुरंत बंद करने का फरमान जारी किया . उन्होंने कहा हम अपनी निजी Property पर छोटा सा प्रोग्राम भी नहीं रख सकते ?, हम अपने अधिकारों की बात बाबा साहब के संविधान के दायरे में रहकर नहीं कर सकते ? .क्या संविधान की सुरक्षा की बात करना जुर्म है ? इत्यादि .
जाती सूचक शब्द को लेकर मौजूद सभी अम्बेडकरवादियों में भारी रोष व्याप्त होगया और उन्होंने पुलिस अधिकारी के विरुद्ध FIR करने की बात कही , वहां मौजूद सभी अम्बेडकरवादियों ने मोदी सरकार और दिल्ली पुलिस के विरुद्ध जमकर नारे बाज़ी भी की गयी .इसी बीच मेहमूद प्राचा की मध्यस्थता के बाद हालात कुछ शांत हुए लोग वापस सभागार में पहुँच गए . हमारे संवाददाता को महमूद प्राचा ने फोन पर बताया की पुलिस अधिकारीयों ने कहा की हम आपकी सुरक्षा के लिए ही आये थे , और हमने कोई जाती सूचक शब्दों का प्रयोग नहीं किया था . और आप अपना programme करते रहें .
लेकिन इस सबके बीच सवाल यह पैदा होता है की जिस संगोष्ठी में संविधान की रक्षा की बात हो रही थी , बाबा साहब के आदर्शों की बात हो रही थी देश में समृद्धि और सियासी विकल्प की बात हो रही थी जनता के अधिकारों की रक्षा की बात हो रही थी उसको बंद करने या रोकने के लिए क्यों कहा जा रहा था किसके आदेश पर ऐसा किया जा रहा था .जिसमें कुछ भी असंवैधानिक या अलोकतांत्रिक नहीं था .
ज़ाहिर है ये विचार गोष्ठी जिसमें देश के सेवानिवृत उच्च पदाधिकारी मौजूद थे , डॉक्टर्स , प्रोफ़ेसर्स और बुद्धि जीवी भी थे . उनसे सरकार को क्या खतरा हो सकता है सिर्फ यह कि जनता BJP और सरकार कि नाकामी के चलते लामबंद न होजाये , जनता लामबंद होगी सत्ता के छिन जाने की आशंका बढ़ जायेगी .
इस विचार संगोष्ठी में कई बड़े क़ानून के जानकार मौजू थे , भारत सर्कार के उच्च पदाधिकारी मौजूद थे , क्या ये आतंकी गति विधियां या देश विरोधी प्लानिंग कर रहे थे ?.क्या अब संविधान कि सुरक्षा और विकास की बात करना अपराध की श्रेड़ी में आएगा ? क्या देश के वंचित और पिछड़ा समाज की बात करना जुर्म की Catagory में आएगा? , अगर वास्तव में ऐसा है तो देश में ज़रूर इंक़लाब आएगा .
देश को अखंड भारत बनाने वाले ज़रा सोचें ……जिस झूठे राष्ट्रवाद के नाम पर देश को नफरत के घने बादल से पाटा जा रहा है , यह देश को खंडित कर देगा और जिस नारे को राष्ट्रवाद के नारे से जोड़ा जा रहा है यह देश के दुश्मन को हमलों का मौक़ा देगा , और देश के साथ यह बहुत खतरनाक षड्यंत्र है और धोखा है , इस षड्यंत्र में जो पार्टियां या संस्थाएं भी विलुप्त हैं उनका तुरंत पूरे देश में Boycott होना ही देश प्रेम है . देशवासियों के बीच नफरत के इस नासूर को जल्द से जल्द निकालना ज़रूरी है .
अब ज़ाहिर है जिस विचारधारा की छत्रछाया में आजका फ़र्ज़ी राष्ट्रवाद परवान चढ़ रहा है. उसके बारे में देश के लिए एक साथ क़ुर्बान होने वाले शहीदों जैसे भगत सिंह ,महात्मा गाँधी , चंद्रशेखर आजाद ,अशफाक उल्ला खां , सुभाषचंद्र बोस ,रामप्रसाद बिस्मिल , ज्योतिबा फूले , मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ,गंगा राम धानुक,मौलाना मुहम्मद अली जोहर , भोला पासवान, जगलाल चौधरी,शौकत अली , धर्म प्रकाश, राम जी लाल सहायक ने कभी सपने में नहीं सोचा होगा कि देशभक्ति की परिभाषा इस तरह बदल जायेगी .