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क्या भाजपा, बिहार में उत्तर प्रदेश की रणनीति दोहराएगी ?

क्या भाजपा, बिहार में उत्तर प्रदेश की रणनीति दोहराएगी ?

देवेंद्र यादव कोटा राजस्थान

बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक पंडित और विश्लेषक, चुनावी गठबंधन के आधार पर जीत और हार को लेकर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चेहरा और उनके द्वारा 6 वर्षों में किए गए विकास के कार्य और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सुशासन और विकास को भले ही मुख्य मुद्दा माने, लेकिन बिहार विधान सभा चुनावों में किस पार्टी की जीत होगी यह सस्पेंस अभी भी जस का तस बना हुआ है !

कोरोना महामारी के कारण प्रवासी मजदूरों और उसके कारण बेरोजगार हुए युवकों से सस्पेंस उत्पन्न होता दिखाई दे रहा है, यह दोनों वर्ग बिहार विधानसभा चुनावों में उम्मीदवारों और विधानसभा का चुनाव लड़ रही राजनीतिक पार्टियों के भविष्य को तय करेंगे, यह अभी राजनीतिक पंडितों को दिखाई नहीं दे रहा है मगर सत्ता में बैठे दल और विपक्ष दोनों को नजर आ रहा है !


जहां तक भाजपा का सवाल है की क्या वह बिहार में उत्तर प्रदेश की तरह सरकार बनाएगी यह कहना भी अभी जल्दबाजी होगी, मगर अमित शाह के बाद भाजपा के दूसरे प्रमुख रणनीतिकार भूपेंद्र यादव कि बिहार विधानसभा चुनावों में मौजूदगी यह संकेत देती है कि भाजपा बिहार में उत्तर प्रदेश की तर्ज पर जीत दर्ज करने की रणनीति बना रही है !

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हालांकि बिहार में भाजपा के पास उत्तर प्रदेश की तरह योगी आदित्यनाथ जैसा चेहरा नहीं है वह बिहार में नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री का चेहरा मानकर चुनाव लड़ रही है ! भाजपा के पास चुनाव लड़ने के लिए सीटें भी कम है लेकिन उसकी विचारधारा के लोगों को चुनाव लड़ाने का रास्ता चिराग पासवान के रूप में मौजूद है!

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जो नेता भाजपा से उम्मीदवार बनने से वंचित रह जाएंगे वह नेता एलजेपी के उम्मीदवार बनके चुनाव लड़ सकते हैं ऐसे कयास राजनीतिक गलियारों में तेज़ी के साथ लगते दिखाई दे रहे हैं !


यदि भाजपा अपनी रणनीति में सफल हो जाती है तो क्या आरजेडी , कॉन्ग्रेस और जेडीयू की स्थिति भी उत्तर प्रदेश की तरह समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस की तरह हो जाएगी, यह कहना अभी जल्दबाजी होगी क्योंकि उत्तर प्रदेश और बिहार एक दूसरे से सटे राज्य हैं मगर दोनों जगह राजनीति अलग है, प्रवासी मजदूर और बेरोजगार युवाओं के हाथों में बिहार विधानसभा नतीजों के तिजोरी की चाबी मौजूद है , इनका किस तरफ रुझान होगा, देखना अभी बाकी है |

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