Ali Aadil Khan
Editor’s Desk
Part 3 ……………..
Part 2 से आगे ……………………..आसाम में जिस तरह एक शिक्षक के किसी आतंकी गुट से संपर्क होने के शक में मदरसे पर बुलडोज़र चला दिया गया यह बिलकुल ऐसा ही है की भारत में चंद…………….
कर्तव्यपथ का एक और Important पहलू
आपको यह जानकर हैरानी होगी 1998 में Chief Justice Of India जस्टिस रंग नाथन मिश्रा ने SC को एक पत्र लिखा जिसमें नागरिक कर्तव्यों पर देश के हर वर्ग को अमल करने की तरफ तवज्जोह दिलाई , और उन्होंने जो सवाल किया वो मालूम है क्या था ?,उन्होंने सवाल किया था और एक चेतावनी दी थी “अगर देश में संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों की Fundamental duties और जवाबदेही तय नहीं होंगी तो देश कैसे चलेगा ?
उसके बाद कुछ इसी तरह की इबारत 1999 में जस्टिस वेंकट चॅनेया ने constitution review committee के चेयरमैन की हैसियत से लिखी जिसमें सवाल करते हुए बताया गया के देश में 99 % लोगों को पता ही नहीं की हमारे नागरिक कर्तव्य क्या हैं , तो ऐसे कैसे देश चलेगा ?”
सबसे ज़्यादा दुःख और चिंता की बात यह है की जब संवैधानिक पदों पर बैठे लोग संविधान की शपथ लेने वाले लोग ही संविधान का मज़ाक़ उड़ाने लगें और उसको मानने से इंकार करने लगें तो फिर नागरिक कर्तव्यों के निर्वाहन की उम्मीद आप किससे करेंगे ?.संविधान और जनता की हिफाज़त के लिए बनाई गयी पुलिस जब संविधान की धज्जियाँ उड़ाने वालों के साथ होजाये और रिश्वत व् भरष्टाचार आम होजाये तब क्या कीजियेगा ?
जिस देश में गुजरात की एक महिला का गैंग रेप करने वालों और उसके पूरे परिवार का नरसंहार करने वालों को अदालत से इसलिए ज़मानत मिल जाए की गुड कंडक्ट यानी अच्छे आचरण के लोग हैं ये अपराधी , अच्छे आचरण का अगर यह पैमाना बन जाए तो दुनिया में अत्याचार , ज़ुल्म , रेप , लूटमार सब कुछ आम होजायेगा .
जेल से बाहर रहकर हैवानियत की हदें पार करने वाले लोग जेल के अंदर अच्छे आचरण के नाम पर रिहा किये जायेंगे तो इसका मतलब अच्छे आचरण की परिभाषा ही बदल दिए जाने की योजना बना ली गयी है ….हमने माना की जुर्म का पश्चाताप अगर होजाये और इंसान खुद को आपराधिक प्रविर्ती से तौबा करने का संकल्प लेले तो उसको रिहा कर दिया जाना चाहिए लेकिन गुजरात दंगों की पीड़िता बिल्क़ीस और उसके परिवार के साथ जघन्य अपराध के आरोपियों को माफ़ किये जाना देश केलिए घातक है ….
2012 में कंस्टीटूशन बेंच के हेड CJI जस्टिस कपाड़िया मीडिया Guidelines तय कर रहे थे और उसमें कर्तव्यों की बात हो रही थी , वहां मौजूस Supreme Court के वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक अरोरा ने जो कहा वो याद रखने लाइक था , की जब तक हम अपनी Duties ईमानदारी से पूरी नहीं करेंगे तो कोई दूसरा आपकी ड्यूटी नहीं पूरी करेगा .हम दुनिया में क्यों भेजे गए हैं इसका मक़सद हमें समझना होगा …..अशोक जी ने आगे अलामा इक़बाल की एक नज़्म के परिपेक्ष में आजकी दुनिया को उनके कर्तव्यों की याद दिलाते हैं और न्याय वयवस्था को भी अपनी ज़िम्मेदारियाँ समझने कि कोशिश करते हैं ,,, Advocate Arora कहते हैं …
ज़ाहिर की आँख से न तमशा करे कोई
हो देखना तो दीदा ए दिल वा करे कोई
मंसूर को हुआ गोया लब ए पयामे मौत .
अब क्या किसी के इश्क़ का दावा करे कोई
हो दीद का जो शौक़ तो आँखों को बंद कर
है देखना यही के न देखा करे कोई
Advocate अरोरा ने गीता में कृष्ण के सन्देश की भी याद दिलाई जिसमें हर एक को अपने कर्तव्यों के निर्वाह का उपदेश दिया गया है , उन्होंने कहा कि हम Jurist के नाते अपनी Duties perform करें और मीडिया को ईमानदारी से अपना काम करने दें .
हम भी अक्सर कर्तव्य और अधिकार पर लिखते रहे हैं बात करते रहे हैं , जब तक कर्तव्य और अधिकारों का कॉम्बिनेशन नहीं बनेगा तो किसी भी रिश्ते में सकारात्मकता , मज़बूती या कामयाबी आ ही नहीं सकती .
कर्तव्य पथ कि मुख़्तसर तारिख \
कर्तव्य पथ से पहले इसका नाम राजपथ था और उससे पहले इसको किंग्स वे कहा जाता था, और जॉर्ज पंचम के सम्मान में इसे यह नाम दिया गया था। सेंट स्टीफ़ेंस कॉलेज के प्रोफ़ेसर पर्सिवल स्पियर की सलाह पर किंग्स वे नाम तय हुआ था। आजादी के बाद 1955 में जब जवाहर लाल नेहरू भारत के प्रधान म्नत्री थे तब किंग्स वे का नाम बदलकर राजपथ कर दिया गया था ।और अब इसको कर्तव्यपथ का नाम दिया गया है .
कर्तव्य पथ पर चलने के लिए कुछ मिसालें सामने रखना यहाँ ज़रूरी है
नेता जी सुभाष चंद्र बोसे ने आज़ाद हिन्द फ़ौज के जिन मुस्लिम जांबाज़ों को तमग़ा ए इम्तिआज़ दिए उनकी एक लिस्ट यहाँ दी जारही है ,,,,,,,हालाँकि यह सूची सीमित है और अभी भी बशीर अहमद और मुनव्वर हुसैन जैसे सैकड़ों संग्रामियों का नाम इसमें शामिल नहीं है , जो आजाद हिंद सरकार में अपनी अहम् भूमिका रखते थे. अजीज अहमद खान और इनायत कियानी, आजाद हिंद फौज की तीन रेजिमेंटों में से दो के कमांडर, नजीर अहमद जो नेताजी पर हमले का बचाव करते हुए मारे गए थे; ऐसे ही शेख मोहम्मद, जिन्होंने वियतनाम में इंडिया इंडिपेंडेंस लीग का नेतृत्व किया। सूची लंबी है।
यह भी सच है कि राष्ट्रवादी और धर्मनिरपेक्ष आंदोलन के मुस्लिम सैनिकों की सूची तैयार करना मूर्खता है , क्योंकि वो तादाद इतनी ज़्यादा थी कि उनको सूचीबद्ध करना ना मुमकिन है ।बस चंद गिने चुने लोगों को ले लिया गया है ताकि इतिहास के उस बाब को ज़िंदा रखा जा सके जिसमें भारत की आज़ादी के लिए मुसलमानो का न क़ाबिल ए फरामोश किरदार रहा है |और इसलिए भी कि खुद मोदी जी इस बात को कहते हैं कि इतिहास को ज़िंदा रखने के लिए इतिहास रचने वालों की चर्चा होनी चाहिए | हालाँकि, यह भी एक कटु सत्य है कि वर्तमान समय में लोग आधुनिक भारत के निर्माण और भारत की आज़ादी में मुसलमानों के योगदान को जानना चाहते हैं।
आज़ाद हिन्द फ़ौज में सर्वोच्च पदक हासिल करने वाले मुस्लिम
तमग़ा -ए -सरदार -ए -जंग
Col. S.Ahmed. Malik
Major Sikander Khan
Major Abid Hussain
Capt. Taj Mohammad
तमग़ा -ए -वीर -ए -हिन्द
Lt. Asharfi Mandal
Lt. Inayat Ullah
तमग़ा -ए -बहादुरी
Hav. Ahmed Din
Hav.Din Mohd
Hav. Hakim Ali
Hav. Ghulam Haider Shah
तमग़ा -ए -शत्रु नाश
Hav. Pir Mohd.
Hav. Hakim Ali
Naik Faiz Mohd.
Sepoy Ghulam Rasul
Naik Faiz Baksh
सनद -ए -बहादुरी
Hav. Ahmad-ud-Din
Hav. Mohd. Aaghar khan
Hav Gulab Shah