Ali Aadil Khan
Editor’s Desk
PART 2 …….
Part1 से ………….इतना ही नहीं नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की आजाद हिन्द फौज’ में 40% मुसलमान थे आज़ाद हिन्द फौज में जिस शख्स को सेना में भर्ती करने का काम सौंपा गया था उनका नाम गुलाम हुसैन मुश्ताक रंदेरी था ,वे भी गुजरात सूरत के रहने वाले थे।……..
………….आइये ज़रा नागरिक कर्तव्यों को संविधान की रौशनी में समझते हैं , भारतीय संविधान का Article 51 A , हमको Fundamental Duties यानि नागरिक ज़िम्मेदारियों के बारे में बताता है …. यहाँ सबसे पहले हमको मुल्क को आज़ादी दिलाने वालों के कर्तव्यों के निर्वाहन की बात करनी होगी , क्योंकि इंसान के जीवन में सबसे क़ीमती चीज़ उसकी जान होती है , और वही उन्होंने मुल्क की आज़ादी और अमन के लिए न्योछावर कर दी | तो भारतीय संविधान के Article 51 A के पैरवी में सबसे ऊंचे मक़ाम पर स्वतंत्रता सेनानी आते है बाक़ी दर्जे उसके नीचे हैं.
Fundamental Duty में शहरी की हैसियत से अपने कर्तव्यों को जानने में यह भी ज़रूरी है के वो दुनिया में किस लिए आया है ? किसी इंसान के अधिकार और कर्तव्य इन दोनों को समझना जरूररी है …
भारतीय संविधान का Article 51 A के तहत सबसे पहला कर्तव्य माँ बाप से शुरू होता है की वो अपने बच्चों का पालन पोषण अच्छे से करें , फिर ऐसे संस्कार , तालीम और तहज़ीब दें जिससे वो अपनी इंसानी ज़िम्मेदारी को समझने के साथ साथ नागरिक ज़िम्मेदारियों को भी समझे ,,,, उसके बाद शिक्षा संस्थानों की भी बड़ी ज़िम्मेदारी है की वो बच्च्चों को इंसानी तालीम का पाठ पढ़ाएं ,,,,
,इसके साथ ज़िम्मेदारियों में सबसे पहली इंसान की ज़िम्मेदारी है की वो अपने बनाने वाले के हक़ को समझे , फिर इसके दुनिया में आने के लिए जो माध्यम बने यानी माँ बाप ,उनके प्रति अपनी ज़िम्मेदारी समझे , उसके बाद अपने शिक्षकों और गुरुओं के अधिकार को समझे फिर अपनी सामाजिक और नागरिक ज़िम्मेदारियों का निर्वाहन करे ……
मुझे मालूम है कुछ लोग कहेंगे की नागरिक ज़िम्मेदारी को सबसे लास्ट में रखा लिहाज़ा यह शख्स राष्ट्र द्रोही है , लेकिन Fake और झूठी राष्ट्रभक्ति का षड्यंत्र करने वाले ही इस प्रकार का वक्तव्य देंगे ,लेकिन सच्चाई और हक़ यही है जो इंसान अपने बनाने वाले के अधिकार को न समझे , अपने माँ बाप और गुरु शिक्षक के अधिकार को न समझे वो अपने नागरिक अधिकारों को क्या समझेगा . वो सिर्फ झूठे राष्ट्र भक्ति के ड्रामे करेगा . आपको हैरत होगी देश में आज़ादी के बाद से सत्ता की मलाई चाटने वाले नेताओं की औलाद में एक भी शख्स न तो आर्मी में गया न सीमा सुरक्षा बल में और न ही पुलिस में , दो चार परिवारों को छोड़ कर .
********कर्तव्यपथ हमें कहाँ लेजाता है इससे बात शुरू हुयी थी ,,,उससे पहले यह जा लें जब kings way से राजपथ रखा गया था तो इससे देश को क्या लाभ हुआ था ? जवाब है कुछ नहीं बल्कि आज राजपथ नाम रखने वालों को सिर्फ Cricise किया जा रहा है और कुछ नहीं … सत्ता परिवर्तन के बाद फिर यही होगा .मगर आजका कर्तव्य पथ हमको कहाँ लेजायेगा इसका हमको पता नहीं लेकिन फिलहाल देश की राजनीती भारत को जिस दिशा में ले जा रही वो किसी से छुपी नहीं है ,शायद एक ऐसे युग की तरफ जहाँ सिर्फ तबाही और बर्बादी है ….क्योंकि सियासत का आधार और बुनियाद ही नफरत और स्वार्थ पर है .
चलते चलते मदरसों का ज़िक्र भी करलें …….देश की आज़ादी में सबसे ज़्यादा क़ुरबानी देने वाले मदरसों को जिस तरह टारगेट किया जा रहा है वो स्वतंतर्ता संग्रामियों का मज़ाक़ उड़ाने के सिवा कुछ नहीं …..आसाम में जिस तरह एक शिक्षक के किसी आतंकी गुट से संपर्क होने के शक में मदरसे पर बुलडोज़र चला दिया गया यह बिलकुल ऐसा ही है की भारत में चंद लोगों केकिसी आतंकी गुट में शामिल होने के जुर्म में आतंक विरोधी देश मिलकर भारत पर ही हमला बोल दें और कहें तुम्हारे यहाँ आतंकी पाए गए हैं तो आप ही बताएं यह कहाँ तक सही होगा ?
ऐसी ही कुछ मिसालें दुनिया में इराक और अफ़ग़ानिस्तान के रूप में मौजूद हैं .आसाम में मदरसे पर बुलडोज़र चलने वाली घटना देश को कमज़ोर करने की साज़िश का हिस्सा है .जिसपर तुरंत राष्ट्र स्त्रिये मंथन और जांच होनी चाहिए …
औलाद को निकम्मा और बेवफाई का ड्रामा रचने वाली सौतेली माँ द्वेष , बुग़ज़ और ईर्ष्या की वजह से एक रोज़ उसको ग़द्दार बनाकर ही छोड़ती है और नतीजे में घर तबाह होजाता है | देश की जनता इस मिसाल को समय रहते समझ ले , अन्यथा पछतावा हाथ लगना है .
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