कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने बड़ी संख्या में लंबित केसों पर संसद में एक सवाल का जवाब दिया, उन्होंने जजों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली की अपनी आलोचना दुहराई
क्या कहा केंद्रीय कानून मंत्री रिजिजू ने ?
सुप्रीम कोर्ट के साथ जुबानी जंग के बीच केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने आज एक बार फिर इस बात पर जोर दिया है कि जजों की नियुक्ति में सरकार की बहुत सीमित भूमिका है. रिजिजू बड़ी संख्या में लंबित मामलों पर संसद में एक सवाल का जवाब दे रहे थे. उन्होंने जजों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली की आलोचना की. उन्होंने कहा कि यह चिंताजनक है कि देश भर में पांच करोड़ से अधिक केस लंबित हैं. मंत्री ने कहा कि इसके पीछे मुख्य कारण जजों की नियुक्ति है.
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रिजिजू ने कहा देश संविधान से और लोगों की भावना से चलता है।
रिजिजू ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने संबंधित कानून को रद्द कर दिया। उन्होंने कहा कि उस कानून को रद्द करने वाली पीठ में शामिल न्यायाधीशों के साथ ही कई अन्य सेवानिवृत्त न्यायाधीशों एवं न्यायविदों ने भी कहा है कि कानून रद्द करने का वह फैसला सही नहीं था। उन्होंने कहा कि देश संविधान से और लोगों की भावना से चलता है। उन्होंने कहा कि सरकार पूरी ताकत एवं पूरी योजना के साथ कदम उठाए, ताकि लंबित मामलों की संख्या में कमी आ सके।
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न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया का जिक्र करते हुए विधि मंत्री ने कहा कि इसमें सरकार हस्तक्षेप नहीं करती लेकिन कॉलेजियम को नियुक्ति के लिए नाम भेजते समय देश की विविधता का भी ख्याल रखना चाहिए। न्यायपालिका में आरक्षण नहीं होने का संदर्भ देते हुए रीजीजू ने कहा कि कैबिनेट में भी कोई आरक्षण नहीं होता है लेकिन प्रधानमंत्री कैबिनेट का गठन करते समय प्रयास करते है कि विभिन्न वर्गों व क्षेत्रों को उचित प्रतिनिधित्व मिले। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार कॉलेजियम को भी गौर करना चाहिए कि सबको प्रतिनिधित्व मिले।
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