6 जून 2024 , गुरुवार की दोपहर चंडीगढ़ हवाई अड्डे पर कंगना के साथ जो घटना घटी ,वो कोई मामूली हादसा नहीं थी .यह घटना देश में दो विचार धाराओं के बीच के लम्बी लकीर खींचने की तरफ इशारा है . और देश में कोई भी कुछ भी कभी कह देने के चलन पर एक बेरीगेट का काम करता है .
घटना के बाद की वीडियोज कुलविंदर कौर की भी हैं और कंगना रनौत की भी – लेकिन उस एक्शन की कोई वीडियो नहीं दिखी, जहाँ कुलविंदर कंगना को थप्पड़ मार रही हों .और फिर कौर अचानक देश के Main stream मीडिया और सोशल मीडिया की सुर्ख़ियों बन गयी ।चंडीगढ़ हवाई अड्डे पर उठा हाथ मान के अपमान के बाद हताशा यानी frustration में उठा हुआ हाथ था –अब माँ की इज़्ज़त के लिए जो कुछ भी हो, नौकरी-वौकरी, सजा-वज़ा सब छोटी है और इन चीज़ों की परवाह कायरता का सुबूत है ।कुलविंदर कौर की जगह शुभप्रीत कौर भी होती, तो यही करती
कंगना को उनके द्वारा की गयी अभद्र टिप्पणियों के लिए माफ़ी मांग लेने के सुझाव दिए गए थे ।लेकिन माफ़ी माँगना तो बड़े दिल गुर्दे का काम है और वो अगर किसी के पास न हो तो शैतान ही उसका हामी होता है . फिलहाल कंगना ने माफ़ी के बारे में कोई सार्वजानिक ब्यान नहीं दिया है जबकि सूत्रों से पता चला है की उनको इसका अहसास तो हुआ है .
कंगना VS कुलविन्द्र , क़ानून किसको देगा सज़ा ?
चंडीगढ़ एयरपोर्ट पर CISF की महिला जवान कुलविंदर सिंह कौर का यह अमल क़ानूनी नुक़्तए नज़र से कितना उचित है यह तो काम अदालतों का है , हम इसको सही या ग़लत नहीं ठहरा सकते अलबत्ता कंगना रनौत का किसान माओं और शाहीन बाघ की दादियों के सम्बन्ध में दिया गया ब्यान ज़रूर क़ानूनी पकड़ में आता है .
यह तो कहा जा सकता है .उन बयानों पर कंगना को नातो कोई पछतावा है और न ही कोई सज़ा . कौर के थप्पड़ ने यह बताया की अगर सरकारी एजेंसियां और अदालतें अपना काम नहीं करेंगी तो जनता इसका हिसाब कर सकती है . हालाँकि क़ानून को हाथ में लेने के हम पक्षधर नहीं हैं . लेकिन जब सरकारें ही क़ानून जनता के हाथ में पकड़ा दें तो इसके बाद क्या बचता है ? यह मुद्दा जितना पहले दिन गरम था उतना ही आज भी है ..
सोशल मीडिया से और तप्ती सड़कों तक इस मुद्दे का तापमान बढ़ा हुआ है कहीं कुलविंदर के समर्थन में रैलियां हैं तो कहीं से कुलविंदर को सोने की अंगूठी उपहार में भेजी जारही हैं .जबकि कंगना को शिकायत है की उनकी इंडस्ट्री ही उनका साथ नहीं दे रही है .
खुद कंगना की पार्टी की तरफ से इस वीडियो के बनाये जाने तक कोई आधिकारिक बयान नहीं है . अब यह सब इसलिए है की जब कंगना लोगों को थप्पड़ मारने की वकालत कर रही थीं . खुद अपनी ही इंडस्ट्री में अपने ही सहयोगियों और ब्रद्री को अपमानित कर रही थीं . तब उन्होंने भी नहीं सोचा था
दरअसल चंडीगढ़ हवाई अड्डे पर घटी घटना 2 महिलाओं के बीच झगडे का नहीं बल्कि 2 विचारधाराओं के बीच का मसला है जो सियासी झोटों के बीच फिलहाल झूलता रहेगा .कुछ दिन बाद दूसरा मुद्दा इसकी जगह ले लेगा . लेकिन अगर आज इस तरह के हादसों के बाद क़ानून अपना काम इन्साफ से करे तो यह चक्र रुक सकता है अन्यथा पहिया घूम रहा है .
………जो कंगना के गाल पर लगा वह था ????
थप्पड़ लगते समय की वीडियो न होने के कारण थोड़ी दुविधा है।और यह तय कर पाना मुश्किल हो रहा है कि जो कंगना के गाल पर लगा : वह चांटा था, तमाचा था, झापड़ था, थप्पड़ था, रहपट था या लप्पड़ था, चपेट थी या चमाट था । ये सिर्फ शब्दों का मामला नहीं है दोस्तों बल्कि ये सभी अलग-अलग तरह की क्रियाएं हैं, इनकी प्रक्रियाएं यानी Procedures भी अलग होते हैं.
जैसे : चांटा मारा जाता है, तमाचा लगाया जाता है, झापड़ रसीद किया जाता है, थप्पड़ गुंजाया जाता है, लप्पड़ चिपकाया जाता है, रहपट चटकाया जाता है और चपेट चिमटाई जाती है और चमाट दी जाती है। हरेक की ध्वनि यानी साउंड इफ़ेक्ट — और उससे पैदा होने वाली झंकृति यानी Vibrations — की तरंगों की तीव्रता भिन्न भिन्न होती है. ज्यादा विस्तार में नहीं जा रहे, क्योंकि अनुपम खेर इसे ‘कर्मा’ फिल्म में वाक्यों में प्रयोग करके बता चुके हैं।
असल अंतर रूप में नहीं, बल्कि सार में होता है। जैसे इनमें से हरेक के पीछे, इरादे और उद्देश्य भी अलग होते हैं। अलग अलग क्रियाएं ……..ध्यान दिलाने, रोष जताने, सबक सिखाने, मुख़्तलिफ़ मौक़ों का गुस्सा निकालने, सजा देने जैसे अलग-अलग भाव से भीनी होती हैं ये क्रियाएं ।
आइंदा कभी कंगना को झापड़ रसीद किये जाने के समय की सीसीटीवी रिकॉर्डिंग सामने आयेगी, तब शायद तय करना हमारे लिए भी आसान हो जाएगा कि चंडीगढ़ एयर पोर्ट पर कंगना के जो थप्पड़ लगा , वह घटना किस शब्द संबोधन के लायक़ थी .
अब लोग लिख रहे हैं और बोल रहे हैं यह क्रिया सिर्फ कंगना के लिए नहीं बल्कि उस सोच और वर्ग के लिए थी जो बिना सोचे समझे सस्ती और झूठी वाहवाई या शोहरत के लिए लोगों की इज़्ज़त और आस्था के साथ खिलवाड़ करते रहे हैं .. पूरी घटना की सच्चाई आने तक इस मज़मून को यहीं छोड़ते हैं।