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दुनिया में तेज़ी से बढ़ती इस्लामिक बैंकिंग और मुस्लमान …

दुनिया में तेज़ी से बढ़ती इस्लामिक बैंकिंग और मुस्लमान …

Ali Aadil khan , Editor’s Desk

…… अग़यार की साज़िशों के साथ दुनिया में बदअमनी और कुदरती अज़ाबों के लिए मुस्लमान बड़ा ज़िम्मेदार ? लेकिन शरिया क़ानून लागू करने की दुनिया में बढ़ती मांग

रूस में 1 sep 2023 का दिन तारीखी दिन रहा जब विलादिमीर पुतिन सरकार ने रूस में इस्लामिक बैंकिंग सिस्टम को बाज़ाब्ता शुरू कर दिया .याद रहे रूस में 25 मिलियन से ज़्यादा यानी लगभग 3 करोड़ मुसलमान रहते हैं .हालाँकि इस सिस्टम को 4 अगस्त को ही मंज़ूरी मिल गयी थी ..

दरअसल दुनिया के कई बड़े विकसित देश पहले ही इस्लामिक banking की शुरुआत पहले ही कर चुके हैं . इस्लामिक बैंकिंग या कारोबारी सिस्टम के जब अनेकों फायदे सरकारों और जनता के सामने आये तो चर्चा शुरू हो गयी . और फिर इस्लामिक बैंकिंग को देश और जनता के लाभ के लिए शुरू कर दिया गया .

और ज़ाहिर है ज़िंदगी के किसी भी विभाग में इस्लामिक क़ानून और इसकी खूबियों और फायदों पर मुसलमानो की ठेकेदारी तो नहीं , कोई कॉपी राइट भी नहीं … पूरी दुनिया में किसी को भी कहीं भी इस्लाम , क़ुरआन और इस्लामिक सिस्टम को फॉलो करने का पूरा अधिकार और आज़ादी है ,और ऐसा हो भी रहा है .

…. लेकिन अफ़सोस की बात यह है कि पैदाइशी मुसलमान इस्लामिक तौर तरीके और क़ानून को अपनाने में शर्म महसूस कर रहा है अब चाहे वो किसी भी मैदान में क्यों न हों . इसीलिए धरती पर सताया जा रहा है और ज़लील हो रहा है . अब अल्लाह ने इस्लाम पर सख्ती से अमल के लिए दूसरी क़ौमों को खड़ा कर दिया है .

उसी कड़ी में रूस भी आगे आ गया है . इसके बाद इस्लामोफोबिया का प्रोपेगंडा चलाने वालों को ज़रूर काफी परेशानी हो रही होगी . आपको याद होगा मोदी सर्कार आने के बाद हमारे देश भारत में भी इस्लामिक बैंकिंग सिस्टम को शुरू करने पर Initiative लिया गया था . मगर कम्युनल सोच के चलते इसको फिलहाल ठन्डे बस्ते में डाल दिया गया . अब सुना है इसपर दोबारा चर्चा शुरू हुई है . लेकिन उसको इस्लामिक नाम न देकर कोई दूसरा नाम सुझाया जाने की बात भी सामने आई थी .

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आरबीआई ने हाल ही में एक राय रखी है कि परंपरागात बैंकों में अलग इस्लामिक बैंकिंग विंडो होना चाहिए ताकि हमारे देश में इस्लामिक बैंकिंग को बढ़ावा दिया जा सके. लेकिन यह अवधारणा हमारे देश में कितनी प्रासंगिक है? भविष्य में इस प्रकार की बैंकिंग को किस प्रकार के मुद्दों का सामना करना पड़ सकता है? भारत में इस नए प्रकार की बैंकिंग को सेंटर स्टेज पर देखने से पहले इन मुद्दों को सुलझाए जाने की जरूरत होगी .

अगर इस्लामिक बैंकिंग और कारोबार से दुसरे देशों के अध्यन और सकारात्मक तजर्बों से हमको भी लाभ उठाना चाहिए इस सिस्टम को बिना देरी हमको भी शुरू कर देना चाहिए . और सिर्फ बैंकिंग में ही नहीं बल्कि Indian Judiciary (न्याय पालिका) में भी इस्लामिक क़ानून को लागू कर देना चाहिए .क्योंकि रेप की बढ़ती जघन्य घटनाओं के बाद शरिया क़ानून को लागु करने की आवाज़ें उठने लगी हैं .

इस्लामिक तरीके पर Bussiness करने के लाभ दुनिया के सामने हैं , मगर इसलिए उनको लागू नहीं होने दिया जाता क्योंकि इसके साथ इस्लामिक लगा हुआ है . यह संकीर्ण मानसिकता का प्रमाण है , जिसके दूरगामी नुकसान हैं .

भारत के लिए इस्लामिक बैंकिंग अपेक्षाकृत नई सोच है. हालांकि, इस बात पर ध्यान दिया जाना चाहिए कि गैर–मुसलमान देश होने के बावजूद चीन, अमेरिका, यूके आदि ने इस संदर्भ में काफी प्रगति की है. भारत क्षमताओं से भरा है और इस्लामिक बैंकिंग मुस्लिम आधार और देश के अप्रयुक्त संसाधनों का प्रयोग कर देश के लिए काफी फायदेमंद हो सकता है.याद रहे दुनिया के 105 से ज़्यादा देशों में इस्लामिक बैंकिंग चालू है . 2020 तक, दुनिया भर में लगभग 520 बैंक और 1700 म्यूचुअल फंड हैं जो शरिया सिद्धांतों का अनुपालन करते हैं।

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खूबियां जिस मज़हब में भी हों उनको अपना लेना मानवता के विकास का आधार हो सकता है . हालांकि दुनिया में सभी Divine Books और रसूलों में मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम और क़ुरआन को सबसे आखिर में लाकर इस्लाम पर दीन को मुकम्मल कर दिया गया . और अब इसमें कोई कमी नहीं छोड़ी गयी .

यानी इंसानी ज़िंदगी के हर मैदान के मसलों और परेशानियों का हल और उसके कामयाब होने का रास्ता क़ुरआन में ब्यान कर दिया गया . मगर यह कहते हुए बहुत अफ़सोस होता है के इस्लाम और क़ुरआन का ठेकेदार बनने वाला यह मुसलमान खुद इसपर अमल नहीं करने की वजह से इस्लाम की खूबियों को सामने आने और इसके फैलने में सबसे बड़ी रुकावट बना बैठा है . बल्कि मेरा मानना है कि अगयार की साज़िशों के साथ दुनिया में बदअमनी और कुदरती अज़ाबों के लिए मुस्लमान बड़ा ज़िम्मेदार है .

कोई बुराई आज ऐसी नहीं जो मुस्लमान में न हो इसलिए दुनिया में ज़लील , खुआर ,पसमांदा और महकूम , मज़लूम और मग़लूब है . मगर जो अक़्ल वाले हैं वो मुस्लमान को नहीं बल्कि क़ुरआन , रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम और उनके सहाबा की ज़िंदगी को पढ़कर त्रिलोकिये सफलता के रास्ते पर आ रहे हैं .

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