सुप्रीम कोर्ट ने साल 2022 में हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में आपराधिक इतिहास वाले उम्मीदवारों की जानकारी सार्वजनिक न करने में कई नेताओं के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया है.
यूपी विधानसभा चुनाव के मामले में अखिलेश यादव, सोनिया गांधी, जेपी नड्डा, मायावती, अरविंद केजरीवाल समेत सभी पार्टियों के नेताओं और मुख्य चुनाव आयोग पर कोर्ट की अवमानना का आरोप लगाकर याचिका दायर की गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि हम देश नहीं चला सकते.चुनावों में वोटर्स को लुभाने के लिए राजनीतिक दलों के मुफ्त वादों की बरसात पर सुप्रीम कोर्ट ने सभी पार्टियों को खूब सुना दिया. चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि कोई भी दल इसपर रोक लगाना नहीं चाहती है क्योंकि सभी ऐसा करना चाहती है.
अदालत ने चुनाव आयोग और केंद्र सरकार को इस मुद्दे पर लपेटा. पीठ ने कहा कि पिछले कई सालों से कोई भी इसपर इच्छाशक्ति नहीं दिखा रहा है.शीर्ष अदालत ने 2013 में अपने फैसले में कहा था कि मुफ्त वाले वादों से स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों पर असर पड़ता है. शीर्ष अदालत ने कहा कि यह गंभीर मुद्दा है। सरकार यह कहकर नहीं बच सकती है कि वह कुछ नहीं कर सकती है.
चीफ जस्टिस रमना, जस्टिस कृष्णा मुरारी, जस्टिस हेमा कोहली की पीठ ने कहा कि हम केवल इसे चुनावों के संदर्भ में नहीं देख रहे हैं, बल्कि इसका देश की आर्थिक स्थिति पर पड़ने वाले प्रभाव को भी देख रहे हैं. इस सलाह पर कि संसद इस मुद्दे पर चर्चा कर ले, कोर्ट ने कहा, ‘क्या आपको लगता है संसद इसपर चर्चा भी करेगी? कौन राजनीतिक दल मुफ्त वाले वादों पर चर्चा करना चाहती है? कोई भी दल इसपर ऐसा नहीं करना चाहती है. सभी दल चाहते हैं कि मुफ्त के उपहार वाले वादों पर रोक लगे.’