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हलाल सर्टिफिकेट मुद्दा :सरकार आ सकती है बैकफुट पर ?

हलाल सर्टिफिकेट मुद्दा :सरकार आ सकती है बैकफुट पर ?

Ali Aadil Khan ,Editor’s Desk

हलाल Certificate का मुद्दा 17 नवंबर को लखनऊ से चलकर अब देशभर में चर्चा का विषय बना हुआ है .यह देश का सबसे तेज़ अमल में आने वाला पहला मुक़दमा बताया जा रहा है जब किसी नागरिक की FIR के 18 घंटे के अंदर किसी प्रदेश की सरकार द्वारा तुगलकी फरमान जारी करके संवैधानिक कार्रवाई पूरे राज्ये में आनन् फानन शुरू कर दी गयी हो .

इससे पहले हमारी जानकारी में नहीं आई जिसपर तत्काल कार्रवाई हुई हो . मुज़फ्फर नगर , मुरादाबाद , कानपूर , लखनऊ , के अलावा कई जगहों पर FSDA की टीम ने छापेमारी की और हलाल Products को ज़ब्त किया गया . बता दें पूरे उत्तर प्रदेश में हलाल Products के निर्माण, Storage , Distribution और खरीद-फरोख्त पाए जाने की स्थिति में क़ानूनी कार्रवाई किये जाने के आदेश दिए गए हैं .याद रहे फ़िलहाल यह प्रतिबंध केवल यूपी के घरेलू बाजार में प्रभावी होगा।

इस बहाने देश की जनता को हलाल और हराम के फ़र्क़ को समझने और समझाने का मौक़ा मिल गया है . बीजेपी कार्यकर्त्ता द्वारा लखनऊ के हज़रत गंज थाने में कराई गयी FIR में लिखा गया था की देश में एक विशेष वर्ग अपना bussiness बढ़ाने के लिए कुछ कंपनियों के साथ मिलकर एक साज़िश कर रहा है .

FIR में आरोप लगाया गया है राष्ट्र विरोधी साजिश रचने और आतंकवादी संगठनों को फंडिंग करने वाले लोग Certificate Issue करने वाली कम्पनियाँ चला रहे हैं । इंस्पेक्टर हजरतगंज विक्रम सिंह ने बताया कि तहरीर के आधार पर धोखाधड़ी, साजिश रचने, कूटरचित दस्तावेज तैयार करने, आपसी सौहार्द बिगाड़ने के प्रयास जैसी धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई थी । यहाँ यह भी याद रखना ज़रूरी है की पिछले कई वर्षों से सत्ताधारी पार्टी के नेताओं द्वारा बार बार एक ख़ास समुदाय और उनके कारोबारों के Bycott करने की मुहीम चलाई जारही है .

हलाल Product के नाम पर देश का इस्लामीकरण?

अब देखना यह है की सर्कार हलाल Products पर पाबंदी लगाना चाहती है , या हलाल certificate के नाम पर फेक सर्टिफिकेट देने वाली कंपनियों को बंद करना चाहती है ? या फिर इसकी आड़ में किसी ख़ास वर्ग के कारोबार पर हमला करना मक़सद है .Ultimately तो हर एक Stunt के पीछे राजनितिक मक़सद ही होता है जबकि कुछ जन लाभकारी योजनाएं भी होती हैं या उनका भी होना ज़रूरी है .

याद रहे सभी हलाल Products को Export से अलग रखा गया है . यानी जो Products यहाँ Ban किये जा रहे हैं वो Export किये जा सकते हैं …इसकी एक वजह तो यह है की इससे हमारे देश को फॉरेन Exchage के ज़रिये बड़ा मुनाफा होता है … दूसरी वजह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बताएँगे .

अब एक और सवाल है की जो संस्थाएं हलाल का सर्टिफिकेट जारी कर रही हैं उनको किसने पेर्मिशन दी . जमीअत उलेमा हलाल ट्रस्ट दिल्ली का कहना है की उनको NBCC ने LICENSE दिया है . अब यह उस विभाग से पूछा जाए की उन्होंने क्यों हलाल सर्टिफिकेशन का लाइसेंस दे दिया .

हालाँकि इस काम केलिए FCCAI को बनाया गया है . इसमें एक ख़ास बात यह भी है की मलेशिया की JAKIM HALAL CERTIFICATION & CONSULTANCY IN MALAYSIA ने भारत की हलाल ट्रस्ट जमीअत उलेमा दिल्ली को Authorised किया है या यूँ कहें की उसपर भरोसा किया है

जिन कंपनियों के खिलाफ fir की गयी है उनमें
– हलाल इंडिया प्राइवेट लिमि चैन्नई
– जमीयत उलेमा हिन्द हलाल ट्रस्ट दिल्ली
– हलाल काउंसिल ऑफ इंडिया मुंबई
– जमीयत उलेमा महाराष्ट्र मुंबई

इस मामले में जानकारी लेने हमारी टीम जमीयत उलेमा हिन्द हलाल ट्रस्ट दिल्ली के दफ्तर पहुंची . पता चला हलाल ट्रस्ट के CEO विदेश गए हुए हैं . उनके दफ्तर से मालूम हुआ की हमारे पास कोई नोटिस नहीं है . जब कोई नोटिस मिलेगा उसका जवाब देंगे . जमीअत उलेमा अदालत जाने की तैयारी में जुटी है . और कहा यह भी जा रहा है कि अदालत के माध्यम से उत्तर प्रदेश सरकार अपने इस फरमान को वापस ले सकती है .

अब यह मुद्दा सिर्फ उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं रहेगा . बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने पत्र में लिखा है कि राज्य में अनेक खाद्य पदार्थों और आवश्यक सामग्रियों जैसे तेल ,नमकीन, दवा, मिठाई, कॉस्मेटिक्स आदि का हलाल कारोबार हो रहा है.

इस तरह के उत्पादों के लिए मानक से संबंधित प्रमाणन जारी करने के लिए फूड सिक्योरिटी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) ही वैध संगठन या संस्थान है. लिहाज़ा इसी से Halaal certificate लिए जाएँ .

भारतीय संविधान में नागरिकों के अधिकार राइट टू फ़ूड , राइट टू लिव, राइट टू बिजनेस, राइट टू इक्वलिटी ये सब आर्टिकल 14 से 19 तक आते हैं जो किसी भी नागरिक के मौलिक अधिकार हैं, और UP सरकार का हलाल से सम्बंधित फरमान संविधान के खिलाफ है.

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