देश के केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि 2002 में सबक सिखाए जाने के बाद ऐसे तत्वों ने वह रास्ता (हिंसा का) छोड़ दिया. वे लोग 2002 से 2022 तक हिंसा से दूर रहे.
अहमदाबाद: गृह मंत्री अमित शाह ने गुजरात में चुनावी कार्यक्रम के दौरान कहा कि गुजरात में पहले असामाजिक तत्व हिंसा में लिप्त होते थे और कांग्रेस उनका समर्थन करती थी. लेकिन 2002 में ‘सबक सिखाने’ के बाद, अपराधियों ने ऐसी गतिविधियां बंद कर दी .
उन्होंने कहा भारतीय जनता पार्टी ने राज्य में ‘स्थायी शांति’ कायम की. आपको याद होगा गुजरात में फरवरी, 2002 में गोधरा रेलवे स्टेशन पर एक ट्रेन में आग लगने की घटना के बाद राज्य के कई हिस्सों में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी.
अमित शाह ने राज्य में अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले खेड़ा जिले के महुधा में भाजपा उम्मीदवारों के पक्ष में एक रैली में ये बातें कर रहे थे . उन्होंने आरोप लगाया, ”गुजरात में कांग्रेस के शासनकाल में (1995 से पहले), अक्सर साम्प्रदायिक दंगे होते थे.
अमित शाह ने सही कहा कि कांग्रेस ने अपने वोट बैंक को बढ़ाने के लिए देश में साम्प्रदायिकता को पनपने दिया . लेकिन शायद अमित शाह भूल गए कि जिस वक़्त 2002 गुजरात में तारीख़ के भयानक दंगे हो रहे थे . एक ख़ास वर्ग का नरसंहार हो रहा था उस वक़्त प्रदेश में सरकार कांग्रेस की नहीं बल्कि बीजेपी की थी और आज के PM उस वक़्त गुजरात के CM थे . रहा साम्प्रदायिकता फैलाने का सवाल तो उसके लिए बीजेपी दुनिया में मशहूर है .
शाह ने यह भी कहा की कांग्रेस विभिन्न समुदायों और जातियों के सदस्यों को एक-दूसरे के ख़िलाफ़ उभरती थी. कांग्रेस ने सांप्रदायिक दंगों के जरिए अपने वोट बैंक को मजबूत किया और समाज के एक बड़े वर्ग के साथ अन्याय किया.
अमित शाह ने कांग्रेस पर आरोप लगते हुए उसको सांप्रदायिक और दंगाई बताते होने का इशारा किया . उन्होंने दावा किया कि गुजरात में 2002 में दंगे इसलिए हुए क्योंकि अपराधियों को लंबे समय तक कांग्रेस से समर्थन मिलने के कारण हिंसा में शामिल होने की आदत हो गई थी.
उन्होंने अपने ख़ास अंदाज़ में जनता को ऊँगली के इशारे से बताते हुए कहा, “लेकिन 2002 में सबक सिखाए जाने के बाद ऐसे तत्वों ने वह रास्ता (हिंसा का) छोड़ दिया. वे लोग 2002 से 2022 तक हिंसा से दूर रहे.” उन्होंने कहा कि भाजपा ने सांप्रदायिक हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर गुजरात में स्थायी शांति कायम की है.
सवालों के घेरे में कौन ?
पहली बात अमित शाह देश के मंत्री पद पर रहते हुए भी ये सारी बातें इसलिए कर लेते हैं क्योंकि उनको और उन जैसे दुसरे नेताओं को संविधान इसकी इजाज़त देता है . संवैधानिक पद पर रहते हुए भी पार्टी के लिए प्रचार की इजाज़त तो संविधान देता होगा .
लेकिन क्या किसी ख़ास वर्ग समुदाय या धर्म के विरुद्ध कोई ना ज़ेबा बात करने की भी इजाज़त देता है ? यह सवाल उन नेताओं से है जो सांप्रदायिक पदों पर रहते हुए सरे आम सांप्रदायिक बातें करते हैं . और देश कि बेरोज़गार नौजवान पीढ़ी के दिमाग़ को प्रदूषित कर के देश का माहौल बिगाड़ते हैं . देश के प्रगति में अड़चन बनते हैं .
दूसरी बात , अमित शाह ने सही कहा कि कांग्रेस ने अपने वोट बैंक को बढ़ाने के लिए देश में साम्प्रदायिकता को पनपने दिया . लेकिन शायद अमित शाह भूल गए कि जिस वक़्त 2002 गुजरात में तारीख़ के भयानक दंगे हो रहे थे . एक ख़ास वर्ग का नरसंहार हो रहा था उस वक़्त प्रदेश में सरकार कांग्रेस की नहीं बल्कि बीजेपी की थी और आज के PM उस वक़्त गुजरात के CM थे . रहा साम्प्रदायिकता फैलाने का सवाल तो उसके लिए बीजेपी दुनिया में मशहूर है .
तीसरी बात , भाजपा ने जिस पोस्टर बॉय को गुजरात दंगों का हीरो बनाया था जिसका नाम अशोक मोची है .ज़रा एक बार उनसे ज़रूर मिल लें . अगर शाह साहब ने उसकी बात हालिया चुनावी videos में सुनी हो तो अशोक मोची ने गुजरात मॉडल और गुजरात दंगों की सारी असलियत बताकर रख दी है .
अशोक मोची का एक सवाल के जवाब में कहना है की आज गुजरात में दंगे न होने की वजह दंगाइयों का सत्ता में आजाना है . उनका कहना है कि जब दंगियों के हाथ में सत्ता होगी तो दंगे क्यों होंगे ?
इस खबर के साथ नीचे हम अशोक मोची के interview का लिंक भी डालेंगे जो उन्होंने एक सोशल मीडिया चैनल को दिया था . इसको वैसे तो अमित शाह ने सुन ही लिया होगा . मगर किन लोगों को 2002 में सबक़ सिखाया गया था उसको जनता एक बार और देख ले .
हालाँकि राणा अय्यूब की किताब ‘गुजरात फाइल्स- अनाटॉमी ऑफ ए कवर अप’ में सब कुछ साफ़ साफ़ लिखा गया है . उसको भी देश की जनता ज़रूर पढ़े ताकि गुजरात का सच सामने आ सके . इस लिंक में उस किताब पर का खुलासा देख लें .
अशोक मोची का इंटरव्यू (Link)
https://www.youtube.com/watch?v=XYZ1ZZctLFM