जीएसटी की दरों में बढ़ोत्तरी और दही, छाछ, पनीर, पैकेट बंद आटा, चीनी व चावल जैसी चीजों के महंगा होने के बाद शिवसेना ने मोदी सरकार पर हमला बोला है।
अपने मुखपत्र सामना में शिवेसना ने मोदी सरकार की तुलना मुगलाई हुकूमत से की है। शिवसेना ने सामना में लिखा है कि केंद्र सरकार ने खाली तिजोरी भरने के लिए जीएसटी के माध्यम से जो दमनकारी वसूली शुरू की है उसकी तुलना मुगलकालीन ‘जजिया’ कर से करनी होगी। जीवन के लिए आवश्यक वस्तुओं पर जीएसटी मतलब नई मुगलाई है।
इस नई मुगलाई के विरोध में जनता को अब यलगार करना ही होगा।शिवसेना ने सामना में लिखा, सरकार ने जिन नई वस्तुओं को जीएसटी के जाल में खींचा है, उसे देखते हुए गरीब व मध्यमवर्गीयों की कमर पूरी तरह तोड़ने का निश्चय दिल्लीश्वरों ने कर लिया है। रसोईघर में प्रतिदिन इस्तेमाल की जानेवाली दही, छाछ, पनीर, पैकेट बंद आटा, चीनी, चावल, गेहूं, सरसों, जौ आदि वस्तुओं पर पहली बार ही पांच फीसदी जीएसटी लगाई गई है। गरीब व मेहनतकश लोग ‘भत्ते’ के रूप में जो लाई, चिवड़ा खाते हैं, उस पर भी पांच फीसदी जीएसटी लगा दी गई है। इससे सरकार ने क्या हासिल किया है?
मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए शिवसेना ने कहा, अच्छे दिन’ का गाजर तो सरकार ने पहले ही तोड़कर खा लिया है। शिवसेना ने कहा, मोदी सरकार ‘आवला दे कद्दू छीन’ लेने की ठगी कर रही है। अपनी पार्टी की सरकार वाले राज्यों में दो-पांच रुपए पेट्रोल के दाम कम करना और 50 रुपए सिलिंडर का दाम बढ़ाना, यह इनकी नीति है। यह मरने की चौखट पर मोदी सरकार द्वारा की जानेवाली कर वसूली ही है।
मोदी सरकार के दौर में आम जनता का जीना तो महंगा हो ही गया है लेकिन अब जीएसटी की कृपा से मरना भी महंगा कर दिया शिवसेना ने कहा, सरकार के पास पूर्ण बहुमत है इसलिए आम जनता को इतने हल्के में लिया जा रहा है। जनता के हितों को ध्यान में न रखकर मनमानी से राजकाज किया जाता है तो क्या होता है, इसका ताजा उदाहरण श्रीलंका के रूप में पूरी दुनिया के सामने है। सत्ता के कारण आए अहंकार से ही ऐसा निर्णय लिया जाता है। सामना में शिवसेना ने लिखा कि ऐसे फरमान जारी करते समय सरकार और केंद्रीय वित्तमंत्री का हाथ जरा भी कांपा नहीं होगा क्या?