दूरियां नज़दीकियां बन गईं ,कल तक जो देश के बाग़ी थे , अचानक उनके साथ नज़दीकियों का सबब क्या है , जाने इस लेख में
१: जम्मू कश्मीर में Delimitation commission (परिसीमन आयोग) की प्रक्रिया शुरू की जानी है जिसमें स्टेट की सियासी पार्टियों का प्रतिनिधित्व ज़रूरी था, अन्यथा State Political Parties कमिशन के Delimitation Programme को अदालत में चुनौती दे सकती थीं .
२ :जल्द ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का US का सरकारी दौरा संभावित है , जहाँ कश्मीर के खुसूसी दर्जे 370 के मुद्दे पर चर्चा होने की पूरी उम्मीद है और 370 के हटाए जाने को लेकर इंटरनेशनल ह्यूमन राइट्स कमिशन (UNHRC) इस मुद्दे को बार बार उठाता रहा है और मोदी सरकार की निंदा करते हुए इस मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय पटल पर कई बार उठाया है .यानी जिस मुद्दे को भारत अंदरूनी मामला कहता था आज वो खुलकर दुनिया में चर्चा का विषय बना हुआ है .
३: भारत सरकार के निमंत्रण पर J&K से गुपकार अलायन्स का हाई लेवल डेलिगेशन 14 Members की जमात के साथ PM मोदी से मिला .Highest Platform Level Dialogue हुआ , प्रधान मंत्री की तरफ से जम्मू कश्मीर को दोबारा राज्य का दर्जा देने का आश्वासन दिया गया.
4 .दिल और दिल्ली से दूरी ख़त्म करने का Mission मोदी , लेकिन गुपकार deligation में कश्मीरी पंडितों से दूरी , कश्मीरी पंडितों का इस बैठक में कोई ज़िक्र तक नहीं . यह दयनीय है और विचारणीय भी .जबकि इस बैठक से यह उम्मीद थी कि कश्मीरी पंडितों की वापसी और जम्मू कश्मीर को राज्य में वापसी का मुद्दा मुख्य रहेगा .
कश्मीर में लोकतंत्र और कश्मीरियत की बहाली पर गुपकार Alliance के नेताओं के साथ बातचीत और वादों का नतीजा क्या निकलेगा यह वो लोग बेहतर जानते हैं जो सियासत में जुमले बाज़ी के माने समझते हैं , जो शाह कल तक गुपकर गैंग नाम से जिन नेताओं को पुकार रहे थे , और जिन नेताओं को देश विरोधी गतिविधियों में क़ैद कर लिया गया था , प्रधान मंत्री आवास में उनका भव्य स्वागत भी देश की तारिख का हिस्सा बनेगा .लेकिन बात चीत का रास्ता खुला रहना कोई बात भी नहीं , मगर काश इस deligation में कश्मीरी पंडितों का भी प्रतिनिधित्व होता तो तस्वीर और साफ़ होती .
वैसे J&K को केंद्रशासित राज्य बनाने की एक बड़ी वजह वहां विकास की दर और रोज़गार के अवसर का तेज़ी से घटता गिराफ़ बताया गया था , कश्मीर और लोकतंत्र की बहाली कहा गया ,जबकि नतीजा इसके उलट पूरी दुनिया के सामने है . बल्कि कश्मीर जिसको हम आंतरिक मसला कहते थे आज अंतर्राष्ट्रीय मुद्दा बन गया है , इंग्लैंड , US , EU , Canada और कई यूरोपिएन देशो की Parliaments में कश्मीर इशू पर बाक़ायदा बहस तारिख में पहली बार हुई . UN Security Council में पहली बार कश्मीर मुद्दे पर चर्चा हुई है .
कश्मीर चैम्बर ऑफ़ कॉमर्स के अनुसार अगस्त 2019 में धारा 370 हटाए जाने के बाद से 4 लाख नौजवान बेरोज़गार हुए हैं , 50 हज़ार करोड़ का राज्य को आर्थिक loss हुआ है , देशी तथा विदेशी सैलानियों का आगमन एकदम बंद होगया है ,600 से 5000 तक नेता और अवाम क़ैद कर लिए गए ,550 दिन तक सबसे लम्बा चलने वाला internet बैन भी 370 हटाए जाने के बाद वुजूद में आया , कई जगह लोगों ने अपने मुर्दों को घरों के अंदर ही दफ़न किया , इसके अलावा और भी इंसानियत को शर्मसार करने वाली घटनाएं सामने आईं .
25 जून 2021 को जब 1975 आपातकाल की बरसी मनाई जा रही थी , जो मनाई भी जानी चाहिए .जो 1975 के आपातकाल से कहीं ज़्यादा खतरनाक और अलोकतांत्रिक था .25 जून 1975 Emergency के काले दिन को सफेदी से लिखने वाले शायद यह भूल गए कि इनके दौर में 370 हटाने के बाद कश्मीर का दौरा करने वाले भारतीय राजनितिक विपक्षी दल का एक प्रतिनिधि मंडल को एयर पोर्ट से वापस लौटा दिया गया था जिसकी अगवाई लोकतान्त्रिक देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी कर रहे थे .
आपको याद होगा अक्टूबर 2020 में किसी अज्ञात NGO की पहल पर यूरोप के कट्टरपंथी सांसदों के एक Group का कश्मीर दौरा कराया गया था .खुद को अंतर्राष्ट्रीय bussines broker के नाम से परिचित कराने वाली NGO की CEO माधि शर्मा जिनको पहले से कोई नहीं जानता था कश्मीर में इस ग्रुप को सरकारी Protocol के साथ दौरा कराकर लाती हैं , मगर देश की राजनितिक पार्टियों और मीडिया कर्मियों को कश्मीर जाने पर मुकम्मल पाबंदी लगाई जाती है , अगर यह सब राज्ये के विकास और लोकतंत्र की बहाली के लिए किया गया था तो इसको और ज़्यादा Publicise कराया जाना चाहिए था ,,,,,, असल में ऐसा कुछ था ही नहीं ….
जम्मू कश्मीर में इमरजेंसी के हालात जान्ने के लिए मीडिया कर्मियों को नहीं जाने दिया गया , उस मीडिया पर पूर्णतया पाबंदी लगा दी गयी जो लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ भी कहलाती है .क्या इसको लोकतंत्र की आज़ादी या मीडिया की आज़ादी कहेंगे ? ………………………………….
कांग्रेस के दिग्विजय सिंह ने हालिया दिनों में एक ब्यान दिया , अगर हम सत्ता में आये तो 370 को वापस लाएंगे , इस के जवाब में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का ब्यान आया ” कांग्रेस पाकिस्तान की भाषा बोल रही है , 370 की बहाली की बात करके कांग्रेस कश्मीर में आतंकवाद और अलगाववाद को बढ़ावा देना चाहती है ” 24 जून की गुपकार नेताओं से PM के साथ बैठक के बाद BJP के कई नेताओं ने 370 की बहाली की बात की है ,खुद प्रधानम्नत्री मोदी ने कश्मीर को राज्य सा Status वापस करने का आश्वासन दिया है , जो पाकिस्तान की भाषा है बक़ौल BJP नेताओं के .बैठक में मौजूद गुपकार गैंग का नाम देने वाले ग्रह मंत्री ने भी 370 की बहाली के प्रधानमंत्री के आश्वासन को समर्थन दिया यानी खामोश रहे .अब यह कोनसे पकिस्ता की भाषा है , इमरान के पाकिस्तान या नवाज़ के पाकिस्तान की .
इस बैठक पर स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने Twit कर लिखा , “माननीय PM श्री @narendramodi जी की अध्यक्षता में जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक दलों के साथ आज की बैठक से निश्चित रूप से घाटी फिर से हर्षाएगी और ‘डल’ का दर्पण फिर चमकेगा।
यह बैठक #JammuKashmir के विकास व लोकतंत्र को मज़बूती देने की दिशा में अहम क़दम साबित होगी। “
वज़ीरे दाख़ला साहब जिन सियासी Groups के साथ मिलकर कश्मीर में सरकार बना चुके हैं उन्ही को आपराधिक समूह यानी गैंग कह रहे थे , यानी राजनितिक और लोकतान्त्रिक रूप से अवैध ठहरा रहे थे ,अब ये तो शाह हैं देश के हुक्मरान हैं कुछ भी कह सकते हैं कौन रोक सकता है , किसी को कभी भी कुछ भी कहें उनकी हुकूमत है , नया इतिहास लिख रहे हैं ,लोकतंत्र तो नाम का बचा है आज कोई बात पार्टी या नेता के विरुद्ध कह दीजिये बस UAPA की छुरी तैयार है गलाकाटने को .वो सब ठीक है लेकिन इस अवैध गुपकार पार्टी के साथ मुलाक़ात और नए समझौते शायद अपराध के दायरे में नहीं आता मान्यवर ,और आता भी हो तो आये , मगर हाँ अगर यही काम विपक्ष कर लेता तो आज सत्ताधारी पार्टी के छोटे बड़े सभी नेता TV Channels पर बैठकर विपक्ष के नेताओं को टुकड़े टुकड़े गैंग से शुरू करते ,और पाकिस्तान समर्थक , भारत विरोधी , देशद्रोह और बहुत कुछ कहने से ज़रा भी गुरेज़ नहीं कर रहे होते .और देश का गोदी मीडिया अगले एक हफ्ते तक इसको अपनी TRP का माध्यम बना ही लेता .
Amit Shah @AmitShah
Nov 17, 2020
“The Gupkar Gang is going global! They want foreign forces to intervene in Jammu and Kashmir. The Gupkar Gang also insults India’s Tricolour. Do Sonia Ji and Rahul Ji support such moves of the Gupkar Gang ? They should make their stand crystal clear to the people of India.”
अनुवाद :
गुप्कर गिरोह दुनिया में जा रहा है ! वे चाहते हैं कि विदेशी ताकतें जम्मू-कश्मीर में हस्तक्षेप करें। गुप्कर गैंग भारत के तिरंगे का भी अपमान करता है। क्या सोनिया जी और राहुल जी गुप्कर गैंग के ऐसे कदमों का समर्थन करते हैं ? उन्हें भारत के लोगों के सामने अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए।”
इस Twit के जवाब में गुपकर गैंग के साथ मोदी सरकार की बैठक के बाद अब सोनिया और राहुल या कांग्रेस कार्यालय ग्रह मंत्री अमित शाह से यह तो नहीं पूछेंगे कि तिरंगे का अपमान करने वाले , पाकिस्तान समर्थक और हिंदुस्तान विरोधी गुपकर गैंग का आप समर्थन और स्वागत नहीं करते हैं , इसपर ग्रह मंत्री को देश के सामने अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए .वैसे देश की जनता को ही ग्रह मंत्री से पूछना चाहिए कि क्या गुपकर गैंग को उपरोक्त तमाम आरोपों से क्लीन चिट मिल गयी है ? अगर हाँ तो किसने दी है ? याद रहे मेहबूबा मुफ़्ती और फ़ारूक़ अब्दुल्लाह पर मनी लॉन्ड्रिंग के मुक़द्दमे चल रहे हैं क्या उनसे वे बरी होगये हैं ? अब यह सवाल तो ग्रह मंत्री से ही पूछा जाएगा….. न कि राहुल और सोनिया से ..उनके दौर में जब लोकतंत्र का ऐसा मज़ाक़ उड़ाया जाएगा तो सवाल उनसे भी होंगे . यही तो लोकतंत्र की खूबी है .
जम्मू कश्मीर को राज्य का स्टेटस फ़िलहाल वापस मिले या न मिले किन्तु प्रधान मंत्री की आने वाले दिनों में विदेश यात्राओं के दौरान “370 ” के मुद्दे पर किए जाने वाले सवालों का जवाब ज़रूर मिल गया है . और साथ ही Delimitation के दौरान या बाद में गुपकर की तरफ से किसी भी क़ानूनी चुनौती का खौफ भी लगभग ख़त्म होगया है .