By प्रशांत सी बाजपेयी
गणेश शंकर विद्यार्थी एक पत्रकार,लेखक,संपादक, शिक्षक,स्वतंत्रता सेनानी तथा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता थे।कानपुर के सांप्रदायिक दंगे में 25 मार्च 1931 को इनकी हत्या कर दी गई।गणेश शंकर विद्यार्थी जी की 94 वीं पुण्यतिथि पर उन्हें शत् शत् नमन # विनम्र श्रद्धांजलि🌹
गणेश शंकर विद्यार्थी 🇮🇳की शहादत पर महात्मा गांधी ने कहा था: “विद्यार्थी जी एक बहादुर और निर्भीक कांग्रेसी कार्यकर्ता थे जिन्होंने साम्प्रदायिक सद्भाव के लिए अपना बलिदान दिया।
मैं चाहता कि मुझे भी ऐसी ही मृत्यु प्राप्त हो।विद्यार्थी जी ने देशवासियों को एक सही रास्ता दिखाया और यह रास्ता हम सबको एक न एक दिन देश के उज्जवल भविष्य व आपसी हित के लिए अपनाना होगा।धर्म निरपेक्षता के लिए बलिदान देने वाले गणेश शंकर विद्यार्थी के प्रति समूचा राष्ट्र नतमस्तक है”।
जवाहर लाल नेहरु ने उन्हें समूचे राष्ट्र की ओर से श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा था: “गणेश शंकर विद्यार्थी एक बहादुर की तरह शहीद हुए।उन्होंने अपनी शहादत से वह सबक दिया जो वह लम्बी उम्र तक सम्भवतः ज़िंदा रह कर नहीं दे सकते थे।
उनकी शहादत से हमने भारत के क्षितिज पर एक चमकते हुए सितारे को खो दिया।भारतवासी सदैव उनके बलिदान से सद्भाव की प्रेरणा लेते रहेंगे .
भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की 23 मार्च,1931 को शहादत के बाद समूचे हिंदुस्तान “इनक़लाब ज़िंदाबाद” के नारों से गूँजने लगे।अंग्रेज़ी साम्राज्यवाद ने विद्रोह की ज्वाला कोदबाने के लिये साम्प्रदायिक दंगे उकसाया।
25 मार्च,1931 कानपुर साम्प्रदायिक दंगों की लपेट में आ गया।उस समय गणेश शंकर विद्यार्थी उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष थे।साम्प्रदायिक दंगों में औरतों व बच्चों की निर्मम हत्याओं से विचलित विद्यार्थी जी साम्प्रदायिक सद्भाव बनाएं रखने के लिए प्रातः ही नंगे पांव , नंगे सिर पटकापुर व बंगाली मोहल्ला के दंगाग्रस्त क्षेत्र में पहुँच गए।
वहाँ कुछ औरतें बुरी तरह आग में झुलसी हुईं पड़ी थीं,जिनके हाथ-पांव मिट्टी के तेल में हुए कपड़ों से बन्धें थे और इसी अवस्था में उन्हें जलाया गया था।विद्यार्थी जी ने जलते हुए व्यक्तियों को बचाने का भरसक प्रयत्न किया।
इस प्रकार 50-60 प्रतिशत हिन्दुओं/ मुसलमानों को बचाने में सफल भी हुए।परन्तु इसी दौरान अचानक कट्टरवादियों ने उनपर हमला कर दिया और विद्यार्थी जी शांति के प्रयास में शहीद हुए।साम्प्रदायिक सद्भाव के लिए अपना बलिदान देने वाले वे पहले सेकुलर हीरो थे।
कितनी विडम्बना है कि सांप्रदायिकता का ज़हर फैलाने वाले देश तथा समाज विरोधी शक्तियां राष्ट्रीय एकता पर लगातार प्रहार कर रही हैं।
ब्रिटिश शासन के विरूद्ध भारतीय किसानों की आवाज़ को बुलंद करने वाले निडर एवं निष्पक्ष पत्रकार गणेश शंकर विद्यार्थी 🇮🇳 की 94वीं पुण्यतिथि पर कोटि कोटि नमन।
लेखक स्वतंत्रता आंदोलन यादगार समिति के अध्यक्ष हैं और स्व. शशि भूषण सत्याग्रही- स्वतंत्रता सेनानी “ पद्म भूषण “ के सुपुत्र हैं .