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G20 का वो मंज़र जिसने सबका ध्यान खींचा

G20 का वो मंज़र जिसने सबका ध्यान खींचा

G20 Summit: मीडिया से सम्बंधित प्रोटोकॉल क्या कहते हैं

G 20 का वो मंज़र जिसने सबका ध्यान खींचा , भारत, यूरोप और मिडिल ईस्ट इकोनॉमिक कॉरिडोर डील का ऐलान हुआ तो सभी

 

नई दिल्ली: भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रेस कॉन्फ्रेंस न करने को भारतीय पत्रकारों ने स्वीकार कर लिया है, लेकिन शुक्रवार को जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए भारत पहुंचे अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ आए पत्रकारों को भी इसका सामना करना पड़ा.

इस खबर पर आगे बढ़ने से पहले G 20 की 2 ख़ास बातों पर हलकी सी नज़र दाल लें .

दरअसल एक ऐसा मंज़र और तस्वीर जिसने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा। इसमें मोदी के दाहिनी तरफ बाइडेन और बायीं तरफ क्राउन प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान बैठे थे। भारत, यूरोप और मिडिल ईस्ट इकोनॉमिक कॉरिडोर डील का ऐलान हुआ तो सभी 8 देशों के नेता ग्रुप फोटो के लिए उठने लगे। इस दौरान बाइडेन ने पहले मोदी की तरफ और फिर प्रिंस सलमान की ओर देखा। दोनों ने हाथ मिलाए। मोदी ने फौरन दोनों नेताओं के हाथ थामे और ऊपर से अपने हाथ लगा दिया। इसके अलग अलग माने निकाले गए और फिर ……….

दूसरी जो ख़ास बात इस शिखर सम्मलेन कि रही वो एक बेहद अहम डील का ऐलान है । यह डील साफ तौर पर चीन के ‘बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव’ यानी BRI का जवाब कहा जा रहा है। नई दिल्ली G20 समिट के दौरान हुई इस डील में आठ देश शामिल हैं। जिसके बाद भारत और खाड़ी देशों के बीच कारोबारी रिश्ते और मज़बूत होने की संभावनाएं बढ़ी हैं . इसे भारत, यूरोप और मिडिल ईस्ट इकोनॉमिक कॉरिडोर (BEMEC) डील कहा गया है।

 

अब बढ़ते हैं आगे G20 मीडिया Coverage की सुर्ख़ी की तरफ ……..

रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक़ 8 सितंबर को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने नई दिल्ली पहुंचने के तुरंत बाद मोदी के साथ एक बंद कमरे में बैठक की. इसमें कहा गया है कि ‘जब प्रधानमंत्री के आवास पर यह मुलाकात हो रही थी , तब ‘अमेरिकी प्रेस को दोनों नेताओं की पहुँच से दूर एक वैन में कैद कर लिया गया था- यह उन पत्रकारों और फोटोग्राफरों के लिए एक असामान्य बात थी जो अपने देश और दुनियाभर में अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ जाते हैं उनकी सार्वजनिक उपस्थिति को देखते और और रिकॉर्ड करते हैं.’

अमेरिकी विदेश विभाग को कवर करने वाली रॉयटर्स की विदेश नीति रिपोर्टर हुमेरा पामुक ने ट्वीट किया के ज़रिये बताया कि G 20 New Delhi भारत यात्रा पर प्रेस पर पाबंदी के बारे में लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं . ह्वाइट हाउस के आधिकारिक कार्यक्रम में यह नहीं बताया गया था कि मोदी-बाइडेन की पहली मुलाकात के समय पत्रकारों को अनुमति नहीं दी जाएगी.

अमेरिकी राष्ट्रपति को भारत लाने वाली एयर फ़ोर्स वन की फ्लाइट पर ह्वाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी कैरेन ज्यां-पियरे ने संवाददाताओं से कहा कि नेताओं तक पहुंच (एक्सेस) सुनिश्चित करने के लिए हरसंभव प्रयास किया गया था .

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ह्वाइट हाउस द्वारा जारी ट्रांसक्रिप्ट के अनुसार, एयर फ़ोर्स वन में मौजूद प्रेस इस बात से नाराज़ दिखाई दी कि वैसा नहीं हो पा रहा था जैसा कि वे सामान्य रूप से अपना काम करते हैं. अमेरिकी प्रेस की टीम की जिम्मेदारी प्रेस सेक्रेटरी कैरेन और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलीवान की थी .

कोर में प्रेस से जुड़े एक व्यक्ति ने पत्रकारों की एक्सेस को लेकर सवाल किया था कि अगर यह बहुत सीमित होगी तो हम लोगों को यहाँ क्यों लाया गया है . और अगर पत्रकारों को जाने की इजाज़त नहीं है तो बाइडेन मोदी से मिल क्यों रहे हैं.

इसके जवाब में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सुलीवान ने कहा कि इस बैठक के लिए नए प्रोटोकॉल बनाए गए हैं और ‘बैठक प्रधानमंत्री आवास पर हो रही तो, उस तरह से यह सामान्य नहीं है. सुलिवान ने कहा , प्रधानमंत्री कार्यालय में होने वाली बैठकों और संपूर्ण कार्यक्रम के साथ यह आपकी भारत की सामान्य द्विपक्षीय यात्रा नहीं है. वे जी-20 के मेजबान हैं, जो बड़ी संख्या में नेताओं की मेजबानी कर रहे हैं, और अगर ऐसा वे अपने घर में कर रहे हैं तो उन्होंने अपने हिसाब से निर्धारित प्रोटोकॉल तय किए हैं.’

अमेरिकी पत्रकारों ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार से सवाल किया कि क्या वे कोई ऐसा उदाहरण बता सकते हैं जहां राष्ट्रपति बाइडेन ने पत्रकारों के पूल (समूह) के बिना कोई द्विपक्षीय बैठक की हो .

सुलीवन ने कहा, ‘बहुपक्षीय बैठकों में कई बार (अमेरिकी राष्ट्रपति) गए और विदेशी नेताओं के साथ बैठे. वास्तव में, मैं उन उदाहरणों के बारे में सोच सकता हूं जहां मैंने तस्वीरें खींची हैं क्योंकि मैं विदेशी नेता और राष्ट्रपति बाइडेन के साथ कमरे में मौजूद था.’

G 20 सम्मलेन में मीडिया coverage पर अमेरिकी NSA ने माना कि …..

मीडिया की ग़ैर मौजूदगी को लेकर लगातार होने वाले सवालों का सामना करते हुए सुलीवान ने स्वीकार किया, ‘हम इसे एक गंभीर मुद्दा मानते हैं, जिसे आप लोगों ने हमारे साथ उठाया है. हम इसे बेहद गंभीरता से लेते हैं. और मैं व्यक्तिगत रूप से इसे बेहद गंभीरता से लेता हूं. लेकिन हम वह कर रहे हैं जो हम कर सकते हैं, असल में हमें मेजबान के साथ और विशेष रूप से, उनके निजी आवास पर उनके साथ समन्वय बनाते हुए इन बैठकों के मापदंडों और प्रोटोकॉल के साथ काम करना होगा.’

मीडिया से सम्बंधित प्रोटोकॉल क्या कहते हैं

भारत में द्विपक्षीय वार्ता आयोजित करने के लिए सामान्य प्रोटोकॉल हैदराबाद हाउस को लेकर है, जहां नेताओं की मुलाकात के बाद उसी परिसर के एक दूसरे हॉल में मीडिया के साथ एक सीमित प्रश्न और उत्तर सत्र होता है. प्रश्न पूछने का चलन साल 2014 के बाद ख़त्म हो गया लेकिन जहाँ तक प्रोटोकॉल का सवाल है उसमें दशकों से कोई तब्दीली नहीं हैं.

जब कोई दो विदेशी नेता भारत में बातचीत के लिए बैठते हैं, तो भारत की ओर से आधिकारिक फोटोग्राफर और दूसरे देश से एक प्रतिनिधि पूल रिपोर्टर को बुलाया जाता है. सवाल नहीं पूछे जाते बल्कि ये सिर्फ फोटो-ऑप होता है. मीडिया एडवाइजरी में भी इसी तरह बताया जाता है.

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स्वाभाविक है कि प्रत्येक देश की अपनी प्रोटोकॉल प्रथा होती है.अमेरिका के ह्वाइट हाउस में पत्रकारों को उस समय वार्ता कक्ष में आने की इजाज़त होती है जहां दोनों नेता बैठे होते हैं और वे सवाल भी पूछ सकते हैं.

चूंकि भारत में ऐसा प्रोटोकॉल नहीं है, तो एक बार विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी और ह्वाइट हाउस के एक संबंधित प्रेस अधिकारी के बीच खींचतान हुई थी, जो लगभग हाथापाई की ओर पहुंच गई थी. ऐसा तब हुआ था जब अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन भारत आए थे .दोनों नेताओं के बैठने के बाद अमेरिकी पक्ष ने उनके पत्रकारों को बातचीत के लिए हॉल में लाने की कोशिश की थी.

हालांकि, प्रधानमंत्री आवास का इस्तेमाल कभी-कभी राजनयिक बैठकों के लिए किया जाता है, लेकिन मीडिया को वहां कभी भी आमंत्रित नहीं किया गया है, चाहे यूपीए के दो कार्यकालों की बात हो या 2014 के बाद की. किसी दुर्लभ अवसर पर ही प्रधानमंत्री देश में आए गणमान्य अतिथि को डिनर पर बुलाते हैं, जैसे पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने ओबामा परिवार के लिए किया था. लेकिन राष्ट्रपति भवन के राजकीय रात्रिभोज के समान ही यह एक सीमित कार्यक्रम होता है, जहां किसी भी सरकार द्वारा नेताओं से सवाल पूछने के लिए मीडिया को नहीं बुलाया जाता.

डिप्लोमेसी की यह रवायत रही है कि मेहमान नेता को मेजबान सरकार के प्रोटोकॉल का पालन करना पड़ता है. इसीलिए जब ह्वाइट हाउस ने इस साल की शुरुआत में इस बात पर जोर दिया कि प्रधानमंत्री के अमेरिका दौरे पर वहां के मीडिया द्वारा प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति बाइडेन से सवाल पूछे जाएंगे तो भारतीय पक्ष के पास सहमत होने के अलावा कोई विकल्प नहीं था, क्योंकि संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में यही प्रोटोकॉल है.

आपको याद दिला दें कि ….मोदी के जून 2023 अमेरिकी दौरे में सबसे दिलचस्प बात यह रही कि बाइडन ने मोदी को संयुक्त प्रेस कॉन्फ़्रेन्स में रिपोर्टर से सवाल लेने के लिए तैयार किया.”

”पिछले एक दशक में प्रधानमंत्री मोदी के लिए यह एक दम नई बात थी कि जब उनको रिपोर्टर का सीधा सामना करना पड़ा . मोदी से भारत में अल्पसंख्यकों के अधिकार और लोकतंत्र को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने जवाब दिया कि भारत के डीएनए में लोकतंत्र है और धर्म के आधार पर किसी के साथ भेदभाव नहीं हो रहा है.” अब आपसे निवेदन है कि आप मोदी के कार्यकाल में अल्पसंख्यकों , प्रेस और लोकतंत्र पर होने वाली चोट के बारे अपनी निष्पक्ष राये दें . अगर आप सच्चे देशभक्त हैं ? TOP Views with The wire inputs

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