Ticker news is only displayed on the front page.
[]
Home » SELECT LANGUAGE » HINDI » Dr Manmohan singh की आख़िरी प्रेस कॉन्फ्रेंस
Dr Manmohan singh की आख़िरी प्रेस कॉन्फ्रेंस

Dr Manmohan singh की आख़िरी प्रेस कॉन्फ्रेंस

मनमोहन सिंह की वो आख़िरी प्रेस कॉन्फ्रेंस, जिसमें पूछे गए थे कई कड़े सवाल

मैं मानता हूँ कि इतिहास मेरे प्रति आज के मीडिया के मुक़ाबले ज़्यादा उदार होगा: Dr Manmohan Singh 

जैसा कि आप जानते हैं प्रधानमंत्री के रूप में मनमोहन सिंह की उस आख़िरी प्रेस वार्ता का हवाला अक्सर दिया जाता है, जिसमें उनसे पत्रकारों ने काफी मुश्किल सवाल दागे थे .

काफी पत्रकार पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहते हैं कि मोदी ने प्रधानमंत्री रहते हुए कोई प्रेस कॉन्फ़्रेंस इसलिए नहीं की , क्योंकि उनके पास जवाब के नाम पर कुछ है नहीं .जबकि मनमोहन सिंह के पास हर सवाल का माक़ूल और तथ्यों पर आधारित जवाब मौजूद था 

Dr Manmohan singh during Press Conference

मनमोहन सिंह ने कहा था, “लोग मुझे ‘एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ कहते हैं, फिर यह क्यों भूल जाते हैं कि मैं ‘एक्सिडेंटल वित्त मंत्री’ भी था.”

प्रधानमंत्री के तौर पर मनमोहन सिंह की अंतिम प्रेस कॉन्फ्रेंस तीन जनवरी 2014 को हुई थी, जो एक घंटे से ज़्यादा समय तक चली थी. उसमें मनमोहन जी से पूछा गया …
रेसोलुशन TO ैकपॉलिशमेंना झूठी आशा न झूठा वादा
सवाल : जब पहली बार प्रधानमंत्री बने थे तो लोग आपको एक ग़ैर राजनीतिक, साफ छवि वाला अर्थशास्त्री के तौर पर देख रहे थे. अब आगे देश की जनता उन्हें किस रूप में देखें?

जवाब : “मैं जैसे पहले था, वैसा ही आज भी हूँ. इसमें कोई परिवर्तन नहीं हुआ है. मैंने पूरे समर्पण और ईमानदारी के साथ देश की सेवा करने की कोशिश की . मैंने कभी अपने दफ़्तर का इस्तेमाल अपने मित्रों और रिश्तेदारों के फ़ायदे के लिए नहीं किया”.

सवाल :आप पर विपक्ष का यह आरोप भी होता था कि वो सोनिया गांधी या राहुल गांधी के इशारे पर चलते हैं .

READ ALSO  देश को इसकी ज़रुरत है नाकि.........देखें रिपोर्ट

जवाब : “इसमें कोई नुक़सान नहीं है. पार्टी अध्यक्ष या उपाध्यक्ष को लगता है कि उनका कोई नज़रिया सरकार की सोच में झलकना चाहिए तो इसमें कोई बुराई नहीं है. सोनिया गांधी या राहुल गांधी सरकार की मदद के लिए ही हैं, अगर उन्हें लगता है कि सरकार में यह सुधार होना चाहिए.

मनमोहन सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की शुरुआत में ही देश के सामने आर्थिक चुनौतियों और वैश्विक आर्थिक मंदी की चर्चा की. देश में बढ़ती महंगाई को भी मनमोहन सिंह ने अपने संबोधन में स्वीकार किया था.

एक और सवाल के जवाब में मनमोहन सिंह ने कहा, हम अपने काम के आधार पर वोटर के सामने गए और भारत की जनता ने हमें दोबारा जनादेश दिया.”

भ्रष्टाचार मुद्दे पर उनसे फिर सवाल पूछा गया, “क्या आपको नहीं लगता है कि यूपीए-1 के दौरान भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण आपकी सरकार को बड़ी क़ीमत चुकानी पड़ी?

मनमोहन सिंह ने कहा, “मैं इस मामले में थोड़ा दुःखी महसूस करता हूं क्योंकि मैंने ही इस बात पर ज़ोर दिया था कि स्पेक्ट्रम आवंटन पारदर्शी और निष्पक्ष हो. मैं ही था जिसने ज़ोर देकर कहा था कि कोल ब्लॉक का आवंटन नीलामी के आधार पर हो, लेकिन इस सच को भूला दिया गया. इस मामले में विपक्ष का अपना स्वार्थ निहित था. कुछ मौक़ों पर मीडिया उनके हाथ का खिलौना भी बन गया.” जिससे सच सामने नहीं आसका और हमारी सर्कार को बदनाम किया गया और विपक्ष ने उसका लाभ उठाया .

मनमोहन सिंह ने 2G स्पेक्ट्रम मुद्दे पर कहा था ” मेरे पास इसका समाधान है और जब भी इस समय का इतिहास लिखा जाएगा, हम बेदाग़ बाहर आएंगे. इसका मतलब यह नहीं है कि कोई अनियमितता नहीं हुई लेकिन इस समस्या की दिशा को मीडिया ने कुछ मौक़ों पर सीएजी और अन्य लोगों ने बढ़ा चढ़ाकर पेश किया.”

READ ALSO  लोकसभा में सांसद कुँवर दानिश अली ने गन्ना किसानो के चीनी मीलों पर बकाया राशि के भुगतान का मुद्दा उठाते हुए सरकार से मांग की

2010 से 2013 तक का वो दौर था, जब तत्कालीन केंद्र सरकार पर कई तरह के भ्रष्टाचार के आरोप लगाए जा रहे थे. विपक्षी दल कॉमनवेल्थ गेम्स- 2010, कोल ब्लॉक आवंटन और 2 जी स्पेक्ट्रम के आवंटन में भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे थे. केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई पर भी सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख़ टिप्पणी की थी.

विपक्ष की तरफ से मनमोहन सिंह के कार्यकाल में कई मंत्रियों पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे. इसी पर उनसे एक सवाल किया गया कि आप अपने मंत्रियों पर कार्रवाई करने में नाकाम रहे हैं?

उनका जवाब था , “मैं मानता हूँ कि इतिहास मेरे प्रति आज के मीडिया के मुक़ाबले ज़्यादा उदार होगा.”

मनमोहन सिंह से सवाल किया गया , क्या कभी ऐसा वक़्त आया जब आपको लगा हो कि इस्तीफ़ा दे देना चाहिए?”

इसके जवाब में उन्होंने कहा था, “मैंने कभी ऐसा महसूस नहीं किया कि मुझे इस्तीफ़ा दे देना चाहिए. मैंने अपने काम का खूब आनंद लिया. मैंने बिना किसी डर या पक्षपात के अपने काम को पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ करने की कोशिश की.”

मनमोहन सिंह से सवाल किया गया कि पिछले दस साल में आप पर सबसे ज़्यादा चुप रहने का आरोप लगा है, ऐसी कोई कमी लगती है कि आपको जहाँ बोलना था और आप नहीं बोल सके?

उन्होंने इसके जवाब में कहा, “जहां तक बोलने का सवाल है, जब भी ज़रूरत पड़ी है, पार्टी फोरम में मैं बोला हूं और आगे भी बोलता रहूंगा.”

 

 

Please follow and like us:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

1 × three =

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>

Scroll To Top
error

Enjoy our portal? Please spread the word :)